सुप्रीम कोर्ट का फैसला: अगली सुनवाई तक मानवाधिकार कार्यकर्ता अपने घर में नजरबंद रहेंगे

सुप्रीम कोर्ट का फैसला: अगली सुनवाई तक मानवाधिकार कार्यकर्ता अपने घर में नजरबंद रहेंगे

भीमाकोरेगांव मामले में पुणे पुलिस द्वारा गिरफ्तार किए पांच मानवाधिकार कार्यकर्ता सुप्रीम कोर्ट की अगली सुनवाई तक घर में नजरबंद रहेंगे. इस मामले की अगली सुनवाई  छह सितंबर को होगी.

सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश दीपक मिश्रा के नेतृत्व वाली पांच न्यायाधीशों की एक पीठ ने आज यह फैसला दिया. अदालत ने महाराष्ट्र सरकार से इन गिरफ्तारियों को चुनौती देते हुए दायर की गई याचिकाओं का जवाब देने को कहा है. अदालत ने फैसला सुनाने के दौरान कहा, ‘‘ असहमतियां लोकतंत्र का सुरक्षा कवच हैं. अगर आप इसका मौका नहीं देेंगे तो प्रेशर कूकर फट सकता है.”

वहीं पुणे पुलिस का दावा है कि यह कार्यकर्ता एक बड़ा षडयंत्र रच रहे थे और इनकी योजना 35 कॉलेजे के लोगों को भर्ती करके हमले शुरू करने की थी.  इन कार्यकर्ताओं पर गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियमके तहत मामला दर्ज किया गया है. महाराष्ट्र पुलिस द्वारा कल गिरफ्तार किये गये इन कार्यकर्ताओं पर माओवादियों से संपर्क होने के संदेह हैं.

इतिहासकार रोमिला थापर और चार अन्य कार्यकर्ताओं ने पांच मानवाधिकार कार्यकर्ताओं की गिरफ्तारी के विरोध में  आज सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था. जिसके बाद अदालत ने यह फैसला सुनाया है.

पुणे के निकट भीमा-कोरेगांव में पिछले साल 31 दिसंबर को आयोजित एलगार परिषद के बाद दलितों और सवर्ण जाति के पेशवाओं के बीच हिंसा की घटनाओं की जांच के दौरान कल देश के कई हिस्सों में छापे मारे गये थे और इन मानवाधिकार कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार किया गया था.