लॉकडाउन डायरी नीदरलैंड से – पापा! आउटसाइड इज़ कोरोना…खबरें

लॉकडाउन डायरी नीदरलैंड से – पापा! आउटसाइड इज़ कोरोना…

लगभग डेढ़ साल बीत गए हैं नीदरलैंड आये. हाँ, वही नीदरलैंड. फिलिप्स रेडियो वाला. फिलिप्स यहीं की कंपनी है और…

लॉकडाउन डायरी, डे -11: रास्ता चाहे कितना भी मुश्किल लगे, घर हम सबका होता है…खबरें

लॉकडाउन डायरी, डे -11: रास्ता चाहे कितना भी मुश्किल लगे, घर हम सबका होता है…

देर रात हो चुकी है. दस बजकर छियालीस मिनट. खाना खा लिया है. गौरव ने बनाया था. आलू-बैंगन-टमाटर की हलकी…

लॉकडाउन डायरी, डे -12: तो क्या ये सारी दुनिया मेरा अदर हाफ़ है?देश

लॉकडाउन डायरी, डे -12: तो क्या ये सारी दुनिया मेरा अदर हाफ़ है?

दून घाटी अप्रेल 3, 2020 प्रिय ….., इस विश्वास के साथ तुम्हें लिख रही हूँ कि तुम जहाँ हो, मुझे…

क्या ‘कोरोना’ की बिसात पर बिहार का स्वास्थ्य विमर्श बदल सकता है?खबरें

क्या ‘कोरोना’ की बिसात पर बिहार का स्वास्थ्य विमर्श बदल सकता है?

इस समय पूरी दुनिया में एक ही शब्द सबपर भारी है. कोरोना. चीन के वुहान शहर से निकलकर पूरी दुनिया…

कई जगहों पर सफाई कर्मचारियों के साथ हो रही बदतमीजी के बीच बिहार से दिल छू लेने वाला वीडियो आयाखबरें

कई जगहों पर सफाई कर्मचारियों के साथ हो रही बदतमीजी के बीच बिहार से दिल छू लेने वाला वीडियो आया

पिछले 3-4 दिनों में देश के अलग-अलग जगहों से डॉक्टरों, स्वस्थ्य कर्मियों और सफाई कर्मचारियों के साथ कोरोना मरीजों द्वारा…

लॉकडाउन डायरी, डे -13: याद की गली में दूर तक जाना…खबरें

लॉकडाउन डायरी, डे -13: याद की गली में दूर तक जाना…

याद. वो लमहे, दिन और साल जो अब सामने नहीं मगर भीतर कहीं हैं. बचपन में पिता को अकसर एक…

क्या कभी ऐसा हो सकता है कि हम कुछ सोच ही न पाएं?देश

क्या कभी ऐसा हो सकता है कि हम कुछ सोच ही न पाएं?

मैं सोचती हूं कि मुझे कितनी सारी चीजों से कितनी शिकायतें रहती थीं, आजकल वो शिकायतें पता नहीं कहां चल…

लॉकडाउन डायरी, डे -14: हम इतने अकेले हैं कि दूसरों के साथ रिश्ता महसूस करना भूलने लगे हैंखबरें

लॉकडाउन डायरी, डे -14: हम इतने अकेले हैं कि दूसरों के साथ रिश्ता महसूस करना भूलने लगे हैं

कभी-कभी हम जो कुछ कर रहे होते हैं, सब वहीं छोड़कर, किसी ऐसी जगह चले जाते हैं, जिसे बहुत साफ़…

लॉकडाउन जर्नल: बाहर का अन्याय खत्म करने के लिए हमें भीतर का अन्याय खत्म करना होगाखबरें

लॉकडाउन जर्नल: बाहर का अन्याय खत्म करने के लिए हमें भीतर का अन्याय खत्म करना होगा

मुझे लगता है कि मैं एक चक्रवात के बीच फँसी हूँ. दो अलग दुनियाओं से उठती हवाओं का बना चक्रवात.…

लॉकडाउन डायरी, डे -17: प्रिय इको, हम सिर्फ़ अपने दुखों की मृत्यु चाहते हैं…खबरें

लॉकडाउन डायरी, डे -17: प्रिय इको, हम सिर्फ़ अपने दुखों की मृत्यु चाहते हैं…

देहरादून रविवार, मार्च 29, 2020 हलो. इको, मुझे तो यह भी नहीं पता कि तुम्हारा नाम किस तरह पुकारा जाए.…