सिवान कोरोना मामला: एक गांव दो केस, दो अलग-अलग परिणाम- किसको माना जाए जिम्मेदार?

सिवान कोरोना मामला: एक गांव दो केस, दो अलग-अलग परिणाम- किसको माना जाए जिम्मेदार?

मेरा गांव पंजवार…

सिवान जिले का पंजवार गांव. मेरा गांव. एक हफ्ते पहले तक सब ठीक था. सरसों की दंवरी हो रही थी. गेहूं की बालियां पोढ़ होने लगी थीं. हंसिया की धार में रेती लगाकर चोख किया जाने लगा था. लेकिन अचानक सबकुछ बदल गया.

चार अप्रैल को मेरे गांव की सारी सीमाएं सील कर दी गयीं. आस पास की बस्तियां भी. तीन की देर रात इस गांव से पहला कोरोना पॉजिटिव डिक्लेयर हुआ था. वह 21 मार्च को गल्फ से आया था. हाथ में सील लगी थी. अकेले रहने का निर्देश था. वो नहीं माना. घूमा फिरा. बर-बाजार किया. क्रिकेट भी खेला. दस दिन के बाद सिवान जाकर सैम्पल दिया. कोरोना के लक्षण हावी नहीं थे. विजेता की तरह घर वापस लौटा. जिनसे अब तक नहीं मिल सका था उनसे मिला. जो उससे मिलने में संकोच कर रहे थे वह भी मिले. जिस दिन उसकी रिपोर्ट आयी, वह क्रिकेट खेल रहा था.

आज गांव में चौदह लोग पॉजिटिव हैं. एक ही परिवार के. अभी और होंगे. कारण- जनसंख्या घनत्व और सामाजिक सहवास.

एक और आया था गल्फ से. एक दो दिन आगे पीछे. अपने साथ पत्तल गिलास लाया था. उसी में खाता. अपने हाथों से जूठन डिस्पोज करता. दो हफ्ते घर के बाहर सोया. जांच करा चुका है. ठीक है. अभी भी एकांतवास कर रहा है.  कह रहा है- दो साल परिवार से अलग रहा कुछ दिन और सही.

समझ में नहीं आ रहा किसको जिम्मेदार माना जाए. यह सही है कि प्रशासन की अपनी सीमाएं हैं. प्रशासन ने चेताया. एकांत में रहने के लिए कहा. उसके और उसके परिवार की दुहाई दी. वह नहीं माना. 10 दिन के बाद उसका सैम्पल लिया गया. सैम्पल लेने के बाद वहीं पर क्वारन्टीन किया जा सकता था. लेकिन छोड़ दिया गया.  क्रिकेट खेलने के लिए. घूमने-फिरने के लिए. शादी-विवाह अटेंड करने के लिए.

तीन की रात में पहला कोरोना पॉजिटिव मिला.  उसके घर और संपर्क में आये बाकी लोगों को 8 की रात में क्वारन्टीन किया गया. ये पांच दिन बहुत खतरनाक थे.  इन पांच दिनों का खामियाजा हमें भुगतना होगा. भुगत रहे हैं. हो सकता है इनको अलग-थलग करने का कोई मुहूर्त निकाला गया हो. लेकिन यह मुहूर्त बहुत भारी पड़नेवाला है.

जो नहीं हो सका उसपर सोचना बेकार है. जो होना चाहिए कम से कम वह तो हो. गांव के सारे मुहल्ले ठीक से सैनिटाइज किए जाएं. छोटी मशीनों से कुछ नहीं होनेवाला इसलिए बड़ी मशीनें लाई जाएं.  फायर लेंडर मशीन भी. टोलेवार रोस्टर बनाकर एक-एक गली, एक-एक घर सैनिटाइज किया जाए. एक दिन नहीं हर रोज.  50 मीटर के दायरे में रहनेवाले हर एक व्यक्ति का टेस्ट हो. पूरे गांव की स्क्रीनिंग हो. आवश्यक वस्तुएं (राशन,सब्जी,दवा, फल) की आपूर्ति के लिए विक्रेता अलॉट किए जाएं.  उनका नंबर सार्वजनिक हो. ऑन डिमांड घर-घर आपूर्ति सुनिश्चित हो.

सिवान ज्वालामुखी का एपिसेंटर बन चुका है. यहां आगे और भी कोरोना के हॉटस्पॉट मिल सकते हैं. बिहार को उत्तरप्रदेश से सीखना चाहिए. वहां हर जिले में टेस्ट सेंटर बनाये जा रहे हैं. बिहार में स्थायी न सही अस्थायी ही कम से कम जिलों में तो एलार्मिंग बने.

वुहान से पंजवार का रास्ता कोरोना ने सिर्फ चार महीने में तय किया है. इसकी गति का आकलन किया जा सकता है. अपने घर को अभेद्य दुर्ग मानिए. प्रशासन का सहयोग कीजिए. खुद को रोकिए. अगर हम आप नहीं रुके तो कोरोना नहीं रुकनेवाला.

ये लेख बिहार के पंजवार, सिवान के रहने वाले संजय सिंह ने अपने फेसबुक वॉल पर लिखा है.