मैं तो चाहता हूं कि तेजस्वी पुलिस की लाठियां खाएं, जेल जाएं- शिवानंद तिवारी

मैं तो चाहता हूं कि तेजस्वी पुलिस की लाठियां खाएं, जेल जाएं- शिवानंद तिवारी

बीते रोज राष्ट्रीय जनता दल ने पटना में अपना २३वां स्थापना दिवस मनाया. पार्टी के लगभग सारे बड़े नेतागण (माइनस तेजस्वी यादव) मौके पर मौजूद थे. मौके पर मौजूद राजद के वरिष्ठ नेता शिवानंद तिवारी ने मंच के माध्यम से तेजस्वी को नसीहत दे डाली. उनकी नसीहत चारों तरफ सुर्खियों में आ गई है.

उन्होंने कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए कहा कि आप (तेजस्वी) खुद को शेर का बच्चा कहते हैं, तो मांद से बाहर निकलिए. जेल जाइए. नीतीश की पुलिस की लाठियां खाइए. पीछे मत हटिए. अभी आपकी उम्र ही क्या है? लालू प्रसाद यूं ही पूरे प्रदेश व देश के नेता नहीं बने. लालू प्रसाद उनके मित्र हैं और वे भी चाहते हैं कि आप (तेजस्वी) मुख्यमंत्री बनें लेकिन उसके लिए संघर्ष करना होगा. बैठने से कुछ नहीं होगा.

शिवानंद तिवारी द्वारा कही गई इसी बात को मीडिया के एक धड़े ने उछालना शुरू कर दिया है. उनका कहना है कि शिवानंद तिवारी ने तेजस्वी को फटकार लगाई है. मीडिया के ऐसा कहने पर शिवानंद तिवारी ने आज प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि वे पार्टी के सीनियर नेता हैं और उस नाते तेजस्वी को समझाना उनका काम है. वे आगे भी ऐसा बोलना जारी रखेंगे.

राबड़ी देवी ने विधायकों को फटकारा
गौरतलब है कि राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद की अनुपस्थिति में मंच संभाला और बोलीं कि पार्टी के कार्यकर्ताओं और विधायकों को डरने की जरुरत नहीं. उन्होंने कहा कि जब जीना है तो क्या डरना है. मीडिया भी एकतरफा न्यूज छापती है. मंच पर तेज प्रताप यादव भी मौजूद थे.

राबड़ी देवी- तस्वीर क्रेडिट- पीटीआई

उन्होंने आगे कहा कि प्रसाद को बिना किसी दोष के जेल में डाले हुए है. पार्टी के नए विधायक पढ़ नहीं रहे. सदन की कार्यवाही मे रुचि नहीं ले रहे. पुराने लोग तो पार्टी और पॉलिटिक्स समझते हैं. नए लोगों को समझने की जरुरत है.

रघुवंश प्रसाद ने भी संघर्ष के लिए ललकारा
राजद के २३वें स्थापना दिवस के मौके पर राजद के वरिष्ठ नेता व पूर्व केंद्रीय मंत्री रघुवंश प्रसाद सिंह ने संघर्ष और संगठन के महत्व को मंच के माध्यम से उठाया. उन्होंने कहा कि संघर्ष और संगठन साथ-साथ चलते हैं और वे इस राह से डिगने वाले नहीं.

रघुवंश प्रसाद सिंह

राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद की अनुपस्थिति में मंच के माध्यम से वे बोले कि जेल और फावड़ा संघर्ष के बिम्ब हैं और तब आता है वोट. २०२० के चुनाव में अभी १५ महीने का समय है और वे एड़ी-चोटी का जोर लगाने के लिए तैयार हैं. कार्यकर्ता भी तैयार रहें.