एक दिन किसी अमीर महिला से बात करते हुए बिहार में लू से मरनेवालों का जिक्र हो आया तो उन्होंने कहा, ‘’लोग इतनी गर्मी में बाहर निकलते क्यों हैं और अपने घरों में एसी क्यों नहीं लगा लेते?’’ मैं इसके बाद भूल ही गई कि आगे क्या कहनेवाली थी…
इसके बाद एक और मौका आया टीवी के लिए.
ऐसी तस्वीर जिसे देखकर सबको रोना आ गया था, अल सल्वाडोर के एक व्यक्ति और उसकी दो साल की बच्ची… यह तस्वीर अमेरिका–मेक्सिको की सीमा पर की थी. यह दोनों अमेरिका में एक अच्छे भविष्य की शरण लेने की कोशिश में थे लेकिन डूब गए.
इस तस्वीर को लेकर भारत के टीवी एंकर ‘शरणार्थी संकट’ मुद्दे पर जोर–जोर से अपनी बातें रख रहे थे और बहुत ही दया दिखा रहे थे लेकिन यही एंकर अपने देश में किसी को शरण भी नहीं देना चाहते हैं. तो कुलमिलाकर बात यह है कि हमारी सोच हर संकट को लेकर बेहद सलेक्टिव हो चुकी है. सलेक्टिव कहें तो अपनी सुविधा के हिसाब से सही–गलत ठहराना.
बाढ़ का शिकार हुआ बच्चा अर्जुन
अभी बिहार के भी एक बच्चे की तस्वीर सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है. प्रभात खबर के मुताबिक इस बच्चे का नाम अर्जुन है और तस्वीर मुजफ्फरपुर के मीनापुर प्रखंड की है.
‘बच्चा प्राकृतिक आपदा का शिकार हुआ है.’ यह बात खुद से कितनी बार बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों का हवाई सर्वेक्षण करनेवाले लोग कहते होंगे . जो भी हो, बिहार के लिए यह नया नहीं है. यह कहकर भी आगे बढ़ा जा सकता है. खराब स्थिति अगर लंबे समय तक बनी रहे तो फिर वही सामान्य सी लगने लगती है. बिहार में यही सामान्य है.
सरकारी आंकड़ों के मुताबिक बिहार के 12 जिलों शिवहर, मुजफ्फरपुर, सीतामढ़ी, पूर्वी चंपारण, मधुबनी, दरभंगा, सहरसा, किशनगंज, सुपौल, अररिया, पूर्णिया और कटिहार में अब तक 67 लोगों की मौत हो चुकी है और 46 लाख 83 हजार आबादी प्रभावित है.
अब बिहार सरकार की तैयारी देखिए. पत्रकार पुष्य मित्र लिखते हैं कि बाढ़ से पीड़ित लोगों की संख्या 26 लाख से बढ़कर 46 लाख हो गई मगर राहत केंद्रों की संख्या 185 से घटाकर 137 कर दी गई.
बिहार में बाढ़ से निपटने की बड़ी तैयारी बाढ़ आने के बाद होती है और बाढ़ के बाद फैलने वाली बीमारी से निपटने की भी तैयारी उसके बाद ही होती है. ऐसे में कितने ही अर्जुनों की मौत चमकी बुखार से हो गई, कितने ही बाढ़ का शिकार हो गए और कितने ही अगली बार के चमकी बुखार और बाढ़ में लील लिए जाएंगे. यह हम और आप सोचते रहेंगे.