कोरोना डायरी: मुझे डर लगने लगा है कि ‘सोशल डिस्टेंसिंग’ कहीं ग्राम्य बोध को न खत्म कर दे…खबरें

कोरोना डायरी: मुझे डर लगने लगा है कि ‘सोशल डिस्टेंसिंग’ कहीं ग्राम्य बोध को न खत्म कर दे…

अपने ज़ाती काम से आकर मैं अब भी अपने गांव में ही हूं. मौका पाकर फिर से गांव घूमने लगा…