इस महामारी में डॉलफिन्स ने मुझे बड्डे विश किया…

इस महामारी में डॉलफिन्स ने मुझे बड्डे विश किया…

एक बात बताऊं, मैंने आजतक ना अपनी हाइट नापी है, ना वजन तोला है और ना ही कभी उम्र गिनी है, यह सारी चीजें कागजी हैं, इंसान असल में इन सबसे अलग ही कुछ होता है.  पैदा हुआ था तो बनारस में दंगे हो रहे थे. मां कर्फ्यू में पैदल चलके गई. शाम को 6 बजकर 35 मिनट पे मैं पैदा हुआ. अब ना मैं दिन का हूं, ना रात का.  शाम का बच्चा हूं.  कल गोवा के तालपोना बीच में बैठे-बैठे मुझे ये अहसास हुआ कि पैदा मैं तो नहीं हुआ अकेले. उस दिन मां भी पैदा हुई. पहला बच्चा कभी अकेले नहीं पैदा होता. अपनी तारीफ खुद ही कर लो यार. रिजल्ट देखने में क्या मजा, वैसे ही अपना बड्डे खुद सेलिब्रेट करने में क्या मजा.

घर छोड़ा. कोरोना हो हो कर रहा था. लेकिन निकल गए. पता नहीं किधर. गोवा के बारे में कभी सोचा भी नहीं था. ‘अबे गोवा… बड़े लोगों की चीज है बे. पहाड़ जा, दाल चावल खा… सही है वही सब तेरे लिए. आए बड़े गोवा जाने वाले।’ कहां मछली-बियर और समंदर के चक्कर में पड़ा है. ना ही मुझे समंदर से कभी प्यार हुआ. मैं तो नहरों नदियों की जमीन से आता हूं.

Mobor Beach Goa

ऐसा करता हूं थोड़ा स्लो हो जाता हूं

मैं ना बहुत तेज हू. हर पल कहीं ना कहीं जाने का आदी.  मझे खुद को नहीं पता. 22 नवंबर को मेरा बड्डे था. एक दो दिन पहले ही मेरी आत्मा शांत हो गई. यार आज तक कुछ प्लान नहीं किया. कई तो जीवन में लोग इसलिए छोड़कर चले गए कि पीडी, तेरा कोई प्लान नहीं है तो फिर बड्डे क्या प्लान करेंगे. यहीं रहते हैं. ‘बीयर खेंचते हैं और क्याययय’ लेकिन फिर आया बायो लुमिनस…. वो ना समंदर के जुगनू कह लो. यानी किनारे से समंदर नीला नीला. अबे यार ऐसा कैसे? लेकिन ऐसा है. मैंने देखा. बड्डे से दो दिन पहले हम betalbatim बीच गए. देखा यार… यहां के किनारों पर तो  बायो लुमिनस हैं. ये छोटे छोटे जीव होते हैं, जो समंदर में होते हैं. जिन किनारों पर अंधेरा दबाकर होता है यानी इंसान दिल जहां डर जाते हैं वहां बायो लुमिनस देखने को मिल सकता है. हमने देखा हम सारी रात वहीं रहे. सुबह-सुबह आ गए। अगले से अगले दिन मेरा बड्डे था.

फिर रात देखी

अगोंडा बीच के पास एक बीच हमने खुद का बना लिया है. उधर कोई नहीं आता. मैं और तुषार भाई ही जाते हैं. ऐसा मैं सोचा था. लेकिन वहां गए तो शैलेश बैठा था. वो नेपाल से है और यहां योगा सीखाता है उसने बॉब मारले का गांजा गांजा गाना बजा दिया. वो गाने लगा. रात हो गई थी बहुत. गिटार बज रहा है.  मैं, तुषार और शैलेश और उसकी दोस्त चारों झूम रहे हैं. फिर इस बीच में भी बायो लुमिनस दिख गए. अरे अभी तो 9 बजे हैं. हमारे पास चादर थी. बिछाई बैठ गए. फिर वो दोनों चले गए. हमने 2 बजे तक अपने अगोंडा बीच के पास वाले बीच में बायो लुमिनस देखे. चांद ने रंग बदल लिया नीला हो गया. रात को बड़े दिनों बाद देखा था. 12 बज गए पीडी… तेरा बड्डे देख लहरों ने मोमबती जला रखी है. बायो लुमिनस के बारे में तुषार भाई बोले.

