बिहार में चुनाव की घोषणा के साथ लाठी-डंडे की जोर आजमाइश शुरू

बिहार में चुनाव की घोषणा के साथ लाठी-डंडे की जोर आजमाइश शुरू

चुनाव आयोग ने शुक्रवार को बिहार विधानसभा चुनावों की तारीखों का ऐलान कर दिया। अक्टूबर, नवंबर को तीन चरणों में चुनाव करवाए जाएंगे। हालांकि, शुक्रवार को कृषि विधेयकों को लेकर  बंद के दौरान राजधानी पटना में जमकर लात-घूसे और लाठियां चली और इस तरह  चुनाव की घोषणा के दिन ही मार-पीट का आगाज भी शुरू हो गया। दरअसल विरोध प्रदर्शन के दौरान पप्पू यादव की जन अधिकार पार्टी के कार्यकर्ताओं की भाजपा कार्यकर्ताओं के साथ झड़प हो गई और इसमें पूर्व विधायक रामचंद्र यादव को भी लाठियां लगीं। हालांकि इस घटना का जो वीडियो आया है, उसमें बगल में ही पुलिस लाचार सी दिख रही है।

पप्पू यादव के समर्थकों ने भाजपा कार्यालय में घुसने की कोशिश की

पप्पू यादव के समर्थक भाजपा कार्यालय के सामने नारे लगा रहे थे और कार्यालय में घुसने की कोशिश कर रहे थे। इस दौरान वहां मौजूद  भाजपा समर्थकों ने पूर्व विधायक रामचंद्र यादव को पीट दिया। वहीं घटनास्थल पर ही मौजूद एक भाजपा कार्यकर्त्ता अपने ऑफिस को मंदिर बताकर कहने लगे कि अगर कोई हमारे मंदिर को तोड़ेगा तो भाजपाई चुप नहीं बैठेंगे और मुंहतोड़ जवाब देंगे।

मास्क तो जैसे इस दौरान गायब ही रहा

बिहार में चुनाव है तो इसका मतलब यह नहीं है कि कोरोना वायरस यहां नहीं है लेकिन फिर भी चुनावी गलियारों में प्रदर्शनों के दौरान मास्क गायब ही रहता है और आज के प्रदर्शन में भी यह दिखा । और न तो पार्टी के नेता और ही कार्यकर्ता इसको लेकर गंभीर दिखे। इस दौरान सामाजिक दूरी के नियमों की भी धज्जियां उड़ी रहीं।  जब वरिष्ठ अधिकारियों को इस रैली की जानकारी थी तो क्यों नहीं पुख्ता इंतज़ाम किये गए ? यहां फिर से वही सवाल उठता है कि क्या बिहार कोविड मुक्त हो गया है या चुनावों में कोविड नहीं होता? शुक्रवार को ही बिहार में 1600 से ज़्यादा कोविड के मामले सामने आये हैं लेकिन अब पटना की सड़कों पर ऐसा लगता है कि कोरोना कोई मुद्दा ही नहीं है।

किसानों के मुद्दे पर चुनावी तैयारियां हावी दिखीं

बिहार की राजधानी पटना में कृषि विधेयक के खिलाफ प्रदर्शन के दौरान किसान के समर्थन में माहौल कम जबकि चुनावी माहौल ज्यादा नजर आया। ऐसा लाजिमी है क्योंकि राज्य में चुनाव की घोषणा भी हो चुकी है लेकिन ऐसा लगा कि प्रदर्शन में किसान के मुद्दों से ज्यादा नेता हावी रहे। बिहार में राष्ट्रीय जनता दल का चेहरा तेजस्वी यादव कुछ दिन पहले से ट्रैक्टर चलाने की प्रैक्टिस कर रहे थे और प्रदर्शन के दिन वह ट्रैक्टर लेकर अपने समर्थकों के साथ सड़क पर आए। इस दौरान प्रशासन ने यातायात व्यवस्था का संचालन सुचारू रूप से करने के लिए  कुछ खास तैयारियां नहीं की थी जिससे आम लोगों को परेशानियां भी हुईं।

प्रदर्शन के दौरान किसानों के समर्थन में नारे कम और नेताओं के समर्थन में ज्यादा नारे लगे। और जैसा कि हम आपको मार-पीट के बारे में ऊपर ही बता चुके हैं तो इस दौरान बिहार में किसानों की स्थितियों पर चर्चा और भाषण भी न के बराबर रहा। और सत्ता पक्ष इस दौरान  अपना बचाव भी करती दिखी। बिहार के कृषि मंत्री मीडिया से रूबरू हुए और एक बार फिर उन्होंने इस विधेयक को किसानों के हित में करार दे दिया लेकिन किसानों के हितों से ज्यादा वह विपक्षी पार्टियों के बारे में बाते करते रहे। दरअसल मेरी नजर में तो किसान इस दौरान कहीं गायब ही रहे, उनके मुद्दे पर तो बात ही नहीं हुई। विपक्ष सरकार को किसानों के मुद्दे पर जोरदार तरीके से घेरने में नाकाम ही दिखी।

द बिहार मेल के लिए यह रिपोर्ट रजत शर्मा ने लिखी है…