रांची से लगभग 140 किलोमीटर दूर है जमशेदपुर. यहां एक सीट है जमशेदपुर पूर्वी. हाई प्रोफ़ाइल और प्रदेश की सबसे चर्चित सीटों में से एक. विशेष उम्मीदवार हैं झारखंड के मुख्यमंत्री और भाजपा के प्रत्याशी रघुवर दास. भाजपा के कद्दावर मगर अब बागी नेता और निर्दल प्रत्याशी सरयू राय. भाजपा प्रवक्ता संबित पात्रा से ट्रिलियन ड्रॉलर में शून्य पूछ कर चर्चित हुए कांग्रेस प्रवक्ता और प्रत्याशी प्रोफेसर गौरव वल्लभ.
जमशेदपुर एक साफ़-सुथरा और व्यवस्थित शहर है. रांची से सड़क मार्ग से सहज जुड़ा है. इसी शहर से अदित्यनगर भी जुड़ा है. जहां टाटा का अधिकांश काम होता है. जिसे जमशेदपुर का ट्विन सिटी भी कहते हैं.
बहरहाल, हम आपको यहां की चुनावी चर्चा और समीकरण से रूबरू करवाते हैं. सीट की मिजाज भांपने के क्रम मेंहम सिदगोड़ा बाजार पहुँचे तो चना, मटर, चूड़ा इत्यादि मिला कर भूजा बेच रहे थे गया के रहने वाले विनोद. समीकरण पूछने पर विनोद का कहना था कि वह यहाँ के हैं ही नही, लेकिन अबकी चुनाव मजेदार हो गया है.
हम घूमते-फिरते इस इलाके की पुरानी सब्जी मंडी जा पहुंचे. बरसों पुरानी सब्जी मंडी से मूड जानने की कोशिश की. पहली दुकान राजदेव की है. वह प्याज के बढ़ती कीमत से चिंतित हैं लेकिन अपना वोट खराब नही होने देना चाहते. वे केंद्र और राज्य की सरकार के बीच तालमेल की बात कहते हैं, इसलिए भाजपा उनकी पहली पसंद है. प्याज के कीमतों पर हुए सवाल पर उनका कहना था कि कोई बोल भी तो नही रहा. जब सभी चुप हैं तो क्या किया जा सकता है?

उनके ठीक बगल की दुकान श्यामल चौधरी की थी. श्यामल भी अपनी दुकान पर अकेले मिले. दुकान के छज्जे पर झारखंड विकास मोर्चा का झंडा लगा था. पूछने पर कहा कि जो लगा जाए उसका स्वागत है. उनके अनुसार सरयू राय की इंट्री ने लड़ाई त्रिकोणीय बना दी है. सरयू राय के नाम का हल्ला अधिक है और वही पैदल वोट मांगने आए थे.
तीन रुपया प्रतिदिन किराया देने वाले इन दुकानों पर रौनक न के बराबर दिखी. दुकानदारों का कहना रहा कि छोटे सब्जीवाले बाहर सड़क पर चले जाते हैं, इसलिए भी सब्जी मार्केट सूना है. हालांकि यहां की साफसफाई उल्लेखनीय भी है और व्यवस्थित भी. नौजवान सब्जी विक्रेता विक्रम हलधर कहते हैं कि गौरव वल्लभ पढ़े लिखे उम्मीदवार हैं, टक्कर जरूर दे रहे हैं लेकिन सरयू राय कहीं अधिक प्रभावी हैं.
बमुश्किल 200 मीटर दूर ‘उर्वशी टेलिकॉम’ था जो कभी ‘उर्वशी पीसीओ’ हुआ करता था. दुकान के मालिक हैं छपरा के रहने वाले विनय मौर्या जी. दुकान पर जियो का बोर्ड लगा है. भीड़ भी लगी है. डिजिटल समय में अब भी अधेड़ उम्र के लोग उनसे ही रिचार्ज कराते हैं. राजनीतिक बहस चरम पर है और वह सिर्फ मुस्कुरा रहे हैं. दुकान पर 148 का जियो रिचार्ज कराने आये शख्स को इस बढ़ते दर से चिंता है. रिचार्ज करवाते-करवाते जियो को गरिया भी रहे हैं. चुनाव का हाल पूछने पर ‘सब एके लेखा है जी’ (सब एक जैसे हैं) कह कर बात आगे बढ़ा देते हैं. थोड़ा खुलने के बाद रघुवर दास पर नाराज़गी दर्ज कराते हैं और सरयू राय के सवाल पर कुछ भी स्पष्ट नहीं करते.
सामने एक पार्क दिखा. कुछ भीड़ भाड़ भी दिखी है. कुछ लोग वहां ताश खेल रहे हैं. अधिकांश सरदार. बातचीत करने से इंकार कर दिया और मशगूल हो गये. उनके ठीक पीछे कुछ नौजवान बेंच पर थे. हमने संदीप से बात की. पूछने पर कि क्या लग रहा अबकी? कहा, पहली बार एक पढ़ा लिखा और पुराना नेता यहां से आया है. उनका इशारा सरयू राय को लेकर था. गौरव वल्लभ ठीक हैं लेकिन नए हैं. और रघुवर दास का नाम लेने पर वह बिफर गए. एक तीस सेकेंड का वीडियो दिखाया जिसमे रघुवर दास यह कह रहे हैं की ऐसा झारखंड बनाना है जिसमे ना गरीबी हो, ना भुखमरी हो, ना ‘शिक्षा’ हो. रघुबर दास से गुस्से की वजह पूछने पर संदीप बोले कि उन्हें गरीबी की वजह से पढ़ाई छोड़नी पड़ी है और अब वह घर के मोटर बिजनेस के काम को देखते हैं.

