बिहार विधानसभा चुनाव में गठबंधन और उम्मीदवारों के नामों की घोषणा में कभी हां और कभी ना का सिलसिला अब भी जारी है. जबकि अब तो नामांकन पत्र दाखिल करने का समय तक आ गया. पार्टियों के भीतर विचार-विमर्श, मंथन और हंगामा सब चल रहा है. खैर, हम आपको यहां फुलवारी (फुलवारी शरीफ) विधानसभा के बारे में बताने जा रहे हैं.
पटना जिले के तहत आने वाली फुलवारी विधानसभा सीट पर इस बार पेचीदा मुकाबला देखा जा सकता है. यह विधानसभा (अनुसूचित जाति-सुरक्षित) सीट है. 2015 विधानसभा चुनाव में जनता दल (यू) और राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के बीच गठबंधन था और यह सीट जद (यू) के खाते में गई थी. इस बार जदयू–भाजपा गठबंधन बनाम महागठबंधन है. साथ ही यहां से 2015 में चुनाव जीतने वाले और बिहार सरकार में उद्योग मंत्री रहे श्याम रजक भी जदयू छोड़ फिर से राजद का दामन थाम चुके हैं.
क्या कहता है सीट का इतिहास?
पाटलिपुत्र लोकसभा क्षेत्र में आने वाली यह सीट 1977 में अस्तित्व में आया. तब जनता पार्टी के राम प्रीत पासवान ने यहां जीत का खाता खोला था. लेकिन उसके बाद लगातार तीन विधानसभा चुनावों में कांग्रेस के संजीव प्रसाद टोनी ने जीत का परचम लहराया. 1995 के चुनाव में इस सीट पर श्याम रजक के चुनाव जीतने पर जनता दल का खाता खुला, बाद में श्याम रजक राजद में शामिल हो गये और वह 2000 और 2005 में राजद से विधानसभा पहुंचे. साल 2009 में यहां उप चुनाव हुए. तब रजक जदयू में शामिल हो चुके थे लेकिन उप चुनाव में राजद इस सीट पर जीतने में सफल रही. राजद के उम्मीदवार उदय कुमार से निर्वाचित हुए. बाद में फिर 2010 में विधानसभा का चुनाव हुआ और रजक जदयू से यहां सीट पर कब्जा करने में सफल रहे. 2010 के चुनाव में राजद के उदय कुमार को 21180 वोट के अंतर से हराया. फिर 2015 के चुनाव में श्याम रजक ने 94,094 वोटों के साथ इस सीट पर जीत हासिल की.
मतदाताओं की संख्या:
वर्ष 2015 में कुल मतदाता : 3,16,224,
पुरुषमतदाता : 1,71,439,
महिला मतदाता : 1,44,785
यहां दूसरे चरण में चुनाव होने वाले हैं.
2015 में क्या थे चुनावी नतीजे?
पिछले विधानसभा चुनाव में राजद और जदयू साथ चुनाव मिलकर चुनावी मैदान में थी . हालांकि श्याम रजक को मतदाताओं ने 1995 से लेकर 2015 तक इस सीट से जितवाया है. जदयू की ओर से श्याम रजक को पिछले चुनाव में यहां पर 94,094 वोट मिले थे. जबकि हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा के राजेश्वर मांझी को 48,381 वोट मिला था.
पिछले विधानसभा में यहां से चुनाव जीतने वाले श्याम रजक का चुनावी इतिहास
राबड़ी देवी की सरकार में ऊर्जा, जनसंपर्क विभाग और कानून राज्य मंत्री रहे श्याम रजक 2009 में राजद छोड़कर जदयू में आए थे. तब उन्होंने राजद में अपमानित होने की बात कही थी. कभी इन्हें लालू लालू प्रसाद के बेहद करीब माना जाता था. श्याम रजक और राम कृपाल यादव को राम–श्याम की जोड़ी के नाम से संबोधित किया जाता था. हालांकि बाद में दोनों की राहें राजद से अलग हो गई.
उसके बाद श्याम रजक 2010 में जदयू की टिकट पर फुलवारी शरीफ सीट से विधानसभा चुनाव जीते और नीतीश सरकार में मंत्री बने। 2015 में फिर इसी सीट से जदयू के टिकट पर जीते मगर महागठबंधन की सरकार में मंत्री नहीं बन सके। 2019 में हुए मंत्रिमंडल विस्तार में एक बार फिर मुख्यमंत्री ने उन्हें कैबिनेट मंत्री बनाकर उद्योग विभाग की कमान सौंपी थी। उसके बाद अगस्त 2020 में नीतीश कुमार की सरकार पर सामाजिक न्याय छीनने का आरोप लगाकर राजद में वापस लौट आए। श्याम रजक के पाला बदलने की खबर पर जहां जदयू ने पहले उन्हें मनाने की कोशिश की लेकिन उनके अडिग रहने पर आनन–फानन में पार्टी से निष्काषित करने के साथ उद्योग मंत्री के पद से भी हटाने की घोषणा कर दी।