देश के अलग-अलग राज्यों के भीतर किए गए स्वास्थ्य सर्वेक्षण की रिपोर्ट सार्वजनिक हो चुकी है. इस रिपोर्ट ने जहां एक ओर देश-दुनिया की वास्तविक स्थिति को उजागर किया है, वहीं दूसरी ओर कई कथित चमकीले राज्यों के मुलम्मे को भी उतारने का काम किया है. कहना न होगा कि किसी भी राज्य या देश की खुशहाली काफी हद तक इस बात पर निर्भर करती है कि वहां के नागरिकों का स्वास्थ्य कैसा है? बच्चों और महिलाओं के स्वास्थ्य में क्या गुणात्मक बदलाव आए हैं.
गौरतलब है कि राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (एनएफएचएस) ने हाल के दिनों में कई राज्यों के लिहाज से स्वास्थ्य के आंकड़े जारी किए हैं, लेकिन चौंकाने वाली बात यह सामने आई है कि गुजरात की तुलना में पश्चिम बंगाल के बच्चों का स्वास्थ्य बेहतर है. जबकि रिजर्व बैंक के आंकड़ों के मुताबिक गुजरात की प्रति व्यक्ति आय बंगाल के मुकाबले दोगुनी है. इस वृहद सर्वेक्षण में देश के सभी राज्यों के चार लाख परिवारों को शामिल किया गया था.
यहां हम आपको बताते चलें कि एनएफएचएस के आंकड़ों के मुताबिक गुजरात में नवजात बच्चों का मृत्यु दर 21.8 प्रतिशत है. वहीं बंगाल में यह आंकड़ा 15.5 प्रतिशत है. अगर दूसरी तरफ हम शिशु मृत्यु दर (1 साल के भीतर मरने वाले बच्चे) की बात करें तो वहां भी गुजरात का हाल बंगाल के मुकाबले खराब ही नजर आता है. गुजरात में शिशु मृत्यु दर 31.2 प्रतिशत है, जबकि पश्चिम बंगाल में यह दर 22 प्रतिशत है. इसी तरह जन्म के पांच साल के भीतर भी मरने वाले बच्चों के मामले में भी गुजरात ऊपर है, और इन आंकड़ों में ऊपर रहना अच्छा नहीं. गुजरात में यह आंकड़ा 37.6 प्रतिशत है, जबकि पश्चिम बंगाल में यह 25.4 प्रतिशत है.
इकोनॉमिक और पॉलिटिकल वीकली में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक दो दशक पहले (1994-96) के वक्त दोनों राज्यों में शिशु मृत्यु दर का फासला महज पांच फीसदी था, लेकिन अब यह फासला 9 फीसदी के करीब जा पहुंचा है. बात अगर उसी वक्त की करें तो तब पश्चिम बंगाल में शिशु मृत्यु दर 58 प्रतिशत था. जबकि गुजरात में यह आंकड़ा 63 प्रतिशत के करीब था. इन दो दशकों के बीच दोनों राज्यों में अमीरी और गरीबी का अंतर भी बढ़ा है.
पोषण के मामले में भी गुजरात के बच्चे पश्चिम बंगाल से पिछड़े हुए हैं. पांच साल तक के बच्चों पर गुजरात में किए गए सर्वे के अनुसार वहां के 39 प्रतिशत बच्चे अपने उम्र की लंबाई से छोटे हैं. पश्चिम बंगाल में यह आंकड़ा 33.8 फीसदी है. एनएफएचएस के सर्वेक्षण में यह भी सामने आया कि 10.6 फीसदी बच्चे गुजरात में ऐसे भी हैं जिनका वजन उनकी लंबाई के हिसाब से बहुत ही ज्यादा कम है. जबकि पश्चिम बंगाल में इस तरह के बच्चे केवल 7 फीसदी ही हैं…