बिहार- 90 हजार से अधिक प्रारंभिक शिक्षकों की भर्ती प्रकिया पर हाईकोर्ट ने लगाई रोक

बिहार- 90 हजार से अधिक प्रारंभिक शिक्षकों की भर्ती प्रकिया पर हाईकोर्ट ने लगाई रोक

पटना हाईकोर्ट ने राज्य के प्राइमरी स्कूलों में 90 हजार से अधिक शिक्षकों की भर्ती प्रक्रिया पर तत्काल रोक लगा दी है. साथ ही राज्य सरकार से 4 सितम्बर तक जवाब तलब किया है. कोर्ट ने इस बीच किसी भी नियोजन इकाई द्वारा कोई अंतिम चयन सूची न जारी करने के निर्देश के साथ सरकार से यह बताने को कहा है कि क्या विज्ञापन निकालने के बाद भी नियमों में बदलाव किया जा सकता है?

पूरा मामला क्या है?

यह पूरा मामला दिसंबर 2019 में उत्तीर्ण हुए संयुक्त टीईटी अभ्यर्थियों को इस नियोजन प्रकिया में शामिल न किए जाने से जुड़ा हुआ है. दरअसल जून 2019 में शुरू हुई इस नियोजन प्रकिया में 21 मार्च 2020 तक अभ्यर्थियों को नियोजन पत्र दे देना था, लेकिन इस नियोजन प्रकिया में दिसंबर 2019 में उत्तीर्ण हुए अभ्यर्थियों को नहीं शामिल किया गया था.

बाद में 21 जनवरी को पटना हाईकोर्ट ने एक रिट याचिका की सुनवाई के बाद दिसंबर 2019 में टीईटी उत्तीर्ण अभ्यर्थियों को भी शामिल करने का आदेश दिया था. कोर्ट के उस फैसले के आलोक में शिक्षा विभाग ने 8 जून को नई अधिसूचना जारी करते हुए दिसंबर 2019 में उत्तीर्ण हुई संयुक्त टीईटी अभ्यर्थियों को भी आवेदन देने का मौका दिया था. लेकिन, इसके बाद शिक्षा विभाग ने 15 जून को जारी अपने विभागीय आदेश में यह स्पष्ट किया कि इस नियोजन में दिसंबर 2019 में उत्तीर्ण हुए टीईटी अभ्यर्थियों को मौका नहीं मिलेगा.

राज्य में कहां कितना पद खाली?

दैनिक भास्कर की खबर के अनुसार,  दरभंगा में सबसे अधिक 8244 पद रिक्त हैं. इसके बाद मुजफ्फरपुर में 4806, गया में 2502, पटना में 2272 और भागलपुर में 2012 पद खाली हैं. वहीं शिवहर में सबसे कम 337 पद रिक्त हैं. कक्षा 5 तक की कक्षाओं के लिए सामान्य विषयों में 46870 पद रिक्त हैं. उर्दू शिक्षकों के 14662 और बांग्ला के 135 पद की रिक्ति बतायी गई है. कक्षा 6 से 8 तक की कक्षाओं के लिए गणित व विज्ञान विषय के 6919, हिन्दी 5734, संस्कृत 4499, अंग्रेजी 3687, उर्दू 2739 और सामाजिक विज्ञान में 2536 शिक्षकों की नियुक्ति होनी है.

बता दें कि नीरज कुमार व अन्य याचिकाकर्ताओं ने राज्य सरकार के 15 जून के आदेश को मनमाना तथा कोर्ट के आदेश की अवहेलना बताते हुए कोर्ट में रिट याचिका डाला था. साथ ही कोर्ट से मांग की थी कि इस आदेश को असंवैधानिक मानते हुए निरस्त किया जाए. इसी मामले पर सुनवाई करते हुए न्यायाधीश डॉ. अनिल कुमार उपाध्याय की एकल पीठ ने राज्य सरकार को कहा है कि अगर संभव हो तो वो इस मामले में कानूनी संशोधन कर इस पूरे विवाद पर विराम लगा सकती है. फिलहाल इस मामले पर अगली सुनवाई चार सितंबर को होगी.

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