अविरल गंगा के लिए प्राण की आहुति दे गए पर्यावरणविद् जीडी अग्रवाल, 112 दिनों से थे अनशनरत

अविरल गंगा के लिए प्राण की आहुति दे गए पर्यावरणविद् जीडी अग्रवाल, 112 दिनों से थे अनशनरत

अविरल गंगा के लिए सदैव प्रयासरत रहने वाले आईआईटी, कानपुर के पूर्व प्रोफेसर जीडी अग्रवाल उर्फ स्वामी झानस्वरूप सानंद का निधन आज दोपहर हो गया. वे गंगा की निर्मलता और अविरलता के लिए बीते 112 दिनों से अनशनरत थे.

बीते 9 अक्टूबर से तो उन्होंने जल भी त्याग दिया था. अगले दिन हालत बिगड़ने पर उन्हें जबरन ऋषिकेश स्थित एम्स अस्पताल में भर्ती कराया गया था. वे 86 वर्ष के थे. उनकी मांग थी कि गंगा और इसकी सहनदियों के आसपास बन रहे हाइड्रोइलेक्ट्रिक प्रोजेक्ट के निर्माण को बंद किया जाए और गंगा संरक्षण प्रबंधन अधिनियम को लागू किया जाए.

उनका कहना था कि, ‘अगर इस मसौदे को पारित किया जाता है तो गंगाजी की ज्यादातर समस्याएं लंबे समय के लिए खत्म हो जाएंगी. मौजूदा सरकार अपने बहुमत का इस्तेमाल कर इसे पास करा सकती है. मै अपना अनशन उस दिन तोडूंगा जिस दिन ये विधेयक पारित हो जाएगा. ये मेरी आखिरी जिम्मेदारी है. अगर अगले सत्र तक अगर सरकार इस विधेयक को पारित करा देती है तो बहुत अच्छा होगा. अगर ऐसा नहीं होता है तो कई लोग मर जाएंगे. अब समय आ गया है आने वाली पीढ़ी इस पवित्र नदी की जिम्मेदारी ले.’

प्रोफेसर जीडी अग्रवाल उर्फ स्वामी सानंद द्वारा जल त्यागने के बाद उन्हें बलपूर्वक अस्पताल में भर्ती कराया गया. तस्वीर- फर्स्टपोस्ट हिन्दी

स्वामी सानंद के निधन पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने श्रद्धांजलि व्यक्त की. उन्होंने ट्विटर पर लिखा कि जीडी अग्रवाल सीखने, शिक्षा, पर्यावरण संरक्षण, खासतौर पर गंगा की सफाई की सफाई के लिए याद किए जायेंगे. उनकी श्रद्धांजलि.

स्वामी सानंद के निधन पर पत्रकार अनिल कुमार यादव लिखते हैं कि, न कोई गंगा के लिए चिंतित है न गाय के लिए, न राम, न बेटी, न राष्ट्र, न रफाएल के लिएसरकार और मीडिया से संरक्षित मुट्ठी भर गुंडे जिस चीज के लिए चिंतित करवा दें वही एक सप्ताह लंबे युग की चिंता बन जाती है. हम एक समाज के तौर पर वहां जा पहुंचे हैं जहां अफीम भी नहीं पहुंचा सकती. शहीद प्रोफेसर जीडी अग्रवाल को आदतन भरपूर श्रद्धांजलि, नमन, RIP इत्यादि पहुंचे.

बिहार में प्रभात खबर के साथ जुड़कर काम कर रहे पत्रकार पुष्य मित्र अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर लिखते हैं कि, “इस देश में गांधीवादी संघर्ष का यही अंजाम है. अंग्रेज सत्याग्रहियों की सुनते भी थे, हमारे अपने हुक्मरानों ने इन्हें इग्नोर करना सीख लिया है. 112 दिन के अनशन के बाद यह असली गंगापुत्र जीडी अग्रवाल हमें छोड़कर चला गया. न सत्ता को असर पड़ा, न मीडिया को, न समाज को ही. दुःखद. यह हमारे वक़्त की सबसे पीड़ादायक घटना है.

आजतक वेबसाइट के संपादक स्वामी सानंद के निधन पर लिखते हैं कि, आज गंगा का असली बेटा मर गया. बहरूपिया उनकी मौत का दोषी है. यह सरकार हत्यारी है. शेम ऑन यू.