लड़की पूछती है कि क्या उसे अंग्रेजी आती है, अगर नहीं आती है तो दिक्कत की बात है. लड़का कहता है कि उसे यह पता है पर वो कुछ नहीं कर सकता. लड़की कहती है कि वो आसानी से अंग्रेजी सीख सकता है, अंग्रेजी सीखना आसान है. लड़का पूछता है कि अगर वो अंग्रेजी सीख ले तो क्या उसे मैक डोनाल्डस में नौकरी मिलेगी?
लड़की कहती है कि अगर वो अंग्रेजी सीख ले तो उसे आसानी से कहीं भी नौकरी मिलेगी. लड़का कहता है कि उसे और कहीं नहीं सिर्फ मैक डोनाल्डस में नौकरी चाहिए. लड़की फिर पूछती है कि उसे अंग्रेजी सीखनी है या नहीं. लड़की उसका एक अंग्रेजी कोचिंग में दाखिला करा देती है, जहां से वो कमीशन खाती है, फिर वो लड़के को कहती है कि अगर वो न होती तो उसको ये अंग्रेजी सिखाने वाले लूट लेते.
लड़का साइकिल चलाता है… साइकिल पर लड़की को उसके घर तक छोड़ता है…लड़की कहती है कि हांगकांग में कोई किसी को अपनी साइकिल पर नहीं बिठाता है. लड़का कहता है कि जब वो लड़की के साथ होता है उसे लगता है कि वो चीन में है. लड़की उसी साइकिल पर बैठकर टेरेसा टेंग के गाने गाती है.
लड़का लड़की के लिए चॉकलेट लाता है, जेब में रखकर भूल जाता है और वो पिघल जाती है.लड़की कहती है कि वो उससे इतना अच्छा बर्ताव क्यों करता है, और पूछती है कि वो पिघली चॉकलेट कैसे खाए. लड़का कहता है कि चॉकलेट खाने के बाद भी तो पिघलती है, तो पिघली चॉकलेट भी खाई जा सकती है. लड़का लड़के को कहती है कि वो उसका सबसे अच्छा दोस्त है, और फिर वो चॉकलेट खा लेती है.
लड़का लड़की से पूछता है कि उसकी ब्रा इतनी टाइट क्यों हैं. लड़की कहती है क्योंकि उसके स्तन बड़े हैं. लड़की पूछती है कि वो अंडरवियर की जगह स्वीमिंग ट्रंक क्यों पहनता है. लड़का सिर्फ हंस देता है
नये साल का पहला दिन है…
लड़का कहता है खुशी के नाम
लड़की कहती है पैसे के नाम
लड़का कहता है लंबी उम्र के नाम
लड़की कहती है जैकपॉट के नाम
लड़का कहता है अच्छी सेहत के नाम
लड़की कहती है मर्सिडीज के नाम
लड़का कहता है बेहतर जिंदगी के नाम
लड़की कहती है दोस्ती के नाम
लड़का फिर कुछ नहीं कहता है…
हर व्यक्ति की जिंदगी में ऐसे मौके जरुर आते हैं जब वो सोचता है कि काश उस वक़्त मैंने कुछ और किया होता. कितनी ही बार होता है कि छोटी–छोटी गलतफहमियों के चलते कुछ ऐसा हो जाता है कि जिंदगी भर पछतावा होता है. आपसी रिश्तों में की गई मामूली गलतियां जिदगी भर शूल बनकर चुभती हैं. अहंकार से बड़ा प्यार का दुश्मन कोई नहीं होता. पर इस बात का एहसास होते- होते उम्र गुजर जाती है. ऐसा ही कुछ यहां पर होता है.
कॉमरेड्स: ऑलमोस्ट ए लव स्टोरी’ देखने के लिए भाषा की जरुरत नहीं पड़ती है. फिल्म चलती रहती है. परदे पर भी और देखने वाले के भीतर भी. अच्छी फिल्में आपके अंदर हलचल पैदा कर देती हैं. वो जो आपकी यादों पर बर्फ जमीं है उसमें दरारें पैदा कर देती हैं. आपकी सोच पर जमा कोहरा छंटने लगता है और आप अपने अंदर भावनाओं का एक बवंडर उठने लगता है. अच्छी फिल्मों को आप एक बार देखने लगें तो फिर कहानी में क्या हुआ उससे फर्क नहीं पड़ता है. अच्छी फिल्मों में आपको समय मिलता है कि आप दस मिनट के लिए खो जाएं और फिर वापस आएं तो कुछ भी न छूटा हो.
इस कहानी में लड़की लड़के को कॉमरेड कहती है. लड़का कम्युनिस्ट नहीं है. लड़की के समझ में भी नहीं आता है. शहर में साइकिल चलाता है. फ्री में उसके काम करता है. जिंदगी में कोई अरमान नहीं है. पैसे के बारे में ज्यादा नहीं सोचता है. लड़का चीन से भी है, और चीन भी गरीब वाला और माओ वाला. इसलिए लड़का कॉमरेड हो जाता है.
