बिहार के कृषि मंत्री ने दिया विवादित बयान, बोले- कृषि कानूनों का विरोध कर रहे मुट्ठी भर दलाल…

बिहार के कृषि मंत्री ने दिया विवादित बयान, बोले- कृषि कानूनों का विरोध कर रहे मुट्ठी भर दलाल…

बिहार के नएनवेले कृषि सह सहकारिता मंत्री ‘अमरेन्द्र प्रताप सिंह’ के मुखारबिंद से निकले शब्दों ने एक अनावश्यक विवाद को जन्म दे दिया है. सूबे के भीतर एक कार्यक्रम में शिरकत करने पहुंचे कृषि मंत्री ने मीडियाकर्मियों के सवालों के जवाब में ऐसा कह दिया कि दिल्ली की सीमा पर कृषि कानूनों का विरोध करने वाले लोग मुट्ठी भर दलाल हैं, और दलाल लोग ही दिल्ली-हरियाणा बॉर्डर पर किसान बनकर आंदोलन कर रहे हैं.

मीडिया के लोग काहे ले रहे इतना नोटिस?
किसान आंदोलनों के परिप्रेक्ष्य में मीडियाकर्मियों के सवाल पर कृषि मंत्री तो उल्टा मीडियाकर्मियों से ही सवाल करने लगे कि मीडिया के लोग इन आंदोलनों का इतना नोटिस काहे ले रहे? कृषि मंत्री के अनुसार देश भर में साढ़े पांच लाख गांव हैं, और किन्हीं गांवों के किसान विरोध नहीं कर रहे. कृषि मंत्री तो यह भी पूछते दिखे कि क्या किसान सिर्फ दिल्ली और हरियाणा के बॉर्डर पर हैं? उनके अनुसार यदि यह किसानों का आंदोलन होता तो देश भर में आग लगी होती. किसानों को इन कानूनों से राहत मिली है, अपनी उपज कहीं भी बेचने की आजादी मिली है. इन कानूनों से देश का अधिसंख्य किसान और करीब-करीब शत प्रतिशत किसान खुश है.

अमरेंद्र प्रताप सिंह, कृषि मंत्री- बिहार

विपक्ष ने किया पलटवार
यहां हम आपको यह बताते चलें कि विधानसभा के पहले सत्र से ही सूबे का विपक्ष धान खरीद को लेकर सरकार पर हमलावर है. कृषि मंत्री के इस बयान पर प्रतिक्रियास्वरूप विपक्ष के नेता और रामगढ़ से विधायक सुधाकर सिंह ने कहा, “दुर्भाग्य है कि बिहार के कृषि मंत्री कृषक नहीं हैं, उन्हें खुद जैसे लोग ही हर जगह दिखाई दे रहे हैं. धान खरीद से लगायत तमाम फसलों की खरीद में बिचौलिए सक्रिय हैं. इन शब्दों के लिए कृषि मंत्री को देश के अन्नदाताओं से मांफी मांगनी चाहिए.”

सुधाकर सिंह, राजद-विधायक 

कृषि सह सहकारिता मंत्री के दावे और विपक्ष के हमले के इतर भी अगर देखें तो सूबे के किसी भी जिले में व्यवस्थित तरीके से धान के क्रय केन्द्र नहीं खुले हैं. यथास्थिति तो यही है. कई किसानों का तो पिछले बार का ही अब तक बकाया है. मक्के का भी उचित रेट नहीं मिल सका. इस बार भी बहुत कुछ बदलता नहीं दिख रहा.