लहरों ने मेरे बड्डे वाले दिन थप्पड़ मारे

गोवा में दो-तीन महीनों में पड़े हुए मैंने लहरों को थोड़ा सा जान लिया है. बचपन से पानी साथ है. नदियां नहरें जिंद जान हैं। तो हुआ ये कि मैंने और मेरे दोस्त ने सुबह 8 बजे पालोलेम बीच से ले ली कयाक. कयाक एक किश्ती होती है. हमने दो लोगों वाली ले ली. हालांकि इससे पहले भी हम कयाकिंग कर चुके थे. तो हमने खुद ही कयाक उठाई. सैमसन भाई (जो कयाक के मालिक हैं) उन्होंने हैव ए नाइज डे बोलकर लहरों की ओर हाथ किया. चार बार लहरों ने थप्पड़ मारे. सारा जिंदगी ना मिलेगी वाला भूत उतारा. फिर मन में बजने लगा लहरों से डरकर नौका पार नहीं होती. फिर लहरों ने गिरा दिया। खुद को मोटिवेट करने के गिरे… फिर उठे. लहरों से डरना काहे का. फिर कुछ ऐड़ी चाड़ी (जुगाड़) करके हम चढ़ ही गए. तुषार भाई… वन टू, वन टू. और हम समंदर के अंदर. कयाकिंग करते हुए.

डॉलफिन्स ने बोला हैप्पी बड्डे प्रियो

अब भाई… हमने पहले भी यहां डॉलफिन्स देखी हैं. ये सब मैंने जिंदगी में गोवा आने के बाद देखा और वो भी लॉकडाउन में. आज भी उम्मीद थी कि डॉलफिन्स दिखेंगी. मेरे दिल में चल रहा था कि यार रात को बायोलूमिनस देख लिया. जिंदगी में कभी सोचा था कि ऐसे बीच में रूकूंगा जहां ‘कास्ट अवे’ फिल्म वाली फिलिंग आ जाएगी. दुनिया से अलग एक छोटा सा बीच… जहां दिन में नहीं जाते लोग वहां रात रूक आए थे हम. पर समंदर के अंदर मेरे मन में चल रहा था कि आज तो यार दर्शन हो ही जाएं. पर ऐसा कुछ नहीं था. बहुत देर हो गई. बार बार मोटर बोट पर बैठकर लोग आएं. और डॉलफिन्स वहां से शायद चली गई. अब आत्ममंथन रखा था चल, वो भी समंदर में. कि अबे पीडी यू आर नॉट ए प्योर सोल मैन. तू नैचुरल नहीं है. या तू डॉलफिन्स के माफिक उनके लेवल पर नहीं आया है. मैं कयाकिंग कर रहा हूं. पूरे समंदर में हम दोनों और बिलकुल मेरे पीछे से आई डॉलफिन्स की फैमिली और उन्होंने एक जंप लेते हुए सांस लिया… मुझे सुना हैप्पी बड्डे प्रियो.

मेरे पास दिखाने को कोई फोटो नहीं है। ये बस मैं बता सकता हूं। गोवा कभी भी आओ… तो पहले मारियो मिरांडा को पढ़ो. उम्मीद है कि एडिटर्स मेरे इस आर्टिकल के बाद मुझे मारियो के गांव की यात्रा के बारे में भी लिखने का मौका जरूर देंगे.

नोट:  ऊंचे-लंबे कद वाले सजीले नौजवान और कभी विदेशी भी कह दिए जाने वाले प्रियोदत्त उर्फ पीडी ने यह आलेख लिखा है. दिल्ली की गलियों में पठानी कपड़े डाल ठाठ से घूमता है और किस्सागोई का खासा शौकीन है. गाने में जैसे फ्यूजन होता है न! पीडी वैसे ही कई संस्कृतियों का मेल अपने साथ लेकर चलता है…