शौच मुक्त बोर्ड लगने से पहले ‘हगना गाड़ी’ गांव में खूब घूमी लेकिन उसके बाद की कहानी अलग है

शौच मुक्त बोर्ड लगने से पहले ‘हगना गाड़ी’ गांव में खूब घूमी लेकिन उसके बाद की कहानी अलग है

बिहार के 38 जिलों में से एक जिला है पूर्वी चंपारण. जिसे मोतिहारी के नाम से भी जाना जाता है. देश के बाकी हिस्सों में इस जिले की पहचान महात्मा गांधी की सत्याग्राह लड़ाई (चंपारण सत्याग्रह) की वजह से है. वहीं साहित्य की दुनिया के लोगों के बीच इस जिले की पहचान साहित्यकार जॉर्ज ऑरवेल की जन्मस्थली के तौर पर है. पूर्वी चंपारण जिले के अंदर 12 विधानसभा आते हैं. इनमें से एक विधानसभा है गोविंदगंज. गोविंदगंज विधानसभा संख्या-14 के अंदर तीन प्रखंड आते हैंअरेराज, पहाड़पुर, संग्रामपुर. अरेराज चूंकि प्रखंड (ब्लॉक) के साथ अनुमंडल (सबडिविजन) भी है, जिसकी वजह से इसका महत्व थोड़ा बढ़ जाता है

खैर अब आते हैं मुद्दे परगोविंदगंज विधानसभा के अंदर 35 पंचायत आते हैं, इन 35 पंचायत में अरेराज प्रखंड का एक पंचायत है बभनौली. इसी पंचायत के अंदर मेरा गांव टिकुलियां आता है. इस बार जब मैं छठ पूजा के लिए गांव गई तो गांव के बाहर एक सरकारी तख्ती (साइन बोर्ड) दिखी. तख्ती पर बापू के चश्मे में स्वच्छ भारत के साथ ही लिखा थाखुले में शौच मुक्त ग्राम पंचायत राज बभनौली में आपका हार्दिक स्वागत है. साथ ही हमारे पंचायत की पहली महिला मुखिया का नाम लिखा था.ये तख्ती देखकर बहुत खुशी हुई. खुश होने की पीछे की बहुत सारी वजह है. पहले तो ये सोचकर अच्छा लगा कि चलो अब सड़क पर चलते समय इस बात का ध्यान नहीं रखना होगा कि पैर के नीचे क्या आ जाए या फिर उस बदबू से नहीं गुजरना होगा. फिर ये लगा कि यार कमाल हो गया मतलब मेरे गांव या पंचायत के लोग इतने जागरुक हो गए हैं कि सरकारी योजनाओं को समझ रहे हैं और उसका लाभ भी उठा रहे हैं.

मेरा पंचायत गोविंदगंज विधानसभा-14 का पहला पंचायत था, जिसे ओपन डिफेक्शन फ्री (ओडीएफ) घोषित किया गया था. होली के बाद जब ये घोषणा हुई थी, तब हमारे पंचायत की मुखिया ने इसके लिए पुरस्कार भी जीता. हमारे विधानसभा के एनडीए समर्थित विधायक राजू तिवारी ने पंचायत में खुले में शौच मुक्त की तख्ती का अनावरण किया. इस उपलब्धि पर मुखिया के गांव रमपुरवा में बाकायदा कार्यक्रम का आयोजन करके इसकी भव्य घोषणा की गई. उस कार्यक्रम में विधायक राजू तिवारी, जिले के डीएम रमन कुमार और तमाम लोग मौजूद थे. कार्यक्रम के दौरान मंच मौजूद सभी गणमान्य लोगों ने इस उपलब्धि पर अपनी पीठ भी थपथपाई. और इसमें कोई बुराई भी नहीं, जब उपलब्धि इतनी बड़ी हो तो कार्यक्रम और क्रेडिट लेने का हक भी बनता है.

पंचायत को खुले में शौच मुक्त की घोषणा के बाद आयोजित कार्यक्रम में शामिल एनडीए समर्थित विधायक राजू तिवारी, मुखिया श्वेतावर्धन और डीएम

छठ पूजा में घर पहुंचने के बाद जब लोगों से मिलना हुआ तो इस उपलब्धि पर भी बात हुई. फिर गांव के पढ़ेलिखे नौजवानों ने इसकी सच्चाई बतानी शुरू की. दरअसल मेरे गांव में ही अभी बहुतों के घर शौचालय नहीं बने हैं. उसके बाद भी ये भी पंचायत को खुले में शौच मुक्त घोषित कर दिया गया है. मेरा गांव जो कि एक सवर्ण बहुल गांव है. दूसरे नंबर पर दलित आते हैं. सवर्णों में भी कुछ लोगों को छोड़ देते तो अधिकांश लोगों की माली हालत ठीक नहीं है. आर्थिक स्थिति ठीक ना होने की वजह से और शौचालय प्राथमिकता में ना होने की वजह से बहुतों ने अब तक अपने घर में शौचालय नहीं बनवाया है. दलितों में भी बहुत के घर बचे हुए हैं. हालांकि बहुत सारे दलित ने स्वच्छ भारत कार्यक्रम की तहत सरकार के तरफ से बनवाया जा रहे शौचालय का लाभ उठाया है.

