बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के विश्वासपात्र आर सी पी सिंह को जनता दल (यूनाइटेड) का नया अध्यक्ष चुन लिया गया है. आरसीपी सिंह का पूरा नाम रामचंद्र प्रसाद सिंह है.
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने ही सिंह का नाम पार्टी के शीर्ष पद के लिए प्रस्तावित किया था, जिस पर पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारी बैठक में अन्य सदस्यों ने मुहर लगा दी. सिंह भारतीय प्रशासनिक सेवा के पूर्व अधिकारी हैं.
सिंह का ताल्लुक नालंदा जिले के मुस्तफापुर से है और वहीं से उनकी शुरुआती पढ़ाई-लिखाई हुई. उन्होंने पटना साइंस कॉलेज से 12वीं और पटना कॉलेज से इतिहास विषय में बीए की डिग्री हासिल की. इसके बाद वे पढ़ाई के लिए दिल्ली गए और वहां जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) के ‘इंटरनेशनल रिलेशन’ पाठ्यक्र में एम ए के छात्र रहे और डिग्री प्राप्त की.
पिछले कई वर्षों से आरसीपी सिंह पार्टी से जुड़े अहम फैसले लेते रहे हैं, चाहे वह चुनावी रणनीति तैयार करने से जुड़ा हो या फिर सरकारी नीतियों या पार्टी के भीतर की गतिविधियां का मामला हो. ऐसा कहा जाता है कि नीतीश कुमार एक अधिकारी के तौर पर आरसीपी सिंह की काबिलियत से प्रभावित थे और जब रेल मंत्री बने तो सिंह को विशेष सचिव बनाया और इसके बाद जब नीतीश कुमार बिहार की मुख्यमंत्री कुर्सी पर आसीन हुए तो वह सिंह को बिहार ले आए और प्रमुख सचिव पद की जिम्मेदारी उन्हें सौंप दी.
आपको बता दें कि नीतीश कुमार और आरसीपी सिंह दोनों कुर्मी जाति से ताल्लुक रखते हैं. राजनीति में जातियों के अपने समीकरण होते हैं. नीतीश ने इससे पहले राज्य में पार्टी का कोई अध्यक्ष इस जाति से नहीं चुना था. राज्य की सबड़े बड़ी विपक्षी पार्टी राजद की कमान लालू प्रसाद के बाद उनके बेटे तेजस्वी यादव के पास है और जदयू वंशवाद को लेकर राजद पर हमलावर भी रहती है और उसे एक ही परिवार की पार्टी बताती है. वहीं नीतीश कुमार पर हाल के समय में राजनीति और प्रशासन में कुर्मी जाति को ज्यादा तवोज्जो देने के आरोप भी लगे हैं.
हाल में संपन्न विधानसभा चुनाव में मुंगेर में अक्टूबर में दुर्गा प्रतिमा विसर्जन के दौरान लोगों और पुलिस के बीच झड़प हो गई और इस घटना का एक वीडियो भी वायरल हुआ था जिसमें पुलिस लोगों को पीटती हुई नजर आई थी और पुलिस की कथित फायरिंग में एक व्यक्ति की मौत हो गई थी. यहां की एसपी लिपि सिंह पर आरोप लगे थे कि उन्हीं के आदेश पर पुलिस ने गोली चलाई. चुनाव के माहौल के बीच यह मामला सियासी हो गया था और इसको लेकर विपक्षी दलों ने जद(यू) पर निशाना साधना शुरू किया था क्योंकि लिपि सिंह आरसीपी सिंह की बेटी हैं.