दिल्ली, 22 अगस्त: राफेल सौदे का मुद्दा लगातार भाजपा के सामने बड़ा प्रश्न बनता जा रहा है. अब इसमें एक नया मोड़ आ गया है. फ्रांस की एक वेबसाइट ‘द मीडियापार्ट’ ने पूर्व राष्ट्रपति फ्रांस्वा ओलांद के हवाले से सनसनीखेज खुलासा करते हुए कहा कि अरबों डॉलर के इस सौदे में भारत सरकार ने अनिल अंबानी की रिलायंस डिफेंस को दसॉल्ट एविएशन का साझीदार बनाने का प्रस्ताव दिया था.
‘मीडियापार्ट’ की खबर में ओलांद के हवाले से कहा गया है, ”भारत सरकार ने इस सेवा समूह का प्रस्ताव दिया था और दसॉल्ट ने (अनिल) अंबानी समूह के साथ बातचीत की. हमारे पास कोई विकल्प नहीं था, हमने वह वार्ताकार लिया जो हमें दिया गया. ”
इस पर प्रतिक्रिया देते हुए रक्षा मंत्रालय ने प्रवक्ता ने कहा, ”पूर्व फ्रांसीसी राष्ट्रपति के इस बयान कि भारत सरकार ने एक खास संस्था को राफेल में दसॉल्ट एविएशन का साझीदार बनाने के लिये जोर दिया, की जांच की जा रही है.”
प्रवक्ता ने कहा, ”एक बार फिर इस बात को जोर देकर कहा जा रहा है कि इस वाणिज्यिक फैसले में न तो सरकार और न ही फ्रांसीसी सरकार की कोई भूमिका थी.”
यह पूछे जाने पर कि साझीदार के तौर पर किसने रिलायंस का चयन किया और क्यों, ओलांद ने कहा, ”इस संदर्भ में हमारी कोई भूमिका नहीं थी.”
विपक्षी दलों ने इस रिपोर्ट के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर अपने हमले और तेज कर दिए. कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने आरोप लगाया, ”प्रधानमंत्री ने बंद कमरे में राफेल सौदे को लेकर बातचीत की और इसे बदलवाया. फ्रांस्वा ओलांद का धन्यवाद कि अब हमें पता चला कि उन्होंने (मोदी) दिवालिया अनिल अंबानी को अरबों डॉलर का सौदा दिलवाया.”
The PM personally negotiated & changed the #Rafale deal behind closed doors. Thanks to François Hollande, we now know he personally delivered a deal worth billions of dollars to a bankrupt Anil Ambani.
The PM has betrayed India. He has dishonoured the blood of our soldiers.
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) September 21, 2018
उन्होंने आगे कहा, ”प्रधानमंत्री ने भारत के साथ विश्वासघात किया है. उन्होंने हमारे सैनिकों के लहू का अपमान किया है.”
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा कि ओलांद का बयान सीधे–सीधे उस बात का विरोधाभासी है जो अब तक मोदी सरकार कहती रही है और पूछा कि क्या करार पर ‘‘अहम तथ्यों को छिपाने’’ से राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरे में नहीं डाला गया?
By hiding crucial facts on Rafale deal, is Modi govt not endangering national security ?
Former French President’s statement directly contradicts what Modi govt had been saying so far.
Can the country be taken for a ride any further ?
— Arvind Kejriwal (@ArvindKejriwal) September 21, 2018
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 10 अप्रैल 2015 को पेरिस में तत्कालीन फ्रांसीसी राष्ट्रपति फ्रांस्वा ओलांद के साथ बातचीत के बाद 36 राफेल विमानों की खरीद का ऐलान किया था. करार पर अंतिम रूप से 23 सितंबर 2016 को मुहर लगी थी.
खबर में ओलांद ने करार का उनकी सहयोगी जूली गायेट की फिल्म से किसी भी तरह के संबंध से इनकार किया है. पिछले महीने एक अखबार में इस आशय की खबर है. रिपोर्ट में कहा गया था कि राफेल डील पर मुहर लगने से पहले अंबानी की रिलायंस एंटरटेनमेंट ने गायेट के साथ एक फिल्म निर्माण के लिये समझौता किया था.
माकपा महासचिव सीताराम येचुरी ने कहा, ”अगर इस तरह को कोई करार हुआ है तो यह राफेल सौदा एक घोटाला है. मोदी सरकार ने झूठ बोला और भारतीयों को गुमराह किया. पूरा सच हर हाल में सामने आना चाहिए.”
Modi govt scrapped the 126 aircraft deal (with only 18 aircraft to be built in France) with a deal where 36 would be built there (Hollande acknowledges that as a “good thing”). It then asked the French to choose a crony friend of Modi: Crystal-clear case of corruption & cronyism pic.twitter.com/mZbQI04ddS
— Sitaram Yechury (@SitaramYechury) September 22, 2018
कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कहा, ”सफ़ेद झूठ का पर्दाफ़ाश हुआ। प्रधानमंत्री के साठगांठ वाले पूंजीपति मित्रों को फायदा पहुंचाने के लिए सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) को 30 हजार करोड़ रुपये के ऑफसेट कांट्रैक्ट से वंचित किया गया. इसमें मोदी सरकार की मिलीभगत और साजिश का खुलासा हो गया है. ”
सरकार यह कहती रही है कि दसॉल्ट एविएशन द्वारा ऑफसेट साझीदार के चयन में उसकी कोई भूमिका नहीं है.
समाचार एजेंसी पीटीआई से इनपुट के आधार पर