मोतिहारी में हमले के शिकार असिस्टेंट प्रोफेसर संजय कुमार पीएमसीएच से एम्स, दिल्ली के लिए रेफर

मोतिहारी में हमले के शिकार असिस्टेंट प्रोफेसर संजय कुमार पीएमसीएच से एम्स, दिल्ली के लिए रेफर

बिहार के मोतिहारी जिले में स्थित महात्मा गांधी केंद्रीय विश्वविद्यालय में सोशियोलॉजी के असिस्टेंट प्रोफेसर संजय कुमार को पीएमसीएच, पटना से एम्स, नई दिल्ली के लिए रेफर कर दिया गया है.  उन्हें 16 अगस्त को  देश के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के देहावसान के बाद सोशल मीडिया पर की गई टिप्पणी का आरोप लगाते हुए अवांछित तत्वों ने बुरी तरह पीट दिया था. उन अवांछित तत्वों को सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे वीडियो में यह कहते हुए भी सुना गया कि कन्हैया बनेगा रे कन्हैया.

संजय कुमार को मोतिहारी जिले में प्राथमिक चिकित्सा के बाद पीएमसीएच, पटना के लिए रेफर कर दिया गया और फिर वहां से उन्हें आज एम्स, दिल्ली के लिए रेफर कर दिया गया है. अस्पताल में मौजूद उनके मित्र व सहकर्मी मृत्युंजय कुमार जो कि संजय कुमार की ओर से मीडिया और आने-जाने वाले लोगों से बात कर रहे थे. वे कहते हैं कि पीएमसीएच ने ऐसा उनके लगातार आग्रह के बाद किया है. पीएमसीएच में वे स्वास्थ्य उपेक्षा के शिकार हो रहे थे. जब हमने उनसे उपेक्षा के पीछे किसी राजनीतिक एंगल की बात पूछी तो उन्होंने कहा कि यह पूरी तरह राजनीतिक मामला है और इसमें पूरी तरह राजनीति इन्वॉल्व है.

जब हमने मृत्युंजय से प्रोफेसर संजय कुमार के साथ मारपीट के पीछे पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के देहावसान के बाद सोशल मीडिया पर की गई टिप्पणी के बारे में पूछा तो वे बोले कि ऐसी कोई बात या मुद्दा ही नहीं है. वे सिर्फ इसलिए पीटे गए क्योंकि वे विश्वविद्यालय में वाइस चांसलर, प्रोफेसर अरविंद अग्रवाल के करप्शन के मामले को लगातार उठा रहे थे. वाइस चांसलर का रवैया पूरी तरह तानाशाही  है.

गौरतलब है कि मृत्युंजय भी इसी विश्वविद्यालय में सोशियोलॉजी के असिस्टेंट प्रोफेसर हैं. वे संजय कुमार के सहकर्मी हैं. वे कहते हैं कि 29 मई, 2018 से शांतिपूर्वक ढंग से धरना-प्रदर्शन जारी है. 90 से 95 फीसद शिक्षक वाइस चांसलर के रवैये का विरोध कर रहे हैं. वे खुद महात्मा गांधी केंद्रीय विश्वविद्यालय शिक्षक संघ के सचिव हैं और लंबे समय से इस बात का विरोध करते रहे हैं.

वे कहते हैं कि इस पूरे मामले में उपयुक्त धाराएं भी नहीं लगाई गई हैं. प्रोफेसर साब को वाइस चांसलर के पालतू गुंडों ने पीटा है. वाइस चांसलर कइयों को फंड देते हैं जिनमें बजरंग दल और जन अधिकार पार्टी के कार्यकर्ता शामिल हैं. इनमें से जन अधिकार पार्टी के कार्यकर्ता जितेंद्र गिरी ने सरेंडर भी किया है. वे आगे कहते हैं कि वाइस चांसलर ये तमाम चीजें बड़े ही सुनियोजित ढंग से करते हैं. वे खुद के पास रखे गए वीडियो प्रूफ का भी हवाला देते हैं कि उन्हें कैसे बोटी-बोटी काटने की धमकियां भी मिली हैं. उन्होंने पुलिस प्रशासन से इस मामले में शिकायत की और सनहा भी लिखवाया लेकिन कोई सुरक्षा नहीं मिली. वे इस बात में नहीं जाना चाहते कि ऐसा किसके शह पर हो रहा है. वे कहते हैं कि जब रक्षक ही भक्षक बन जाए तो फिर किसके पास गुहार लगाई जाए.

मृत्युंजय अंत में शासन-प्रशासन से मांग करते हुए कहते हैं कि बिहार की भूमि संघर्ष, सामाजिक न्याय और प्रगतिशीलता की जमीन है. संजय कुमार पर हमला लोकतांत्रिक मूल्यों, संविधान और मानवता पर हमला है. हम पर और आप पर हमला है. बिहार के लिहाज से ये मॉब लिंचिंग का पहला हमला है. उनसे जब हमने पूछा कि इलाके के किन्हीं जनप्रतिनिधि (विधायक-सांसद) ने संपर्क करने की कोशिश की तो वे ना कहते हैं. हालांकि वे हमसे बताते हैं कि वे लोग वाइस चांसलर के रवैये और करप्शन से उन्हें पहले ही अवगत करा चुके हैं. वे कहते हैं कि विपक्ष के कई लोग लगातार उनके संपर्क में हैं. शरद यादव जहां लगातार संपर्क में हैं. वहीं कांग्रेस के राज्यसभा सांसद अखिलेश सिंह, राजद प्रदेश अध्यक्ष रामचंद्र पूर्वे, जेएनयू के पूर्व अध्यक्ष कन्हैया कुमार जैसे कई नेता प्रोफेसर संजय कुमार का हालचाल लेने के लिए अस्पताल आ चुके हैं.