प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 30 जून को देश को संबोधित किया था. 16 मिनट के अपने संबोधन में पीएम मोदी ने वैश्विक महामारी कोरोना काल पर बात की. सोशल डिस्टेंसिंग, खुद का ख्याल रखना, कोरोना से बचने के लिए नियमों का पालन करने के अलावा एक जरूरी बात जो उन्होंने कही वो ‘गरीब कल्याण अन्न योजना’ से जुड़ी थी.
पीएम मोदी ने एक बड़ी घोषणा करते हुए कहा कि देश के 80 करोड़ लोगों को ‘गरीब कल्याण अन्न योजना’ के तहत नंवबर तक मुफ्त अनाज दिया जाएगा. साथ ही उन्होंने देश को यह भी बताया कि इसी योजना के तहत पिछले तीन महीने में 80 करोड़ लोगों को पांच किलो गेहूं या चावल मुफ्त दिया गया है. हालांकि इससे पहले 14 मई को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने प्रवासी मजदूरों के लिए एक और पैकेज की घोषणा की थी. इस पैकेज को नाम दिया गया था ‘आत्मनिर्भर भारत पैकेज’. इसके तहत अपने-अपने राज्य लौट रहे 8 करोड़ प्रवासी मजदूरों को मई-जून महीने में नि:शुल्क राशन दिया जाना था. इसके लिए सरकार ने 3500 हजार करोड़ की राशि आवंटित की .
हालांकि मजदूरों के लिए बनाए गए इस पैकेज की जमीनी सच्चाई कुछ और है. इंडियन एक्सप्रेस में छपी एक रिपोर्ट की मानें तो पिछले तीन महीने में सिर्फ 13 फीसदी लोगों को ही राशन मिला है. सरकारी आंकड़ों के हवाले से लिखी गई एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार ‘आत्मनिर्भर भारत पैकेज’ के तहत प्रवासी श्रमिकों के लिए आवंटित 8 लाख मीट्रिक टन मुफ्त अनाज में से केवल 13 प्रतिशत ही वास्तव में लोगों को मिला है. खाद्य एवं आपूर्ति मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक सरकार ने मई–जून में 8 करोड़ ऐसे मजदूरों को राशन देने की बात कही थी. इसमें वो मजदूर भी शामिल थे, जिनके पास राशन कार्ड नहीं है. लेकिन इन दोनों महीने में सिर्फ 2.13 करोड़ लाभार्थियों को ही राशन मिला है. इसमें 1.21 करोड़ मजदूरों को मई में और 92.44 लाख मजदूरों को जून में लाभ मिला है.
मंत्रालय के डेटा के अनुसार सभी 36 राज्यों को ‘आत्मनिर्भर भारत’ अभियान के तहत 80 फीसदी राशन भेज दिया गया है. लेकिन 30 जून तक सभी राज्यों के लाभार्थियों के पास सिर्फ 1.07 लाख मीट्रिक टन राशन ही पहुंचा है, जो कि आवंटित राशन का सिर्फ 13 फीसदी ही है. 26 राज्य और केंद्र शासित प्रदेश ऐसे हैं, जिन्होंने अपने हिस्से का पूरा राशन उठा तो लिया है लेकिन मजदूरों को उनका हिस्सा मिला नहीं.
अगर बात बिहार की करें तो
बिहार सरकार ने अपने हिस्से का पूरा राशन यानी कि 86,450 मीट्रिक टन उठा लिया है. लेकिन इसका 2.13 फीसदी ही मजदूरों के हिस्से में पहुंच पाया है. बिहार के अलावा यूपी, आंध्र प्रदेश, गोवा, गुजरात, झारखंड, महाराष्ट्र, मेघालय, तमिलनाडु, तेलंगाना, त्रिपुरा, ओडिशा और यूटी लद्दाख 11 वो राज्य हैं , जिन्होंने राशन का सिर्फ 1 फीसदी हिस्सा ही मजदूरों को दिया है.