लड़की एकदम उलट है. बीस घंटे काम करती है. दिनभर मेहनत करती है. नए- नए बिजनेस खोलती है. शेयर बाजार में पैसा लगाती है. किसी से भी भिड़ जाती है. लड़की के लिये चीन गरीब है इसलिए वो चीन से दूर भागकर हांगकांग को अपना रही है. लड़का हांगकांग में ही अपना चीन बसा रहा है. ये दो लोग हैं जो एक–दूसरे से प्यार करते हैं फिर भी न जाने क्यों इनकी प्रेम कहानी बनते- बनते रह जाती है.
अगर किसी शहर के सिनेमाकारों ने अपने शहर को पूरे दिल से सिनेमा के पर्दे पर उतारा है तो वो सिर्फ हांगकांग है. बंबई वाले लालच में रह गए. लॉस एंजिल्स वाले टशन में रह गए और पेरिस वाले ज्ञान में रह गए. हांगकांग के सिनेमा में हीरो और विलेन दोनों समय ही है, और बाकी सब किरदार बस जी रहे हैं. हर बार हीरो और हीरोइन मिलने वाले होते है कि समय खेल कर जाता है. एक वक्त पर चीन से हर कोई हांगकांग भाग रहा है, पांच साल बाद हांगकांग से सब अमेरिका भाग रहे हैं. दस साल बाद अमेरिका से लोग चीन भाग रहे हैं. जो इधर–उधर भागे वो भी वहीं पहुंचे जहां वो लोग पहुंचे जो कहीं नहीं गए. पर किसी ने अपने आप को कम खोया और किसी ने बहुत ज्यादा. और कभी शंघाई और कभी बर्लिन.
फिल्म में भी सब भागते रहते हैं. फिल्म दस साल की कहानी है. इस बीच में लड़का–लड़की मिलते और बिछड़ते रहते हैं. दोस्त बनते हैं और फिर नहीं रहते हैं. अमीर होते हैं और फिर दिवालिया हो जाते हैं. पुराने दोस्त छूटते जाते हैं. बुजुर्ग मरते जाते हैं. साइकिल की जगह कार आती है, कार की जगह वापस साइकिल आती है. नए लोग शहर में आते हैं, पुराने लोग शहर से जाते हैं. वो सब कुछ होता है, जो दस साल के भीतर होना चाहिए था. यह फिल्म प्यार के बारे में है. विस्थापित लोगों के प्यार के बारे में है. उन दोनों के बीच में कॉमन यही था कि दोनों चीन से हांगकांग आए थे और जीने की कोशिश कर रहे थे. अगर वो यहां आए ही न होते तो न दोनों मिलते, और न वो सब कुछ हुआ होता जो हुआ. विस्थापन न होता तो प्यार भी न होता.
यह फिल्म उन लोगों के लिए है जिन्होंने जीने के लिए अपना शहर छोड़ा है और जिन्होंने प्यार को ढूंढने की कोशिश की है. जिनके दिल नहीं पिघलते वो इस फिल्म को देख नहीं पाएंगे. फिल्म भले ही हांगकांग की हो, पर एक बिहार के व्यक्ति पर भी उतना ही असर करेगी जितना एक चीन वाले पर. अपना घर छोड़कर जाने वालों की कहानी एक सी होती है.
रही बात फिल्म की तो फिल्म बेहतरीन है. पीटर चैन की फिल्म है. Maggie Cheung और Leon Lai ने मुख्य किरदार निभाए हैं. Maggie Cheung इससे पहले Wong Kar-wai के साथ ‘डेज ऑफ बिइंग वाइल्ड’ और ‘एज टियर्ज गो बाय’ जैसी फिल्में कर चुकी थी. इसके बाद ‘इन द मूड़ फोर लव’ सिनेमेटोग्राफी बेहतरीन है. म्यूजिक बेहद शानदार है. पूरी फिल्म में आपको टेरेसा टेंग के गानों की छाप सुनाई पड़ेगी. फिल्म का नाम भी टेरेसा के एक गाने से लिया गया है. फिल्म की भाषा कैंटोनीज़ है पर सबटाइटल्स मिल जाते हैं. इस फिल्म में शहर के बिना प्यार नहीं हो सकता. प्यार न हो तो शहर फिर शहर नहीं लगता. एक वक्त पर नायक और नायिका के पास सिर्फ प्यार होता है, पर शहर से जूझ रहे होते हैं. कुछ सालों बाद शहर उन्हें अपना लेता है, पर वो प्यार ढूंढ रहे होते हैं. दोबारा प्यार करने के लिए उन्हें नए शहर में जाना पड़ता है. कुछ साल बाद हर शहर आपको काट खाने को दौड़ता है. आप या तो नए शहर की तरफ भाग रहे होते हो या फिर अपने गांव की तरफ. अगर आपने शहर या प्यार, किसी को भी महसूस किया हो तो कहीं से भी कहीं पर जाते हुए ये फिल्म जरूर देखिएगा.