तरबूज किसान: वे जो नदी से कभी नाउम्मीद नहीं होतेदेश

तरबूज किसान: वे जो नदी से कभी नाउम्मीद नहीं होते

बोसे लेने की तमन्ना में थे ख़ाक स्याह। वही हसरत ज़दा अब निकले हैं बनकर तरबूज़॥ ~नजीर अकबराबादी जेठ की…