‘अगर भारत हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन (Hydroxychloroquine) के निर्यात से प्रतिबंध नहीं हटाता है तो हम जवाबी कार्रवाई कर सकते हैं.’ अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का ये बयान भारत द्वारा ये दवा बैन करने के दो हफ्ते बाद आया है. अमरीकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने सोमवार को व्हाइट हाउस में डेली प्रेस ब्रीफ़िंग के दौरान पत्रकारों के सवालों का जवाब देते हुए ये बात कही है. एनडीटीवी के खबर के मुताबिक ट्रंप से वहां मौजूद एक पत्रकार ने पूछा कि क्या भारत भी अमेरिका द्वारा दवाओं के प्रतिबंध के खिलाफ कार्रवाई करेगा?
इस सवाल का जवाब देते हुए ट्रंप ने कहा- ‘मुझे ये फैसला पसंद नहीं. मैंने ये नहीं सुना कि ये मोदी का फैसला है. मैं ये जानता हूं कि भारत ने दूसरे देशों के लिए दवा के निर्यात पर प्रतिबंध किया है. मेरी कल ही उनसे बात हुई है. हमदोनों की अच्छी बात हुई है. मुझे आश्चर्य होगा अगर भारत ऐसा करता है तो. भारत को कई सालों तक हमारे देश के साथ व्यापार करने में फायदा मिला है. अगर भारत हमारे दवा के सप्लाई पर रोक लगाता है तो वो फिर हमारे तरफ से भी जवाबी कार्यवाही हो सकती है.’
क्या है हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन
हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन या HCQ एक एंटी मलेरिया दवा है, जिसका इस्तेमाल मलेरिया, ल्यूपस और रयूमेटाइड अर्थराइटिस जैसी बीमारियों के लिए किया जाता है. इस दवा का 70 प्रतिशत मैन्युफैक्चरिंग भारत में होता है. यानी कि दुनिया भर में ये दवा सबसे ज्यादा भारत में बनाई जाती है. भारत में सिप्ला, आईपीसीए, इंटास, वॉलेस और जाइड्स कैडला जैसी कंपनियां इस दवा को बनाती है. इस दवा का ‘एक्टिव इंग्रीडियेंट’ (दवा बनाने के लिए जरूरी केमिकल) भारत में चीन से निर्यात होता है, रिपोर्टों के अनुसार चीन ने अपनी सप्लाई नहीं घटाई है.
कोरोना में कैसे कारगर साबित हो सकती है ये दवा
कोविड-19 एक ऐसा संक्रमण है जो संक्रमित व्यक्ति के फेफड़े पर असर करता है. इसके कारण सांस लेने के सेल में लगातार कमी आती है और वायरस फेफड़े के सेल पर धीरे-धीरे कब्जा करने लगता है. हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन में मौजूद केमिलकल दवा को सीधे फेफड़े तक ले जाते हैं और उसमें मौजूद जिंक वाइरस के सेल को रोक देते हैं, जिससे इम्यून सिस्टम को इससे लड़ने में मदद मिलती है.
क्यों इस दवा की मांग बढ़ी गई है?
भारत में हर साल बड़ी संख्या में लोग मलेरिया की चपेट में आते हैं, जिसकी वजह से भारतीय दवा कंपनियां बड़े स्तर पर हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वाइन का उत्पादन करती हैं. हाल ही में एक रिसर्च में ये बात सामने आई है कि ये दवा कोरोना वायरस से लड़ने मददगार साबित हो सकती है. इसके बाद से ही दुनिया भर में हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वाइन की मांग बढ़ गई है. आपको बता दें कि ये दवाई दुनिया में सबसे ज्यादा भारत में ही बनाई जाती है, लेकिन भारत में बढ़ते कोरोना वायरस के संकट को देखते हुए सरकार ने इसके निर्यात पर रोक लगा दी थी. आपको बता दें कि फ़िलहाल भारत की कपैसिटी20 करोड़ टैबलेट प्रतिदिन बनाने की है.
ICMR – इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च ने यह दवा उन लोगों को देने की इजाजत दे दी है, जो कि हाई रिस्क कैटेगरी में आते हैं. इसमें डॉक्टर और मेडिकल स्टाफ के साथ ऐसे लोग शामिल हैं जो कि किसी कोविड 19 पॉजिटिव के संपर्क में आए हैं.
भारत ने कब औऱ क्यों लगाई रोक
बीबीसी के अनुसार 25 मार्च 2020 को डायरेक्टर जनरल ऑफ फॉरेन ट्रेड ने एक सर्कुलर जारी करके इस दवा पर प्रतिबंध लगाया था. साथ ही ये कहा था कि इस दवा की जहां पूरी पेमेंट ली जा चुकी हो सिर्फ वहीं इसका निर्यात किया जाएगा. डायरेक्टर जनरल ऑफ फॉरेन ट्रेड ने 4 अप्रैल को दोबारा एक और सर्कुलर जारी किया. नए सर्कुलर में संशोधन करते हुए ये कहा गया कि किसी भी परिस्थिति में इस दवा के निर्यात पर पूरी तरह से रोक है.
दुनिया भर में कोरोना की स्थिति
इस वक्त दुनिया भर में कोरोना पीड़ितों की संख्या 13,47,803 है. वहीं मरने वालों की संख्या 74,807 हो गई है. अगर अमेरिका की बात करें तो वहां कोरोना संक्रमितों की संख्या 3,67, 461 और मरने वालों की संख्या 10,910 हो गई है. भारत में कोरोना संक्रमितों का आंकड़ा 4421 और मरने वालों की संख्या 114 पहुंच गई है.