साल 2020 का अंत और साल 2021 का पूरा महीना किसान आंदोलनों के नाम रहा. गणतंत्र दिवस के मौके पर भी किसानों और सरकार के बीच भिड़ंत जारी है. किसान जहां दिल्ली की सड़कों पर ट्रैक्टर रैली निकालने के लिए संकल्पित है, वहीं सरकार की कोशिश है कि किसान दिल्ली में दाखिल न हों. जगह-जगह कंटेनर से रास्तों को अवरुद्ध किया जा रहा है. कई जगहों पर आंसू गैस के गोले भी छोड़े जा रहे हैं.
सुनने को तो यह बात हम हमेशा से ही सुनते आए हैं कि भारत एक कृषि प्रधान देश है, लेकिन आज देश के किसानों को पर लाठियां बरस रही हैं. किसान संगठनों और सरकार के बीच न जाने कितने दौर की बातें हो चुकी हैं लेकिन गतिरोध है कि टूट ही नहीं रहा. किसान संगठन जहां तीन केन्द्रीय कृषि कानूनों को रद्द कराने पर तुले हैं, वहीं सरकार संशोधनों से मामले को रफा-दफा करना चाहती है.
बात अगर बिहार की करें तो बिहार के नएनवेले कृषि मंत्री ने अव्वल तो इन आंदोलनकारियों को मुट्ठी भर दलाल कह दिया, और उनके हिसाब से देश के तमाम गांवों में रहने वाले किसान खुशहाल हैं. इतना ही नहीं दिल्ली के बॉर्डर पर जमे इन किसानों के लिए कभी खालिस्तानी तो कभी नक्सली और माओवादी तक कहा गया.
ज्ञात हो कि 25-26 नवंबर से दिल्ली की सीमाओं पर आंदोलन कर रहे किसान और किसान संगठन तीन केन्द्रीय कृषि कानूनों के विरोध में आंदोलन कर रहे हैं. इन किसानों को एपीएमसी ऐक्ट यानी कि बाजार समिति हटाने और कांट्रैक्ट फॉर्मिंग को लाने से आपत्ति है. सरकार और किसान संगठनों के बीच हो रही बातचीत के किसी सकारात्मक निष्कर्ष तक न पहुंचने की स्थिति में सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में दखल दिया, कमिटी बनाने की बात कही- हालांकि किसान संगठनों ने कमिटी को लेकर हमेशा यह बात कही कि उन्हें कमेटी पर कोई विश्वास नहीं. इस कमिटी में शामिल सदस्यों की राय से वे वाकिफ हैं.
हाल-फिलहाल में दिल्ली की अलग-अलग सीमाओं से आ रही तस्वीरों और वीडियोज़ के हिसाब से देश भर के अलग-अलग हिस्सों से आए किसान दिल्ली में दाखिल होने की कोशिशें कर रहे हैं. किसानों और पुलिस प्रशासन के बीच कई जगह झड़प जैसी स्थिति देखने को मिल रही है. आंसू गैस के गोले चल रहे हैं, लेकिन जगह-जगह से सपरिवार पहुंचते किसानों को देखकर ऐसा लगता नहीं कि वे वापस लौटेंगे, और तो और इन जत्थों की अगुआई महिलाएं कर रही हैं- बच्चे भी साथ हैं…
यह खबर/रिपोर्ट शाम्भवी वत्स ने लिखी है, शाम्भवी पटना यूनिवर्सिटी से पत्रकारिता में स्नातक हैं. इन दिनों ‘द बिहार मेल’ के साथ बतौर इंटर्न काम कर रही हैं—