क्या कभी ऐसा हो सकता है कि हम कुछ सोच ही न पाएं?देश

क्या कभी ऐसा हो सकता है कि हम कुछ सोच ही न पाएं?

मैं सोचती हूं कि मुझे कितनी सारी चीजों से कितनी शिकायतें रहती थीं, आजकल वो शिकायतें पता नहीं कहां चल…

लॉकडाउन डायरी, डे -14: हम इतने अकेले हैं कि दूसरों के साथ रिश्ता महसूस करना भूलने लगे हैंखबरें

लॉकडाउन डायरी, डे -14: हम इतने अकेले हैं कि दूसरों के साथ रिश्ता महसूस करना भूलने लगे हैं

कभी-कभी हम जो कुछ कर रहे होते हैं, सब वहीं छोड़कर, किसी ऐसी जगह चले जाते हैं, जिसे बहुत साफ़…