हगना गाड़ी का डर

गांव के नौजवान बताते हैं कि खुले में शौच मुक्त की घोषणा के पहले हर सुबह गांव में सायरन बजती पुलिस की गाड़ी आती थी, जो ये देखती थी कि कोई खुले में शौच कर तो नहीं रहा. अगर कोई कर रहा है तो फिर उससे फाइन लिया जाता था. एकदो लोगों की पिटाई भी हुई. गांव के लोगों ने पुलिस की गाड़ी का नामहगना गाड़ीरख दिया था. सायरन बजाते जब भीहगना गाड़ीगांव में घुसती थी, जिनके घर शौचालय नहीं है वो डर जाते थे. ‘हगना गाड़ीसे बचने के लिए लोग या तो सुबह बहुत जल्दी उठकर फारिक होने चले जाते थे याहगना गाड़ीके जाने का इंतजार करते थे. क्योंकि अब सरकारी तख्ती टंग चुकी है तो चेकिंग के लिए कोई नहीं आता. जिनके घरों में शौचालय नहीं है अभी वो खेतों में या सड़क के किनारे ही जाते हैं. ना उन्हें सरकारी योजना के बारे में जानना है या जागरूक होना है और ना ही किसी जन प्रतिनिधि के पास समय है उन्हें समझाने का. क्योंकि तख्ती तो लग चुकी है, कागजों पर घोषणा हो चुकी है, पुरस्कार मिला चुका है. उनका काम हो गया है.

सरकारी आंकड़ों में बिहार

साल 2014 में मोदी सरकार ने अपने बहुचर्चित योजना ‘स्वच्छ भारत मिशन’ की शुरुआत की थी. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सरकार बनने के बाद से हर रैली, हर मंच से अपनी इस योजना के बारे में बात करते रहे हैं. सरकारी डेटा के मुताबिक 2014 में सेनिटेशन कवरेज 38.70 फीसदी थी जो अब बढ़कर 96.4 फीसदी हो गई है. मोदी सरकार के दौरान कुल 8 करोड़ 89 लाख शौचालय बनाए गए हैं और भारत के 533 जिलों को खुले में शौच से मुक्त कर लिया गया है. असम, बिहार, गोवा, ओडिशा, तेलंगाना, त्रिपुरा, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल को छोड़कर देश के सभी राज्य और यूनियन टेरिटरी खुले में शौच से मुक्त हो गए हैं.

बिहार की बात करें तो यहां 83.3% शौचालय बना लिए गए हैं. मोदी सरकार ने देश को पूरी तरह से खुले में शौच से मुक्त करने का टारगेट अक्टूबर 2019 रखा है. सरकारी आंकड़ों के ही मुताबिक अरेराज प्रखंड के 14 पंचायत में घरों की संख्या 25830 हैं. जिनमें 13951 घरों में शौचालय नहीं था और उनकी पहचान की गई थी. और सरकारी आंकड़ों के मुताबिक अब मेरे ब्लॉक के 25830 घरों में शौचालय है. वहीं मेरे पंचायत यानी कि बभनौली पंचायत में 4558 घर है, जिनमें से 1179 घरों में शौचालय नहीं था और अब सारे घरों में है. ऐसा सरकारी डेटा कह रहा है.

सरकारी डेटा का स्क्रीन शॉट

सवाल ये है कि जब एक गांव के ही सारे घरों में शौचालय नहीं है तो पूरे पंचायत का क्या हाल होगा? और फिर पूरे बिहार या जिन भी राज्यों को खुले में शौच मुक्त का दर्ज दिया गया है उनका सच क्या है. कागजों पर हर घर में शौचालय दिखाकर जन प्रतिनिधियों ने अपनी अपनी पीठ थपथपा ली है. लेकिन क्या सरकारी सिस्टम रिचेक का कोई इंतजाम करेगी या फिर एक बार जो कागज पर चढ़ गया वो ही सच माना जाएगा.

ये स्टोरी द बिहार मेल के लिए भारती द्विवेदी ने लिखा है.