करुणानिधि का निधन, दक्षिण भारत की राजनीति में एक युग का अंत

करुणानिधि का निधन, दक्षिण भारत की राजनीति में एक युग का अंत

तमिलनाडु के पांच बार मुख्यमंत्री रहे एम. करुणानिधि का निधन लंबी बीमारी के बाद चेन्नई के कावेरी अस्पताल में आज शाम छह बजकर दस मिनट पर हो गया। उन्हें ब्लड प्रेशर का स्तर गिरने के कारण भर्ती कराया गया था

करुणानिधि को  दक्षिण भारत की राजनीति का पितामह कहा जाता है। द्रमुक अध्यक्ष की मौत पर दिग्गज नेताओं सहित कलाकारों ने भी शोक प्रकट किया है। तमिलनाडु की राजनीति में प्रवेश कर रहे अभिनेता रजनीकांत ने द्रमुक नेता के निधन पर कहा, ‘’कलैगनार (करुणानिधि) की मौत अविश्वसनीय है। यह मेरी जिंदगी का काला दिन है. भगवान उनकी आत्मा को शांति दें.’’

इस बारे में कम ही लोगों को जानकारी है कि करुणानिधि सिर्फ एक नेता नहीं बल्कि कलाकार भी रह चुके हैं। और इसी वजह से उनके प्रशंसक उन्हें कलैगनार नाम से संबोधित करते थे, जिसका मतलब होता है कलाकार।

करुणानिधि 1969 में द्रमुक के अध्यक्ष बने थे और अब तक यह पदभार उन्हीं के पास थे। वह तर्कवादी ई.वी. रामासामी पेरियार के विचारों से प्रभावित थे और  द्रविड़ आंदोलन का मुख्य चेहरा थे। करुणानिधि  1969 में पहली बार मुख्यमंत्री बने थे। उन्होंने कुल पांच बार मुख्यमंत्री का पदभार संभाला वह कुल 13 बार विधासनसभा के सदस्य निर्वाचित हुए और अंतिम बार 92 साल की उम्र में भी चुनाव जीतकर आए थे। उनके पास कभी चुनाव नहीं हारने का रिकॉर्ड भी है।

दक्षिण की राजनीति में करुणानिधि की मौत के साथ एक युग का अंत हो गया है। इससे पहले पूर्व मुख्यमंत्री जे जयललिता की मौत 5 दिसंबर, 2016 को हो गई थी। इन दोनों कद्दावर नेताओं की मौत से पैदा हुए शून्य को शायद ही भरा जा सके।