चौरी चौरा (गोरखपुर) से राजघाट (दिल्ली) के लिए चल रही पदयात्रा के आठ युवाओं को ग़ाज़ीपुर (उ.प्र.) में पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है. ‘नागरिक सत्याग्रह’ नाम से चल रही इस पदयात्रा में कई विश्वविद्यालयों के छात्र थे. एक महिला पत्रकार थीं और कुछ सामाजिक कार्यकर्ता थे.
पुलिस ने बिना किसी पूर्व सूचना के इन्हें 11 फरवरी को रास्ते से उठा कर थाने ले गई और फिर थोड़ी देर के बाद शांति भंग व अन्य कई धारा लगा कर जेल भेज दिया. साथ चल रही महिला सदस्य प्रदीपिका सारस्वत ने गिरफ्तार होने से पहले बताया कि बीते तीन-चार दिनों से पुलिस उनके आसपास मंडरा रही थी. उनसे यात्रा को लेकर सवाल-जवाब भी किए जा रहे थे.
प्रदीपिका पत्रकार हैं. उन्होंने गिरफ्तार होने से पहले अपने फेसबुक पेज पर भी लिखा है कि ‘कल शाम से लोकल इंटेलीजेंस और पुलिस यात्रियों के चक्कर काट रही है, तस्वीरें खींच रही है, वीडियो उतार रही है. स्टेट इतना डरा हुआ कि चंद लोगों को शांति और सौहार्द की बात करते हुए नहीं देख पा रहा है.’
इस बाबत गाजीपुर (सदर) के एसडीएम से पूछने पर उन्होंने बताया कि इन सभी लोगों ने पदयात्रा के लिए कोई अनुमति नहीं ली थी, फिलहाल इन्हें 151 और 107/16 के तहत गिरफ्तार किया जा रहा है और मामले में जांच करके आगे की कार्रवाई की जाएगी. पुन: 11 फरवरी की देर रात उप जिला मजिस्ट्रेट ने ढ़ाई- ढ़ाई लाख रुपये का मुचलका और दो गजटेड ऑफिसर की शर्त पर जमानत देने का आदेश दिया है. पुलिस ने जिन धाराओं (धारा 151, 7/16 ) के साथ इन्हें गिरफ्तार किया है, उसमें पचीस हजार का मुचलका लिया जाता है. ऐसे में इस तरह का आदेश अपने आप में अजीब है.
नागरिक सत्याग्रह पदयात्रा की शुरुआत चौरीचौरा के शहीद स्मारक से गत 2 फरवरी 2020 को हुई है. लगभग 200 किमी की पदयात्रा करके ये सत्याग्रही मऊ से आगे बढ़कर मंगलवार को गाजीपुर पंहुचे थे. फिलहाल जमानत नहीं हो सकी है और वहां मौजूद अन्य लोगों का कहना है कि उप जिला मजिस्ट्रेट वहां अपने चेम्बर में मौजूद भी नहीं हैं.