बिहार (मुजफ्फरपुर) के कुख्यात – मुजफ्फरपुर शेल्टर होम – मामले में बीते रोज फैसला आया. दिल्ली के साकेत कोर्ट ने इस मामले में मुख्य आरोपी ब्रजेश ठाकुर समेत 19 लोगों को दोषी करार दिया. सजा 28 जनवरी को सुनाई जाएगी. इस फैसले के दौरान थोड़ी देर के लिए अदालत में ड्रामा भी देखने को मिला और दोषी करार दिया गया रवि रोशन अदालत में रोने लगा और आत्महत्या करने की धमकी दे दी. इसके बाद जज ने उसके वकील को बुलाकर समझाने और बाहर ले जाने का निर्देश दिया.
यह बात आम है कि दोषी करार दिए गए लोग अब इस फैसले को हाईकोर्ट मे चुनौती देंगे. यह एक ऐसा मामला था जिसने सिर्फ बिहार ही नहीं बल्कि पूरी मानवता को शर्मसार किया. यह मामला इसलिए भी जघन्यतम माना गया क्योंकि लड़कियां सरकारी संरक्षण में रह रही थीं. उनका भरोसा टूटा. इस मामले में आरोपियों पर ‘POCSO Act’ के तहत मामला चलाया गया क्योंकि मामला कई नाबालिग लड़कियों से जुड़ा था.
सुशासन तक पहुंची आंच…
यहां हम आपको बताते चलें कि इस पूरे मामले की आंच बिहार सरकार के कई मंत्रियों तक पहुंची. इस मामले में मुख्य आरोपी ब्रजेश ठाकुर की – नीतीश सरकार में मंत्री पद संभाल रही मंजू वर्मा के पति से निकटता थी. निकटता की वजह से अव्वल तो मंजू वर्मा ने अपने पद से इस्तीफा दिया और बाद में उन्हें पार्टी से निलंबित कर दिया गया.
कौन दोषी और कौन निर्दोष?
मुजफ्फरपुर बालिका गृह से जुड़े इस मामले में साकेत कोर्ट ने ब्रजेश ठाकुर, इंदु कुमारी, मीनू देवी, मंजू देवी, चंदा देवी, नेहा कुमारी, हेमा मसीह, किरण कुमारी, रवि कुमार रोशन, विकास कुमार, दिलीप कुमार वर्मा, विजय कुमार वर्मा, विजय कुमार तिवारी, गुड्डू कुमार पटेल, किशन कुमार उर्फ कृष्णा, रोजी रानी, डॉ अश्विनी उर्फ आसमानी, रामानुज ठाकुर, रामाशंकर सिंह व साइस्ता परवीन उर्फ मधु को दोषी करार दिया जबकि विक्की को निर्दोष बताया गया.
कैसे हुआ था मामले का खुलासा?
गौरतलब है कि मुंबई के टाटा सामाजिक विज्ञान संस्थान (TISS) द्वारा सरकार को सौंपी गई रिपोर्ट के आधार पर इस मामले का खुलासा हुआ था. इस रिपोर्ट के आधार पर ही खबरिया चैनलों और अखबारों ने रिपोर्टिंग शुरू की. इस मामले की कई परतें खुलने लगीं. इस पूरे मामले को बीबीसी वेबसाइट के लिए रिपोर्ट करने वाले नीरज प्रियदर्शी कहते हैं, ‘TISS की रिपोर्ट आने के बाद तो सारा मामला खुल गया था. बच्चियों के बयान के आधार पर ही जांच आगे बढ़ी. हालांकि, अभी दोषी करार दिए गए लोग किस हद तक दोषी हैं और उन्हें कितनी सजा मिलेगी. यह बात 28 जनवरी को ही पता चलेगी.’
अंत में इस बात को स्पष्ट रूप से कहने और लिखने की जरूरत है कि सीएम नीतीश कुमार के कथित सुशासन को मुजफ्फरपुर बालिका गृह मामले ने खासा बदनाम किया. उनकी इमेज को डेंट लगा, और इस पूरे मामले के प्रकाश में आने के बाद भी बिहार के बालिका गृहों की स्थिति में कोई आमूलचूल परिवर्तन तो नहीं ही आया है.