हमने सरयू राय और गौरव वल्लभ से भी बात की.
सरयू राय के घर के बाहर भीड़ नही थी. कुछ बड़ी गाड़िया खड़ी दिखीं. बतचीत में वह मुख्यतः रघुवर दास से नाराज़गी दर्ज कराते रहे और पार्टी हाई कमान तक अपनी बात पहुँचने को लेकर आश्वस्त थे. कहा, ‘जीवन भर भ्रष्टाचार के खिलाफ बोला हूँ और आंख के सामने यह होता नही देख सकता. इसी पर बोलता रहा, कैबिनेट में भी बोलता रहा पार्टी हाईकमान से व्यक्तिगत मिल कर भी बोलता रहा हूँ लेकिन बात नही सुनी गई’
सरयू राय को पहले से इस बात का अंदाजा था लेकिन वह अपने टिकट मिलने का इंतज़ार करते रहे और चार उम्मीदवार सूचियों में नाम ना होने के बाद खुद को अपमानित महसूस किया. इसी प्रतिक्रिया में रघुवर दास के खिलाफ चुनाव लड़ने का ऐलान किया. उनका कहना था कि झामुमो से लेकर भाजपा तक के लोग उनके साथ प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से लगे हुए हैं और फैसला जनता के हाथ में हैं. ‘मुझे सब ठीक लग रहा है लोग समर्थन में उतर रहे’

गौरव वल्लभ का कार्यालय एक यूनियन के ऑफिस को बनाया गया है. कार्यालय में रात 9:30 बजे के करीब कुछ झामुमो और काफी मात्रा में कॉंग्रेस के कार्यकर्ता दिखे. एक बड़े से हॉल में मोटरसाइकिल रैली के लिए झंडे तैयार किये जा रहे थे. पीछे कार्यकर्ताओं के लिए खाना बन कर तैयार था. प्रचार गाड़ियां आ कर रुक रही थीं, ड्राइवर खाना खा रहे थे. ड्राइवर अनिल राउत का कहना था कि हमने लगभग हर घर में एक एक चाभी की रिंग बांटी है इसका प्रभाव पड़ेगा.
गौरव वल्लभ के साथ हमें यूथ कॉंग्रेस के महासचिव पारितोष मिले. उनका कहना था कि सरयू राय के नाम की हवा है लेकिन जमीन पर हमारा वोट है. हम लगातार फील्ड में हैं और इसका असर पड़ेगा. गौरव के होने से प्रचार करने के तरीके पर असर पड़ा है. नए लोग जुड़े हैं और पुराने भी सक्रिय हुए हैं.

हमसे बातचीत में गौरव अपने संवाद में राष्ट्रीय राजनीति को कोट करते जा रहे थे. कभी निर्मला सीतारमण तो कभी प्रधानमंत्री पर कटाक्ष करते रहे. स्थानीय सीट पर अपनी स्थिति को लेकर वह आश्वस्त थे. कहा, ‘रघुवर दास जी की मदद करने के लिए सरयू राय जी चुनाव मैदान में हैं, जनता यह समझ चुकी है. क्षेत्र में जा रहा हूँ लोगों का समर्थन मिल रहा है’
कुल मिलाकर यहाँ राजनीति त्रिकोणीय मालूम पड़ती है और पांच बार के विधायक रघुवर दास की राह इतनी आसान नही लगती. गौरतलब है कि इससे पहले के विधानसभा चुनाव में उन्होंने लगभग सत्तर हजार मतों के अंतर से जीत दर्ज की थी. लेकिन चर्चित उम्मीदवार गौरव और पुराने नेता सरयू राय ने अपने अपने हिस्से के संघर्ष से सबकुछ आसान तो नहीं रहने दिया है…