आमतौर पर यह चेतावनी (वैधानिक) हमें सिगरेट के खिलाफ जागरूकता के ऐड में देखने को मिलती है, लेकिन इन दिनों बिहार की राजधानी (पटना) में अलग-अलग जगहों पर 2600 टन कूड़ा पसरा हुआ है. कोई सुध लेने वाला नहीं. मुख्य सड़कों के किनारे गंदगी पसर गई है. नालियां बजबजाने लगी हैं. आम आदमी का सड़क पर चलना दूभर हो रहा है. बीते रोज नगर विकास मंत्री सुरेश शर्मा के सरकारी आवास के पास सड़क पर मृत कुत्ता फेंक दिया गया. इससे पहले नगर निगम आयुक्त के कार्यालय के बाहर भी मृत जानवर फेंककर नगर निगम के सफाईकर्मी अपना विरोध जता रहे हैं. शहर की ऐसी हालत महज 5 दिनों के भीतर हो गई है.
क्या है मामला?
बिहार की राजधानी (पटना) की सड़कों पर जहां-तहां कूड़ा पसरा गया है. 4 दिनों से कहीं सफाई नहीं हो रही. (आज को जोड़कर 5 दिन) – करीब 4500 दैनिक वेतनकर्मी (चतुर्थ वर्ग कर्मचारी) अपनी स्थायी बहाली के लिए असहयोग की मुद्रा में हैं. पटना नगर निगम के साथ कई राउंड की बातचीत के बाद भी मामला सुलझ नहीं सका है. समूचे पटना में अराजकता की स्थिति देखी जा रही है. प्रदर्शनकारियों ने तो पहले दिन पटना के व्यस्ततम डाक बंगला चौराहे पर भी कूड़ा-कचरा बिखेरकर प्रदर्शन किया. फिलहाल वे मौर्यालोक कॉम्पलेक्स में प्रदर्शन कर रहे हैं.
मौके पर मौजूद सफाईकर्मी सीता हमसे बातचीत में कहती हैं, “बाबू… हम साल 2007 से ई काम कर रहे हैं. पूरे शहर के साफ-सफाई का जिम्मा हमीं लोग का है. 20 रुपया से शुरुआत किए थे. आज 300 रुपया मिलता है. हमारा घर भी तोड़ दिया गया. पूरा पटना डूबल था तs हमींलोग पानी आs नाला में हेलके सफाई किए. हमारा घर भी तोड़ दिया गया है. किराया के घर में रहते हैं. ऊ भी नहीं जुट रहा. राड़-मुस्मात अदमी कहां जाएगा? मेरे 8 बच्चे हैं. बड़ा मुश्किल हो गया है.”
ठेकेदारी का विरोध कर रहे हैं सफाईकर्मी
यहां हम आपको बताते चलें कि पटना के साफ-सफाई की जिम्मेदारी पटना नगर निगम की है. इस काम में लगभग 4500 चतुर्थ वर्गीय कर्मचारी भी लगे हैं. कर्मचारियों का कहा मानें तो उनके बीच यह आम बात है कि 10 साल लगातार साफ-सफाई करने के बाद से उन्हें स्थायी कर दिया जाएगा. ऐसा पहले होता भी रहा है. नगर निगम कार्यालय के घेराव के सवाल पर वहां मौजूद पिंटू कुमार कहते हैं कि वे बीते 7 साल से सफाई का काम कर रहे हैं. पढ़ाई-लिखाई की नहीं है. उन्हें 9,156 रुपये मिलते हैं. पीएफ की राशि का कुछ पता चलता नहीं. वे इस उम्मीद में थे कि स्थायी हो जाएंगे तो जिंदगी जरा पटरी पर आएगी कि सरकार ने ठेकेदारी पर 2200 लोगों को लाने का फैसला ले लिया.
पिंटू चाहते हैं कि सरकार इस फैसले को वापस ले और जून 2018 से पहली की बहालियों को स्थायी किया जाए. उसके बाद भले ही ठेकेदारी पर बहालियां ले. उन्हें कोई आपत्ति नहीं. हालांकि ठेकेदारी पर लाए जा रहे 2200 कर्मी भी हड़ताल और प्रदर्शन को देखते हुए शहर में सफाई का कार्य नहीं कर रहे. यहां यह भी बताना जरूरी बै कि पटना या समूचे प्रदेश के सफाईकर्मी अपने घर-परिवार के भविष्य के लिए हेय समझे जाने वाले इस बेहद महत्वपूर्ण व असुरक्षित काम को करते रहते हैं. उन्हें किसी तरह के (Safety Gears – जैसे – मास्क, दस्ताने, जूते) नहीं मिलते.
ललन पासवान ने की निंदा
नगर निगम के सफाईकर्मियों के साथ नगर निगम और सरकार के रवैये पर सरकार में शामिल और अनुसूचित जाति/जनजाति कल्याण समिति के सभापति ललन पासवान कहते हैं, “हम स्पष्ट तौर पर कह रहे हैं कि सरकार और नगर निगम इस पूरे मामले को यथाशीघ्र सुलझाए. समाज के सबसे निचले पायदान पर धकेल दिए गए समाज के साथ ऐसा किया जाना निंदनीय है. हमारे समाज के लोग समूची गंदगी को अपने देह और सिर पर ढोते हैं. उन्हें किसी तरह के Safety Gears नहीं मिलते. मैं हमेशा इस मसले को सरकार के भीतर और बाहर उठाता रहा हूं. निजी कंपनियां खुले आम धांधली कर रही हैं. ठेकेदारी बिल्कुल बर्दाश्त नहीं किया जाएगा.” वे आगे कहते हैं कि सरकार को इस मामले में स्वत: संज्ञान लेकर कार्रवाई करनी चाहिए. चाहे राष्ट्रपति हों या प्रधानमंत्री का आवास – सबके घरों की साफ-सफाई यही लोग करते हैं. वे (चतुर्थ वर्गीय कर्मचारी) उचित मांग कर रहे हैं. वे सरकार में रहने के बावजूद सफाईकर्मियों की मांगों के साथ हैं. जरूरत पड़ने वे इन तमाम बातों को सदन में भी उठाने के लिए प्रतिबद्ध हैं.
सरकार अड़ियल रवैया छोड़े
नगर निगम चतुर्थ वर्गीय कर्मचारियों की ओर से जारी हड़ताल पर राजद प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी कहते हैं कि सरकार इस मामले में अपने अड़ियल रवैये को त्याग दे. कर्मचारियों की उचित मांगों का ख्याल रखते हुए सरकार यथास्थिति को तोड़ने का प्रयास करे. पूरे शहर में कूड़ा पसरा हुआ है. ऐसा न हो कि पटना शहर किसी महामारी की चपेट में आ जाए.
हालिया अपडेट की बात करें तो आज सफाईकर्मियों के हड़ताल का 5वां दिन है. पटना शहर की हालत बद से बदतर होती चली जा रही है. हालांकि पहले भी कुछ खास अच्छी नहीं थी. सरकार को यथाशीघ्र रास्ता निकालना होगा. ऐसा न होने पर पटना किसी भयंकर महामारी की जद में आ सकता है. बीमार, बहुत बीमार पड़ सकता है…