नमस्ते नीतीश कुमार जी,
आशा है कि आप अच्छे से होंगे. आपको लंबी उम्र मिले, आप सलामत रहें। वैसे आपने पूछा नहीं है कि हम बिहारी अभी किस स्थिति में हैं लेकिन मैं आपको बताना चाहती हूं कि व्यक्तिगत रूप से मैं तो ठीक हूं, बस मेरा परिवार दिल्ली में फंसा है लेकिन अभी छोड़िए इस बात को, हम किसी न किसी तरह से ठीक रह लेंगे। आपको आश्वस्त कर दूं कि दिक्कत में नहीं हूं।
आपने बिहार के मजदूरों की तस्वीरें देखी होगी। बिहार में नेट की स्पीड अच्छी है, कश्मीर की तरह 2जी नहीं चलता, जियो एकदम हनियाठ के चलता है इसलिए तस्वीरें आपने जरूर देखी होगी और वैसी भी मुख्यमंत्री सबको नेट की क्या दिक्कत, वह तो आधिकारिक पद पर होते हैं। इस पर आपके कुछ बयान भी आए हैं तो मैं मान लेती हूं कि आपने कई तस्वीरें देखी होंगी तभी तो आप लॉकडाउन पर कह रहे हैं कि बिहार सरकार चाहती है, ”जो जहां हैं वहीं रहें, उनके लिए खाने की व्यवस्था होगी, बसों से लोगों को बुलाने से लॉकडाउन का कोई मतलब नहीं रह जाएगा।” बात तो आपकी सही है लेकिन यह खाने-पीने की व्यवस्था करने में आपने बड़ी देर कर दी, बड़ी देर इसलिए क्योंकि कोरोना सेकेंड-सेकेंड काउंट कर रहा है और आप दिन लगा दे रहे हैं इंतजाम करने में, ऐसे कैसे चलेगा और अभी भी क्या व्यवस्था की है, उस पर विश्वास करना मुश्किल ही है।
नीतीश जी अब मैं भूल जाती हूं कि बिहार में मुख्यमंत्री का कोई पद भी है, बिहार में हमारा कोई नेता भी है, मैं भूल जाती हूं आपकी तारीफ करना। किस बात की तारीफ करूं, चमकी बुखार से निपटने में आपकी विफलता की, बाढ़ से टूटते लोगों को सहायता न देने में आपकी विफलता की, बढ़ते अपराध न रोक पाने की आपकी विफलता की।
आप अपनी सरकार बार-बार बचा लेते हैं लेकिन जनता को बार-बार डूबा देते हैं।क्यों करते हैं आप ऐसा? आप डूबना अच्छी तरह समझते हैं , है न क्योंकि आप भी तो आखिर में बिहारी ही हैं। ‘एक बिहारी सब पर भारी’ कौन है यह बिहारी? यह बिहारी कभी चिकित्सा क्षेत्र में और शिक्षा क्षेत्र में क्यों नहीं दिखता? आप को इन मजदूरों की तस्वीरें देखकर नींद आ जाती है? नींद में आप क्या देखते हैं? आपको कैसे सपने आते हैं? सपने में आप इन मजदूरों से मिलते समय मास्क पहनते हैं, सेनिटाइजर लगाते हैं या नहीं क्योंकि मैंने सुना है आपने तो डॉक्टरों को भी अभी पूरी तरह से मास्क नहीं दिया है? अरे आप फंड की कमी का रोना मत रोइएगा, बिहार गरीब है इसका भी नहीं। यह वक्त नहीं है अपनी गरीबी बताने का क्योंकि आप कहते रहे हैं कि आपके नेतृत्व में सबकुछ ठीक है, अरे आपने ही तो नारा दिया था न कि ‘बिहार में बहार है, नीतीशे कमार है’। आपने हमारी हालत इतनी बुरी बना दी है कि फंड में पैसा देने पर भी लगता है कि सिस्टम सही लोगों तक पैसा पहुंचाएगा या नहीं, देखिए हमारे दिलो-दिमाग की स्थिति, कहां पहुंचा दिया है हमें आपने? फिर भी बिहारियों से गुजारिश ही करूंगी कि यह वक्त मुख्यमंत्री राहत कोष में ज्यादा से ज्यादा पैसा देने का है।
बिहार में बहार है, नीतीशे कुमार है…
बिहार में मजदूरी करने वाले लोगों की संख्या काफी है, आपने कभी उनसे पूछा कि उनके लिए ‘बहार’ का मतलब क्या होता है? वह बहार को कैसे देखते हैं? वह बहार को ऐसे देखते हैं कि छह महीने के बाद शहर से लौटने के बाद उनके जेब में कुछ कमाई बची रही या नहीं, सड़क किनारे लगे हुए बाजार से खरीदे गए कपड़े उनके बच्चों तक सही-सलामत पहुंच गए, ट्रेन में चोरी तो नहीं हुए। उनके घर में दोपहर का भात बन गया या नहीं। उम्मीद है आप भी बहार का मतलब यही समझते होंगे क्योंकि जब हम गुलों की बात नहीं कर रहे एज ए जनता तो फिर एज ए लीडर आप कैसे गुलों की बात कर सकते हैं? नेताओं के बारे में सुना है कि एक अच्छा नेता वही होता है जो, ‘ ए लीडर इज वन हू नोज द वे, गोज द वे एंड सोज द वे’ ये सारी चीजें करता है, आप देख लीजिएगा, आप कहां हैं? सबको खुद का मूल्यांकन स्वयं भी करना होता है, यह काम आप अच्छे से कर सकते हैं।
बिहार में इस साल चुनाव है, हालांकि अभी आगे क्या होगा यह कहना मुश्किल है? आप चुनाव जीतने में माहिर हैं और जैसा कि मैं ऊपर भी कह चुकी हूं कि आप सरकार बचाने में भी माहिर हैं लेकिन नीतीश जी सच पूछेंगे तो आपका भी दिल कहेगा कि चुनाव होने से पहले ही आप हार चुके हैं। आप हार चुके हैं लाखों बिहारियों के दिल को जिसे आपने कोरोना वायरस के कहर से पहले ही खत्म कर दिया। उनके सिर पर आप जो थैले देखते हैं और राह में जो बिस्किट का पैकेट लेते हुए देखते हैं न, वह आपको कभी सोने न देगा चैन से, धार्मिक तो नहीं हूं लेकिन दिलो-दिमाग पर भरोसा है इसलिए इतना कह सकती हूं कि चमकी के बुखार से मरे हुए बच्चों का अपराधबोध आपने भले ही अपने सिर न लिया हो लेकिन वह पाप आपके सिर है। शायद उन बच्चों की हाय आपको नहीं भी लगती अगर आप सबक लेकर बिहार के हेल्थ सेक्टर पर ध्यान दे देते लेकिन आप क्यों ध्यान देंगे भला, आपकी सारी बुद्धिमता तो तिकड़म करने में चली जाती है। चलिए अब मैं ज्यादा कुछ नहीं कहूंगी क्योंकि कौन सा आप मेरी यह चिट्ठी पढ़कर जवाब देंगे और फिर मैं आपको एक नई चिट्ठी लिखूंगी। तब तक के लिए नमस्कार आपके गुलशन का कारोबार चलता रहा बस इतना ही, अपना ख्याल रखिएगा, चुनाव नजदीक है।
एक बिहारन
स्नेहा