किसान आंदोलन में शामिल होने वाले यूपी के किसानों को 50 लाख का नोटिस

किसान आंदोलन में शामिल होने वाले यूपी के किसानों को 50 लाख का नोटिस

नए कृषि कानून के ख़िलाफ़ पंजाब, हरियाणा और यूपी के किसानों का प्रदर्शन लगातार जारी है. ऐसे में अब ये ख़बर आई है कि उत्तर प्रदेश में प्रदर्शन में शामिल होने वाले किसानों को नोटिस भेजे जा रहे हैं. यूपी के संभल ज़िले के 6 किसान नेताओं को प्रदर्शन में शामिल होने की वजह से 50 लाख का नोटिस भेजा गया है. हालाँकि अब मुचलके की राशि कम करके 50 हजार कर दी गई है. 

नोटिस में किसानों पर गांव-गांव जाकर दूसरे किसानों को भड़काने और अफवाह फैलाने की बात लिखी गई है. इससे प्रशासन ने प्रदेश में शांति व्यवस्था भंग होने की आशंका जताई है.  किसानों को यह नोटिस धारा 111 के तहत 12 और 13 दिसंबर को भेजे गए.

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार इस पूरे मामले में एसडीएम दीपेंद्र यादव ने कहा कि उन्हें हयात नगर पुलिस थाने से रिपोर्ट मिली थी कि कुछ व्यक्ति किसानों को उकसा रहे हैं. इससे शांति भंग होने की आशंका है. एसडीएम के मुताबिक थाना अध्यक्ष की रिपोर्ट में यह बात कही गई कि इन लोगों को 50-50 हजार रुपये का मुचलका भरना होगा.

सिंघु बॉर्डर पर जमे किसान – (तस्वीर- आकाश पांडे)

यूपी में जिन किसानों को यह नोटिस भेजा गया है, उनमें संभल जिले में भारतीय किसान यूनियन (असली) के जिलाध्यक्ष राजपाल सिंह के साथ ही किसान नेता जयवीर सिंह, सतेंद्र उर्फ गंगाफल, ब्रह्मचारी, वीर सिंह और रोहतास शामिल हैं.

किसानों ने मुचलका भरने से किया इनकार
प्रशासनिक कार्रवाई के जवाब में  किसानों का कहना है कि वो कोई मुचलका नहींं भरेंगे. इसके लिए चाहे सरकार उन्हें जेल में डाल दे या फांसी की सजा दे. यहां यह बताना जरूरी है कि उत्तरप्रदेश में किसान आंदोलन के समर्थन में चल रहे प्रदर्शन पश्चिमी उत्तरप्रदेश में अधिक देखे जा रहे हैं. किसान नेता महेंद्र टिकैत द्वारा शुरू किया गया किसान संगठन ‘भारतीय किसान यूनियन’ इन इलाकों में अपेक्षाकृत सक्रिय है. भारतीय किसान यूनियन से जुड़े किसान राकेश टिकैत के नेतृत्व में गाजीपुर बॉर्डर पर डटे हैं.

अंत में हम आपको यह भी बता दें कि किसानों का यह विरोध प्रदर्शन केंद्र सरकार के कृषि कानूनों के खिलाफ़ हैजिसके बारे में किसानों का यह कहना है कि यह कानून किसान विरोधी और उद्योगपतियों के पक्ष में है और इससे न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपीको खत्म करने का रास्ता साफ हो जाएगाऑल इंडिया किसान संघर्ष कॉर्डिनेशन कमेटी (एआईकेएससीसी), राष्ट्रीय किसान महासंघ और भारतीय किसान यूनियन के कई गुटों ने 26-27 नवंबर को ‘दिल्ली चलो’ का आह्वान किया था, जिसके बाद से ही किसान अपनी मांग को लेकर 23 दिन से दिल्ली में डंटे हुए हैं.