नमस्कार, स्वास्थ्य राज्य मंत्री जी. मैं आपके ज़िले का रहवासी बोल रहा हूं। आशा है आपकी तबियत आपके जिला जवार के सरकारी अस्पताल से बेहतर होगी. कोरोना के शोर से अब मन अकुता गया है। आप ई जेठ महीना में घामा सेक के कोरोना तो नहीं भगा रहें? नहीं, आप तो ए.सी में होंगे. वैसे घामा वाला सुझाव आपको आगे बढ़ाना चाहिए, क्योंकि धरती के भगवानों ने तो हाथ खड़े कर दिए हैं। वैसे हम ई थोड़े न कहना चाहते हैं कि आप उन्हें पी.पी.ई किट्स नहीं मुहैय्या करा पाए हैं। आप के संसदीय क्षेत्र में तो लोग दवाई और खून की कमी तक से मर जा रहे हैं और ई लोग पी.पी.ई का पिपिहरी बजा रहे हैं।
वैसे एक बात बताइये कि आपने टीवी पर रामायण देखते हुए तो तस्वीरें सोशल मीडिया पर डाल दी थीं, अब श्री कृष्णा देखते हुए वाली तस्वीरें कौन डालेगा? चोरी चोरी माखनचोर की कहानी काहे देख रहे हैं? अपने भी देखिए अउर जनता को भी दिखाइए। लॉकडाउन में सारा पुण्य अकेले ही बटोरिएगा का? वैसे ज़िले की जनता आपकी नींद खुलने की राह देख रही है कि कब होई बिहान त सूरज देव उगिहें हमार अंगना में। अच्छा आपको तो याद ही होगा कि कुछ साल पहले जब आपका पांव टूटा था और एक्स-रे के लिए आप ज़िले के सरकारी अस्पताल पहुंचे थे, लेकिन एक अदद एक्स-रे मशीन की व्यवस्था ना होने से आपको पटना रवाना होना पड़ा था। आज सदर अस्पताल के डॉक्टर साहब को फोन किए तो ऊ बता रहे थे कि अभी भी हालात वैसे ही हैं। राम ना करें कि आप फिर से अपने क्षेत्र में आवें और फिर से कोई अनहोनी हो जाए। अब हम अपने नेता जी को क्षेत्र से पटना तक का दर्द भरा सफर तो नहीं ही करवाना चाहते हैं।
अच्छा आपको एक राज की बात बताते हैं। आप क्षेत्र में तो आते नहीं हैं। आजकल देखने-सुनने में आ रहा है कि सरकारी मदद के नाम पर प्रत्येक पंचायत से 10 गरीबों को चुन-चुनकर मदद पहुंचाई जा रही है और ये गैर सरकारी संगठन वाले रोज सैकड़ों लोगों को खाना खिला रहे हैं। सब नेता बनने के चक्कर में पैसा उड़ा रहे हैं, नहीं तो आपकी पार्टी की जिलाध्यक्षा क्योंकर क्वारन्टीन सेंटर का विरोध करतीं?
वैसे आपके क्षेत्र की जनता भी बड़ी भोली है। आपसे स्वास्थ्य व्यवस्था पर सवाल कर रही है। इन्हें नहीं मालूम कि राजपूत और ब्राह्मण महासभा में दिया आपका भाषण इनसब से कहीं ज्यादा महत्वपूर्ण है। इन्हें कहाँ मालूम कि ज़िले का हर सवाल करने वाला निवासी आपके लिए विरोधी पार्टी का एजेंट है। अस्पताल के नाम पर तफ़्ती लेकर भूख हड़ताल करने वाले संगठन लोकप्रियता का भूखे हैं।
तिसपर से ये डुमराँव अनुमंडल वाले कहते हैं कि 9 लाख की आबादी पर 3 से 4 डॉक्टर हैं। अरे, इनको कोई बताये कि आपके शागिर्द रहे बिहार के स्वास्थ्य मंत्री कैसे ट्विटर पर रात के आठ बजे से अगले दिन एक बजे तक राज्य में लगभग एक करोड़ लोगों की स्क्रीनिंग करा देते हैं। ये 9 लाख की बात बतिया रहे हैं। वैसे अस्पताल की व्यवस्था को लेकर स्थानीय लोगों ने आंदोलन तो किया था। पर जैसा कि मुझे पूरा भरोसा था सब बात मानने का ढोंग कर आप उन्हें जूस पिला ही देंगे। वैसे सुने हैं कि सदर अस्पताल में मरीजों के ईलाज के लिए कौनो संगठन वाले ने अपना एम्बुलेंस दे दिया है। अच्छा देने से क्या ही होगा? मरीज जाएगा अस्पताल और अस्पताल में इलाज मिलेगा नहीं। कुल मिला कर बाछी कोई छुआ भी दे पर वैतरणी तो आप ही पार करायेंगे। खैर, आप अपना ख्याल रखिए क्योंकि कोरोना की संख्या अभी बढ़ ही रही है। बाकी वर्चुअल रैली जैसी शब्दावली के बाद हमने अपने नेता को भी अब आभासी ही मान लिया है। काश, इस दुनिया की समस्याएं भी आभासी ही होतीं।
आपके क्षेत्र का एक नगण्य रहवासी
रजत परमार