रिपोर्टर डायरी: कोरोना के कहर ने 17 जवानों के बलिदान को छोटा कर दिया

रिपोर्टर डायरी: कोरोना के कहर ने 17 जवानों के बलिदान को छोटा कर दिया

इस बीच चारों तरफ एक ही शब्द देखने-सुनने को मिल रहा है. कोरोना. COVID-19. बीते रोज इसके फैलाव को रोकने के मद्देनजर ‘जनता कर्फ्यू’ भी था. समूचा देश लगभग ‘लॉकडाउन’ की स्थिति में रहा, लेकिन इसी बीच छत्तीसगढ़ के सुकमा जिले से एक अत्यंत दुखद खबर आई. इस हृदयविदारक खबर को कोरोना के शोर के बीच कहीं कोई स्पेस नहीं मिला.

बीते  दो दिनों से जब समूचा देश ‘जनता कर्फ्यू’ के रूप में कोरोना जैसी महामारी से लड़ने की तैयारी कर रहा था. ठीक उसी समय में नक्सलियों ने मुठभेड़ में 17 जवानों को मार डाला. इस मुठभेड़ में 14 जवानों को गंभीर चोटें भी आई हैं. यह नक्सली हमला शनिवार को हुआ था और तब से ही कई जवान मिसिंग थे. रविवार को इनकी बॉडी की रिकवरी के बाद इन्हें मृत घोषित किया गया. ग्राउंड इनपुट के आधार पर ऐसी संभावना जताई जा रही है कि कम से कम 5 नक्सली मारे गए हैं और इतनी ही संख्या में घायल भी हैं.

आमतौर पर नक्सली जवानों के जूते भी उठा ले जाते हैं पर यहां छोड़ गए. (तस्वीरें साभार- रानू तिवारी)

गौरतलब है कि ये सभी जवान डिस्ट्रिक रिजर्व गार्ड (डीआरजी) और (COBRA-कमांडो बटालियन फॉर रिजोल्यूट एक्शन) – सीआरपीएफ के स्पेशल टास्क फोर्स के हिस्सा थे. इन्हें ऐसी जानकारी मिली थी कि नक्सली एल्मागुंडा में कुछ बड़ा प्लान कर रहे हैं. जब जवानों ने नक्सलियों को तीन ओर से घेरने की कोशिश की, तभी लगभग 250 नक्सलियों ने इनपर हमला बोल दिया.

इस नक्सली मुठभेड़ को कवर करने गए पत्रकार रानू तिवारी अपने फेसबुक वॉल पर लिखते हैं, ‘इस घटना पर तमाम जानकर अलग अलग एंगल से अपनी बात कह रहे पर मेरे पास कहने को कुछ नहीं. हमने 17 जवान खो दिए जिनकी कल के बाद शायद ही कोई चर्चा करे पर 17 परिवार भी उजड़ गए’. रानू आगे लिखते हैं, ‘मैं देख रहा था कि मेरे कुछ और साथी भी काफी जद्दोजहद से खबरें समेट कर लाये थे पर कोरोना के कहर ने 17 जवानों के बलिदान को छोटा कर दिया और खबर को स्क्रीन पर जगह नहीं मिली.’