अनलॉक होते शहर, बाजार और कस्बों के बीच क्या है सूबे में कोरोना का हाल?

अनलॉक होते शहर, बाजार और कस्बों के बीच क्या है सूबे में कोरोना का हाल?

देश-दुनिया में कोरोना को लेकर चाहे जितना शोर हो. देश के अलग-अलग राज्यों में बढ़ते संक्रमण के मद्देनजर कहीं लॉकडाउन को बढ़ाया जा रहा हो, और कहीं फिर से लॉकडाउन लगाने की बात हो रही हो. ठीक उसी समय में बिहार नॉर्मल की ओर बढ़ रहा है. बाजार में पहले जैसी ही गहमागहमी देखने को मिल रही है. लोग छककर भोज उड़ा रहे हैं. शादियों और जलसों में शामिल हो रहे हैं. 100 में से आधे और आधे से भी कम लोग ही मास्क लगाए बाजार में दिख रहे हैं. मामले भले ही रोज बढ़ रहे हैं. हालांकि सरकार (स्वास्थ्य विभाग और मंत्रालय) के दावे के हिसाब से बिहार का रिकवरी रेट देश-दुनिया की तुलना में कहीं आगे है. ऐसे में सवाल उठने तो लाजमी हैं कि बिहार क्या वाकई इस मुस्तैदी और रफ्तार से कोरोना संक्रमण से लड़ रहा है? ऐसे में जब देश-दुनिया के कई विशेषज्ञों का मानना है कि देश में अभी कोरोना का पीक आना बाकी है, तो चुनावी मोड में आ चुका बिहार वाकई कोरोना से लड़ाई को लेकर इतना संजीदा है?

क्या कहते हैं सरकार के आंकड़े?
बिहार के स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडे ने रविवार को जारी आंकड़े में बताया कि पिछले 24 घंटे में कोरोना से संक्रमित 226 मरीज स्वस्थ हुए. इसके साथ ही सूबे में कुल 7,156 मरीज अब तक स्वस्थ हो चुके हैं. राज्य के भीतर कोरोना वायरस से रिकवरी दर 78 फीसदी तक पहुंच गया है. वहीं बिहार के स्वास्थ्य विभाग द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार सूबे में कुल 9,224 लोग संक्रमित हैं. वर्तमान में सूबे के भीतर 1,898 मरीजों का इलाज चल रहा है. सरकारी आंकडों को ही देखें तो अब तक 2,05,832 जांच किए जा चुके हैं.


सरकार (स्वास्थ्य विभाग और मंत्रालय) के दावे और सच?
प्रदेश के भीतर कोरोना की यथास्थिति को जानने व समझने के लिए ‘द बिहार मेल’ ने सूबे में कोविड अपडेट्स के लिहाज से वेबसाइट चला रहे सत्यम से बातचीत की. कोरोना संक्रमण से लड़ने हेतु सरकारी दावे पर सत्यम कहते हैं, “देखिए बिहार एक ऐसा राज्य है जो टेस्टिंग में सबसे पिछड़ा राज्य है. यहां 10 लाख लोगों में सिर्फ 1722 लोगों की ही टेस्टिंग हो रही है. जबकि मुख्यमंत्री ने 12 मई को ही 10,000 टेस्टिंग करने की बात कही थी.”

मुजफ्फरपुर के भीतर शादी के भोज के दौरान हाल में ली गई तस्वीर- (फेसबुक वॉल -शंकर पंडित)

राज्य के भीतर टेस्टिंग और तमाम गतिविधियों के नॉर्मल की ओर बढ़ने के सवाल पर सत्यम सूबे की राजधानी के हवाले से कहते हैं, ” देखिए सरकार मीडिया को क्वारन्टीन केंद्रों में जाने नहीं दे रही. जबकि पहले की तुलना में बाहर से लोग तो और तेजी से आने-जाने लगे हैं. स्वास्थ्य मंत्री ही इस बात के दावे कर रहे थे कि 20 जून तक 10,000 सैंपल का जांच करेंगे, लेकिन 9 दिन बाद भी सरकार उसके आसपास नहीं. ऐसे में जब सरकार की ओर से सभी जिलों में ट्रू नेट मशीनें लगवाने के दावे हो रहे ठीक उसी समय पहले (जब सिर्फ 5 टेस्टिंग सेंटर थे) से 2000 ही अधिक टेस्ट क्यों हो रहे?”

खबर के अंत में देश की राजधानी (दिल्ली) की यथास्थिति और संक्रमण के बढ़ते मामलों को देखकर सिर्फ यही कहना है कि जब दिल्ली अपने तमाम अस्पतालों और स्वास्थ्य सुविधाओं के बावजूद कोरोना से लड़ाई में परेशान दिख रही है. ठीक उसी समय में सूबे के राजधानी (पटना) और दूसरे शहरों की कौन पूछे. लोग खुद के ही भरोसे छोड़े जा चुके हैं. पार्टियां चुनावी मोड में आ चुकी हैं. चुनाव आयोग भी एक ही चरण में चुनाव कराने की बातें कहता देखा जा रहा है. उत्तरी बिहार जरा सी बारिश में ऊभचूभ करने लगा है, और सूबे का लोक तो पहले ही कोरोना को ‘कोरोना माई’ बनाकर पूजने लगा है!!!