मानव श्रृंखला निर्माण या लालटेन जलवाना, आइडिया की कमी या दुश्मन के तीर से उसी का शिकार?

मानव श्रृंखला निर्माण या लालटेन जलवाना, आइडिया की कमी या दुश्मन के तीर से उसी का शिकार?

तीन केन्द्रीय कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली से सटी सीमाओं पर किसान आंदोलन अभी भी जारी है. सरकार और किसानों के बीच लगातार कई दौर की बातचीत हुई लेकिन बेनतीजा रही. किसान चाहते हैं कि कृषि कानूनों को वापस लिया जाए जबकि सरकार संसोधनों के साथ बात को रफा-दफा करना चाह रही है. ऐसे में किसान संगठनों और सरकार के बीच जारी गतिरोध को लेकर बिहार का विपक्ष भी लगातार हमलावर है.

बीते विधानसभा में महागठबंधन का चेहरा व राजद के नेता तेजस्वी यादव फुल फॉर्म में नजर आ रहे हैं. कभी वो कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन करते दिखाई देते हैं तो कभी सोशल मीडिया के माध्यम से सरकार की आलोचना कर रहे होते हैं. 8 दिसंबर को कृषि कानून के खिलाफ हुए भारत बंद में राजद ने मुख्य विपक्षी पार्टी होने के नाते बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया. एक बार फिर तेजस्वी यादव ने किसानों के समर्थन में और तीन केन्द्रीय कृषि कानूनों के खिलाफ बिहार में 30 जनवरी को हर जिले, ब्लॉक और पंचायत स्तर पर मानव श्रृंखला बनाने की बात कही है. महागठबंधन में शामिल तमाम दल इस मानव श्रृंखला में साथ रहेंगे. .

30 जनवरी को पूरे प्रदेश में बनाई जाने वाली मानव श्रृंखला के लिए राजद के लोग बैठकें कर रहे हैं. इन बैठकों में किसान आंदोलन पर महागठबंधन की रणनीति को लेकर चर्चा जारी है. 24 जनवरी को कर्पूरी ठाकुर जयंती से लेकर 30 जनवरी को शहीद दिवस तक राजद ने किसान जागरण सप्ताह मनाने की बात भी कही है, और सप्ताह के अंत में राजद और महागठबंधन में शामिल दल मानव श्रृंखला बनाकर कृषि कानूनों का विरोध करेंगे.

तेजस्वी यादव ने बिहार विधानसभा चुनाव से कुछ महीने पहले बिहार में बढ़ती बेरोजगारी के खिलाफ 9 अगस्त को 9 बजे 9 मिनट का सांकेतिक विरोध किया था. राजद नेता तेजस्वी यादव ने लोगों से अपील की थी कि रात के नौ बजे नौ मिनट के लिए सभी अपने घर में बल्ब आदि बन्द कर के लालटेन और दीये जलाएं. 2020 में ही मार्च के महीने में कोरोना संक्रमण से लड़ाई में प्रधानमंत्री ने पूरे भारतवासियों से घर की लाइट बन्द कर के अपने फोन का टॉर्च, मोमबत्ती और दीपक आदि जलाने के लिए कहा था.

लालटेन जलाकर और जलवाकर एनडीए सरकार की नीतियों का किया था विरोध-

तेजस्वी यादव और उनके दल पर उनके विपक्षी ऐसे आरोप लगातार लगाते हैं कि वे आइडिया कॉपी करते हैं. उनके पास जब सत्तापक्ष का विरोध करने तक के लिए अपना अलहदा आइडिया नहीं है तो वे सत्ता कैसे संभालेंगे? यह तुलना इसलिए भी अधिक होती है क्योंकि उनके पिता और राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद अपने ठेठ व गवंई अंदाज को लेकर हमेशा सुर्खियों में रहते थे. चाहे गाड़ी के मुकाबले टमटम निकालना हो या फिर उनके विधायकों को तोड़ने की कोशिश पर रिक्शा से राजभवन चले जाना-

ज्ञात हो कि बीते वर्ष लगभग यही समय और जनवरी का महीना था जब बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने “जन जीवन हरियाली” के तहत मानव श्रृंखला बनवाई थी. इसकी शुरुआत पटना के गांधी मैदान में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, उस समय के उपमुख्यमंत्री रह चुके सुशील कुमार मोदी समेत राज्य सरकार के कई मंत्रियों ने की थी.

ऐसे में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव की ओर से एनडीए के विरोध के लिए उनके ही तौर-तरीकों का इस्तेमाल करने के कई निहितार्थ तलाशे जा रहे हैं. क्या नेता प्रतिपक्ष वाकई आइडिया के लेवल पर कंगाल हैं या फिर वे एनडीए के आइडिया से ही एनडीए का शिकार करना चाहते हैं? बाद बाकी उनका ऐसा करना मीडिया से लेकर सत्तापक्ष तक को उलझन में तो जरूर डाले रहता है-

यह खबर/रिपोर्ट शाम्भवी वत्स ने लिखी है, शाम्भवी पटना यूनिवर्सिटी से पत्रकारिता में स्नातक हैं. इन दिनों ‘द बिहार मेल’ के साथ बतौर इंटर्न काम कर रही हैं—