भारत में ऑक्सफोर्ड के कोविड-19 टीके ‘कोविशिल्ड’ और भारत बायोटेके के ‘कोवैक्सीन’ के सीमित आपात उपयोग की मंजूरी मिल गई है. दुनिया की सबसे बड़ी टीका निर्माता कंपनी सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया ने कोविशील्ड के उत्पादन के लिए एस्ट्राजेनेका के साथ करार किया है.
भारत अब दुनिया के उन देशों की सूची में शामिल हो गया है, जिन्होंने अपने देशों में टीके के आपात इस्तेमाल की अनुमति दी है. सरकार यह कह चुकी है कि शुरूआती चरण में उन तीन करोड़ लोगों को टीका दिया जाएगा जो कोविड-19 के खिलाफ जंग में अग्रिम मोर्चे पर हैं.
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्ष वर्धन कह चुके हैं कि अग्रिम मोर्चे पर काम करनेवालों (तीन करोड़ लोगों) को मुफ्त में टीका दिया जाएगा. वहीं मंत्री ने यह भी कहा कि आगे प्राथमिकता वाली श्रेणियों के 27 करोड़ लोगों को जुलाई तक कैसे टीका लगाया जाएगा, इसके बारे में भी निर्णय लिया जा रहा है. सरकार की योजना अगस्त 2021 तक टीकाकरण के पहले चरण को पूरा कर लेने की है. हालांकि देश के भीतर ही कई टीके बन रहे हैं और बाहर के देशों में भी कई टीके लोगों को लगने शुरू हुए है तो चीजें अभी कुछ समय बाद ही इस संबंध में स्पष्ट होंगी.
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री- हर्ष वर्धन
देश के विभिन्न राज्यों में टीकाकरण पूर्वाभ्यास( ड्राई रन) शुरू हो चुका है. टीकाकरण का पूर्वाभ्यास आंध्र प्रदेश, गुजरात, पंजाब, बिहार, दिल्ली, झारखण्ड, उत्तर प्रदेश, केरल, महाराष्ट्र समेत कई राज्यों में हुआ है और यह सफल रहा.
क्या है ड्राई रन?
ड्राई रन टीकाकरण की एक प्रक्रिया है, इसके तहत टीका उपलब्ध होने की स्थिति वाली प्रक्रियाओं को पूरा किया जाता है और इस दौरान अगर कोई खामी पाई गई तो उसे दूर किया जाता है. ड्राई रन में व्यक्ति अपने नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र में जाएगा. यहां उस व्यक्ति को सेनिटाइजेशन की प्रक्रिया से गुजरना होगा. उसकी थर्मल स्क्रीनिंग की जाएगी, उनकी आईडी की जांच होगी, फिर टीका दिया जाएगा और उस व्यक्ति को आधे घंटे तक डॉक्टर की निगरानी में रखा जाएगा. इसके तहत जिन व्यक्तियों को टीका लगना है, उनकी एक सूची बना ली जाएगी. इसी सूची के आधार पर उन्हें पूर्व में ही फोन के जरिए सूचना मिल जाएगी.
राज्य कोल्ड–चेन की भी तैयारी कर रहे
टीकों के रखरखाव के लिए शीत श्रृंखला प्रणाली (कोल्ड चेन) विकसित की जाती है. टीके की क्षमता को बनाए रखने के लिए उसे एक निर्धारित तापमान में रखा जाता है. टीकों को रखने के लिए स्टोर तैयार हो रहे हैं. कर्मियों को इसके संबंध में प्रशिक्षण भी दिया गया है. अब इस संबंध में बिहार की बात करें तो बिहार राज्य के स्वास्थ्य समिति के अनुसार पटना स्थित नालंदा मेडिकल कॉलेज अस्पताल परिसर में तीन मंजिले भवन में कोल्ड स्टोरेज की व्यवस्था है, जहां पहले से ही विभिन्न टीकाकरण अभियानों के तहत अलग–अलग रोगों के टीके रखे जाते रहे है.
ऑक्सफोर्ड–एस्ट्राजेनेका का टीका वायरस के नए रूप पर कितना कारगर?
एस्ट्राजेनेका के मुख्य कार्यकारी पास्कल सोरियट ने दावा किया है कि ऑक्सफोर्ड–एस्ट्राजेनेका द्वारा तैयार यह टीका ब्रिटेन में फैले कोरोना के नए रूप पर भी कारगर होगा. आपको बता दें कि कोविड-19 के टीके की दो खुराक लोगों को लेनी होगी और ऐसा नहीं है कि पहली खुराक किसी और टीके की ले ली और दुसरी खुराक किसी और टीके की.