भारत में कोरोना वायरस से मुकाबले के लिए जब से टीके के इस्तेमाल को लेकर मंजूरी मिली है, तब से पड़ोसी देशों की नजर भारत पर है. कई पड़ोसी देशों ने भारत सरकार से भारतीय निर्मित कोरोना वैक्सीन के लिए अनुरोध किया है, जिसके बाद केंद्र सरकार ने पड़ोसी देशों को वैक्सीन भेजने का फैसला लिया है. मीडिया रिपोर्ट्स की माने तो भारत ती तरफ से 10 देशों को वैक्सीन भेजा जाना है. लेकिन फिलहाल भारत सरकार ने भूटान, मालदीव, बंगलादेश, नेपाल, म्यांमार और सेशेल्स जैसे छह देशों को टीका भेजे जाने की घोषणा की है.
एनएनआई की खबर के अनुसार आज भारत की तरफ से कोविशील्ड कोरोना वैक्सीन की पहली खेप भूटान को भेजा जा रहा है. इस पहले खेप में कोरोना के डेढ़ लाख वैक्सीन होंगे.
गौरतलब है कि इस समय भारत के पास दो कोरोना वैक्सीन है. एक भारत बायोटेक निर्मित कोवैक्सीन और दूसरा ऑक्सफोर्ड और एस्ट्रेजनेका द्वारा विकसित कोविशील्ड. हालांकि सूचना के अनुसार भारत ने सभी देशों को कोविशील्ड टीका भेजने की बात कही है. एक खबरिया वेबसाइट के अनुसार विदेश मंत्रालय की ओर से इस बात को तय किया गया है कि भारत अपने पड़ोसी देश भूटान को ऑक्सफोर्ड और एस्ट्रेजनेका द्वारा विकसित कोविशील्ड टीका की 2 मिलियन खुराक भेजेगा. इसकी पहल करते हुए भारत से 1.5 लाख टीके की डोज मुंबई के छत्रपति शिवाजी महाराज इंटरनेशनल एयरपोर्ट से बुधवार सुबह भूटान के थिम्पू के लिए रवाना हो गई है
वहीं बात अगर मालदीव जैसे द्वीप की करें तो आज ही मालदीव को भी कोविशील्ड की खुराक भेजी जाएगी. यहां आपको बताएं चलें कि भारत ने कोविड संकट के दौरान मालदीव की हर तरह से मदद करने की कोशिश की है, जिसमें दवा की आपूर्ति, खाद्य आपूर्ति, चिकित्सा टीम, प्रशिक्षण और $ 250 मिलियन की वित्तीय सहायता शामिल है. भारत मालदीव के हर संकट के समय उसके साथ खड़ा रहा है. भारत से वैक्सीन डिप्लोमेसी के तहत श्रीलंका, अफगानिस्तान और मॉरिशस के मांग के अनुसार उन्हें भी कोरोना वैक्सीन की पूर्ति करेगा. फिलहाल इन देशों की तरफ से अब तक वैक्सीन के मांग को लेकर कोई स्पष्टीकरण नहीं दिया गया है.
आपको बताते दें कि देश में 16 जनवरी से टीकाकरण चल रहा है. स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार अब तक 6.31 लाख लोगों को कोरोना वैक्सीन लगाया जा चुका है. इसमें से सिर्फ 0.18 फीसदी लोगों के ऊपर ही वैक्सीन का साइड इफेक्ट दिखा है.