देश के शीर्ष अदालत में एक समान तलाक कानून और एक समान गुजारा भत्ता की मांग वाली एक याचिका दाखिल की गई है. ये याचिका बीजेपी नेता और वकील अश्विनी कुमार उपाध्याय ने दाखिल किया है. उन्होंने अपनी याचिका में सभी धर्मों में तलाक़ का आधार एक किए जाने की मांग की है. याचिका में कहा गया गया है कि देश के सभी नागरिकों के लिए संविधान की भावना के अनुरूप तलाक़ का आधार एक हो.
इस याचिका के बाद सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया है. नोटिस में कोर्ट ने केंद्र से पूछा कि क्यों ना हर धर्म के लोगों के लिए एक समान कानून हो, जिस से तलाक और गुज़ारा भत्ता तय किया जाए. हालांकि सुनवाई करते हुए चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया एसए बोबडे ने कहा कि यह मामला पर्सनल लॉ से जुड़ा है इसमें हम कैसे दखल दे सकते हैं, लेकिन सावधानी के साथ नोटिस जारी किया जा रहा है.
बता दें कि देश में हिंदू मैरिज एक्ट के तहत हिंदू, बौद्ध, सिख और जैन समुदाय के लोगों को तलाक मिलता है. वहीं मुस्लिम, पारसी, ईसाइयों का अपना पर्सनल लॉ है. जहां हिंदू, बौद्ध, सिख और जैन हिंदू मैरिज एक्ट 1955 के तहत आते हैं. इसके अलावा हिंदू एडॉप्शन एंड मेनटेनेंस एक्ट 1956 भी इन पर लागू होता है. वहीं क्रिश्चियन इंडियन डिवोर्स एक्ट 1869, पारसी लोग पारसी मैरिज एंड डिवोर्स एक्ट और मुस्लिमों में मुस्लिम वूमेन एक्ट 1986 के तहत गुजारा भत्ता तय होता हैं.
याचिकाकर्ता की तरफ से वकील पिंकी आनंद और मीनाक्षी अरोड़ा ने सु्प्रीम कोर्ट में दलील पेश किया. सुनवाई के दौरान याचिका के समर्थन में दलील देते हुए पिंकी आनंद और मीनाक्षी अरोड़ा ने कहा कि तलाक और गुजारा भत्ता मामले में अलग-अलग धर्म में विभेद है और इस भेदभाव को खत्म किया जाना चाहिए.