गणतंत्र दिवस के बाद फिर एक बार किसान आंदोलन जोर पकड़ने लगा है. बीते दो-तीन दिनों से हो रही घटनाओं को देखते हुए ऐसा लग रहा था कि यह आंदोलन खत्म हो जाएगा. भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत ने गिरफ्तारी देने की बात भी कह दी थी, लेकिन अब उन्होंने अपना इरादा बदल लिया है. गाजीपुर बॉर्डर पर एक बार फिर से किसान लौटने लगे हैं. उखड़ रहे टेंट लगने लगे हैं. बीते रात जहां किसान संगठनों के नेता मंच पर ही जमे रहे, वहीं अन्य किसान मंच के सामने ही खुले में सोए. उन्हें इस बात की आशंका थी कि प्रशासन उनसे जोर-जबरदस्ती करके आंदोलन खत्म करवा सकता है.
यहां हम आपको बताते चलें कि बीते रोज धरनास्थल पर पत्रकारों से बातचीत में भारतीय किसान यूनियन के नेता व राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत रोने लगे. उनका मीडिया से बातचीत के क्रम में रोता हुआ वीडियो कल शाम से ही वायरल हो रहा है. वे भाजपा के नेताओं और सरकार पर साजिश का आरोप लगा रहे थे, और फूट-फूटकर रोए जा रहे थे. साथ ही कह रहे थे कि किसानों के लिए उन्हें फांसी भी लगानी पड़ी तो वो तैयार हैं.
राकेश टिकैत के वीडियो वायरल होने के बाद से सियासी गलियारों में भी खासी हलचल देखी जा रही है. राष्ट्रीय लोक दल के नेता अजित सिंह ने राकेश टिकैत को फोनकर उनका कुशलक्षेम पूछा और अपना समर्थन जताया. अखिलेश यादव और तेजस्वी यादव जैसे कई नेताओं ने भी सोशल मीडिया के माध्यम से अपना समर्थन दिया है. वहीं कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष व सांसद राहुल गांधी ने राकेश टिकैत के रोने पर प्रतिक्रियास्वरूप ट्विटर पर लिखा , ” यह साइड चुनने का का समय है. मेरा फैसला साफ है. मैं लोकतंत्र के साथ हूं, मैं किसानों और उनके शांतिपूर्ण आंदोलन के साथ हूं.”
एक साइड चुनने का समय है।
मेरा फ़ैसला साफ़ है। मैं लोकतंत्र के साथ हूँ, मैं किसानों और उनके शांतिपूर्ण आंदोलन के साथ हूँ।
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) January 28, 2021
बीते रोज अव्वल तो उन्होंने मंच से ऐसी घोषणा की कि वे कहीं नहीं जा रहे. वे अपने लोगों के बीच ही हैं और वहीं रहेंगे. दूसरा मीडिया से बातचीत में उन्होंने कहा कि हिंसा जैसे शब्द किसानों की सूची में नहीं. उनका आंदोलन यथावत जारी रहेगा. वे कृषि कानूनों की वापसी के लिए प्रतिबद्ध हैं, और यदि ऐसा नहीं हुआ तो वे आत्महत्या कर लेंगे. प्रशासन को गोली चलानी तो गोली चलाए लेकिन वे अपने लोगों के बीच से कहीं नहीं जा रहे. भाजपा के नेता गुंडागर्दी पर उतारू हैं. भाजपा विधायक के लोग किसानों के साथ मारपीट कर रहे हैं.
गौरतलब है कि राकेश टिकैत ने गणतंत्र दिवस के रोज लाल किले में हुए उपद्रव पर भी अपनी बात रखी थी. उन्होंने कहा कि लालकिले में जो कुछ भी हुआ उससे आंदोलन को तोड़ने की साजिश रची गई. प्रशासन अपनी चाल में कामयाब हो गया. जो जत्था वहां पहुंचा था, और जिन्होंने दिल्ली की सड़कों पर उल्टे सीधे ट्रैक्टर घुमाए वे किसान संगठनों से नहीं थे.
ज्ञातव्य है कि अब तक चार किसान संगठनों ने अपना धरना खत्म कर दिया है, लेकिन राकेश टिकैत के रोते हुए विजुअल्स के वायरल होने के बाद से ही गाजीपुर बॉर्डर पर आंदोलन तेज करने की तैयारी होने लगी है. भारतीय किसान यूनियन की अगुआई में मुजफ्फरनगर में महापंचायत बुलाई गई है. बीते रोज भी हजारों की संख्या में लोग राकेश टिकैत के घर पर पहुंच गए. अपने घरों को वापस लौट चुके किसान फिर से वापस लौट रहे हैं. पुलिस-प्रशासन ने भी अपने रुख में नरमी दिखाई है, हालांकि अभी भी मौके पर भारी संख्या में पुलिस फोर्स की तैनाती है.
यह खबर/रिपोर्ट शाम्भवी वत्स ने लिखी है, शाम्भवी पटना यूनिवर्सिटी से पत्रकारिता में स्नातक हैं. इन दिनों ‘द बिहार मेल’ के साथ बतौर इंटर्न काम कर रही हैं—