किसान आंदोलन को थका कर खत्म नहीं कर सकती सरकार: मनोज झा

किसान आंदोलन को थका कर खत्म नहीं कर सकती सरकार: मनोज झा

राष्ट्रीय जनता दल के राज्यसभा सांसद और प्रवक्ता मनोज झा ने एक मीडिया चैनल से बातचीत करते हुए कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के आंदोलनल पर सरकार को चेताया. उन्होंने किसान आंदोलन को लेकर कहा कि यदि सरकार ऐसा सोचती है कि किसान आंदोलन को थका कर खत्म कर दिया जाएगा तो ऐसा सोचना सरकार की गलतफहमी है. सरकार को ऐसी गलतफहमी नहीं पालनी चाहिए.

यहां हम आपको बताते चलें कि राजद सांसद हमेशा से ही केन्द्र सरकार के कृषि कानूनों के खिलाफ रहे हैं. उनका दल भी कृषि कानूनों के सवाल पर लगातार केन्द्र में मोदी सरकार और राज्य में नीतीश सरकार के खिलाफ प्रदर्शन कर रहा है. खुद बिहार प्रदेश के नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव कृषि कानूनों के खिलाफ कई बार पटना की सड़कों पर उतर चुके हैं.

बात अगर मनोज झा की करें तो वे अपने लेखों, बयानों और ट्वीट के माध्यम से सरकार पर लगातार हमलावर हैं. वे सरकार से किसी भी तरह की गलतफहमी से उबरने की बात कह रहे हैं. साथ ही कह रहे हैं कि यदि किसान आंदोलन का हल नहीं किया गया तो आनेवाले दिनों में जो होगा वो कल्पना से परे है. वे दिल्ली से सटे सीमाओं पर 44 दिनों से चल रहे किसान आंदोलन को लेकर कभी ट्वीट तो कभी अन्य माध्यमों से सरकार को घेरने की कोशिश में लगे हैं.


इस सिलसिले में उन्होंने एक और ट्वीट किया. उन्होंने कहा “सरकार अगर सोचती है किसान आंदोलन को थका कर खत्म कर दिया जाएगा तो मैं समझता हूं कि यह गलतफहमी उन्हें नहीं पालनी चाहिए. मुझे डर है कि अगर किसान आंदोलन का हल नहीं किया गया तो आनेवाले दिनों में क्या होगा कल्पना से परे है.” उनकी मानें तो उनकी स्मृति में ऐसी असंवेदनशील सरकार नहीं आई, जिसने खेतिहर-किसानों के प्रतिरोध को कभी पाकिस्तानी तो कभी खालिस्तानी कहा हो.

गौरतलब है कि दिल्ली-हरियाणा बॉर्डर समेत दिल्ली के और भी सीमाओं पर किसान संगठनों के प्रदर्शन को महीने भर से अधिक का समय हो चुका है. सरकार और किसान संगठनों के बीच 7 बार बातचीत हो चुकी है. किसान संगठन कृषि कानूनों की वापसी के अलावा किसी बात पर तैयार नहीं, वहीं सरकार संशोधन करने की बातें कह रही है.

नेशनल हाईवे ही बन गया है रसोई और दालान (तस्वीर- आकाश पांडे)

यहां हम आपको अंत में बताते चलें कि बीते रोज भी किसानों ने दिल्ली की सीमा के चारों तरफ ट्रैक्टर मार्च निकाला. साथ ही उनका कहना है कि यदि सरकार उनकी मांगों पर 26 जनवरी तक मानती तो देश भर के किसान संगठन गणतंत्र दिवस की परेड में शामिल होंगे. परेड के लिहाज से किसान संगठनों ने रिहर्सल शुरू भी कर दी है.