राष्ट्रीय जनता दल के संस्थापक सदस्य और पूर्व केंद्रीय मंत्री डॉ रघुवंश प्रसाद सिंह नहीं रहे. कोरोना से संक्रमित होने के बाद जहां वे पहले पटना एम्स में भर्ती रहे, और इस बीच फेफड़े के संक्रमण का इलाज दिल्ली एम्स में चल रहा था. शुक्रवार और शनिवार की दरमियानी रात उनकी तबियत और भी बिगड़ गई थी. उन्हें वेंटिलेटर पर रखा गया था. पिछले करीब एक सप्ताह से उनका इलाज दिल्ली एम्स में चल रहा था.
राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव ने भी ट्वीट करके कहा
प्रिय रघुवंश बाबू! ये आपने क्या किया?
मैनें परसों ही आपसे कहा था आप कहीं नहीं जा रहे है। लेकिन आप इतनी दूर चले गए।
नि:शब्द हूँ। दुःखी हूँ। बहुत याद आएँगे।
— Lalu Prasad Yadav (@laluprasadrjd) September 13, 2020
तेज प्रताप यादव ने भी ट्वीट करके श्रद्धांजलि दी।
हमारा सिरमौर हमारे बीच नहीं रहा 😭।
पूर्व केन्द्रीय मंत्री व @RJDforIndia के वरिष्ठ नेतृत्वकर्ता आदरणीय रघुवंश प्रसाद जी की मौत की खबर सुनकर मर्माहत हूँ।
भगवान उनकी आत्मा को शांति दें। आपका हम सबों को छोड़कर जाना, मानो हमारे सिर से एक अभिभावक का साया हटने जैसा प्रतित हो रहा है।
— Tej Pratap Yadav (@TejYadav14) September 13, 2020
यहां हम आपको बताते चलें कि बीते कुछ दिनों से वे और उनकी चिट्ठियां सूर्खियों में थीं. उन्होंने पहले तो अपना इस्तीफा राजद सुप्रीमो को भेजा और उसके बाद पार्टी पर वंशवाद और सामंतवाद को बढ़ावा देने का आरोप लगाया. पार्टी पर समाजवाद के बजाय जातिवाद के साथ जाने के भी आरोप लगाए. उन्होंने कहा कि पार्टी में महात्मा गांधी, अंबेडकर, जयप्रकाश नारायण, डॉ लोहिया और कर्पूरी ठाकुर को दरकिनार करते हुए एक ही परिवार के पांच सदस्य पोस्टरों पर चस्पा हैं.
बीते 10 सितंबर को उन्होंने पर्चीनुमा पत्र राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद के नाम भेजा. इस पत्र में उन्होंने कर्पूरी ठाकुर के निधन के बाद 32 वर्षों तक लालू प्रसाद के पीठ पीछे खड़े होने का हवाला दिया था. साथ ही अब खुद को क्षमा करने की दुहाई देते हुए अलग होने की बात कही. हालांकि इस इस्तीफे की पेशकश पर लालू प्रसाद ने भी रिम्स से जवाबी पत्र जारी किया. लालू प्रसाद ने उनके स्वस्थ होने की कामना के साथ यह कहा कि वे कहीं नहीं जा रहे. लालू प्रसाद ने अपने 4 दशकों के संबंधों का हवाला देते हुए उन्हें लिखा कि वे कहीं नहीं जा रहे. वे इस बात को समझ लें.
यहां यह बताना भी जरूरी हो जाता है कि डॉ रघुवंश प्रसाद ने इस बीच एक पत्र बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नाम भी लिखा था. इस पत्र में उन्होंने वैशाली के विकास और धरोहरों को संरक्षित करने की बात पर जोर दिया था. वे वैशाली लोकसभा के कई बार प्रतिनिधि रहे. साल 2014 में वे रामा सिंह से हारे, और रामा सिंह के राष्ट्रीय जनता दल में आने को लेकर भी वे पार्टी नेतृत्व से खफा चल रहे थे.