बिहार विधानसभा चुनाव के बीच आमिर हंजला का परिवार अब भी न्याय की बाट जोह रहा

बिहार विधानसभा चुनाव के बीच आमिर हंजला का परिवार अब भी न्याय की बाट जोह रहा

बिहार में विधानसभा चुनाव की तैयारियां चल रही हैं। रोज राजनीतिक उठापटक जारी है। कोई प्रेस कांफ्रेंस में ही गठबंधन तोड़ कर अपनी नाराजगी जाहिर कर रहा है तो कोई पर्दे के पीछे से अपनी बिसात बिछाए बैठा है। इसी बीच हम पहुंचे फुलवारी शरीफ के हारुन नगर में आमिर हंजला के घर।

वही हामिर हंजला जिनका शव पटना में सीएए-एनआरसी विरोध प्रदर्शन के बीच मिला था। 2019 में पटना का सब्जीबाग, फुलवारी शरीफ में हारुन नगर और इसापुर, पटना विश्विद्यालय के निकट वाला लालबाग और आलमगंज को बिहार का शाहीन बाग कहा जा रहा था। नागरिकता कानून (सीएए) और राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) के खिलाफ दिसंबर के आखिर में प्रदर्शन जोरों पर था और हंजला की आखिरी तस्वीर हाथों में तिरंगा लिए दिखी थी।

फुलवारी शरीफ के राजनीतिक समीकरण समझते और वहां की रिपोर्ट करतेकरते मैं हारुन नगर आया तो आमिर हंजला के परिवार से मिलने पहुंचा। हारुन नगर में हंजला के परिवार तक पहुंचने वाली गली में बारिश का पानी जमा हुआ है। गली के कोने में उनका घर पड़ता है। घर का दरवाजा एक महिला खोलती हैं, पहले बात करने से हिचकिचाई फिर आमिर के भाई को बुलाया।  उनका नाम अब्दुल अहद है। वह घर के दूसरे कमरे में ले गये और खुद को संभालते हुए बातचीत शुरू की

वह बताते हैं, ” आमिर काफी खुश मिजाज लड़का था। उसे राजनीति से कोई मतलब नहीं था और हिंसा से उसका दूरदूर तक कोई वास्ता नहीं था। हां, पब्जी खेलना उसे पसंद था और इसी में काफी व्यस्त भी रहता था। उस दिन भी वह काम के लिए बैग के कारखाने में गया था। लेकिन उस दिन बिहार बंद की घोषणा थी और हर तरफ़ जुलूस निकाले जा रहे थे। फ़ैक्ट्री बंद थी। वह वापस लौट आया और उसी जुलूस में शामिल हो गया। जुलूस के दिन उसकी आख़िरी तस्वीर में वह हाथ में तिरंगा थामे दिख रहा है।  उसके बाद मिली तो ”उसकी सड़ी हुई लाश, वो भी 10 दिनों के बाद

CAA और एनआरसी के विरोध में 21 दिसंबर को  राष्ट्रीय जनता दल (राजद) ने बंद बुलाया था, उस दिन फुलवारी शरीफ में हिंसा हुई थी।दो गुटों के बीच जमकर पत्थरबाजी और गोलियां भी चलने की  खबरें आई थीं और इन घटनाओं में कई लोग घायल हुए थे।

आमिर हंज़ला उसी हिंसा के बाद से लापता थे. परिजनों ने फुलवारी शरीफ़ थाने में आमिर की गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज करायी थी। घटना के 10 दिनों बाद 31 दिसंबर को पुलिस ने हिंसा वाली जगह के पास से ही एक गड्ढे से आमिर का शव बरामद किया।

हंज़ला की पोस्टमार्टम रिपोर्ट में बताया गया था कि किसी धारदार हथियार से उनके पेट पर वार किया गया और किसी भारी वस्तु से उनका सिर कुचल दिया गया था।

कोई नेता सुध लेने तक नहीं पहुंचा

आमिर के घरवालों ने अपना जवान बेटा खो दिया लेकिन इस परिवार को न्याय दिलाने की लड़ाई में विपक्ष भी परिदृश्य से गायब ही रही। चुनाव में भी कहीं इस घटना-वारदात का जिक्र तक नहीं। अहद बताते हैं कि इस तरह की घटना हो गई लेकिन न तो सरकार का कोई नुमाइंदा पूछने के लिए आया ना ही कोई नेता। यह असंवेदनशीलता की हद नहीं तो क्या है?

उन्होंने कहा, ” उस दिन राजद ने बंद की घोषणा की थी, उनके यहां से भी कोई हमारी ख़बर लेने नहीं पहुंचा।

पुलिस ने इस हत्या के आरोप में कई लोगों को गिरफ्तार किया था। अहद बताते हैं कि गिरफ्तारी तो हुई लेकिन जांच तेजी से नहीं हो रहा है कोरोना और लॉकडाउन की वजह से भी चीजें अटकी हुई हैं और आमिर को गए अब साल होने को आएंगे लेकिन न्याय दूरदूर तक भी मिलता नहीं दिख रहा है।

माहौल ऐसा बना दिया है कि बाहर निकलने में भी डर लगता है

अहद कहते हैं, ” फुलवारी शरीफ में माहौल ऐसा बना दिया गया है कि जब टोपी पहन कर बाहर जाते हैं तो डर लगता है।  ये सरकार की नाकामी है कि हत्यारों के खिलाफ कोई आवाज़ नहीं उठायी गई। आज आमिर को मारा है कल कोई और होगा , परसों कोई और होगा।’’