‘पहचानते तो होगे निदा फ़ाज़ली को तुम, सूरज को खेल समझा था. छूते ही जल गया.’ बात उस शख्स की…
‘पहचानते तो होगे निदा फ़ाज़ली को तुम, सूरज को खेल समझा था. छूते ही जल गया.’ बात उस शख्स की…
‘पहचानते तो होगे निदा फ़ाज़ली को तुम, सूरज को खेल समझा था. छूते ही जल गया.’ बात उस शख्स की…