जनवरी का महीना चल रहा है. हर साल इस महीने में राज्य सरकार की तरफ से देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘भारत रत्न’ के लिए नाम भेजे जाते हैं. इस बार बिहार की सरकार ने भारतीय राजनीति में गैर कांग्रेसवाद की राजनीति करने वाले दो अहम शख्सियतों के नाम की अनुशंसा की है. वे दोनों नाम हैं डॉक्टर राम मनोहर लोहिया और कर्पूरी ठाकुर.
राज्य सरकार ने अपनी अनुशंसा में लिखा है कि डॉक्टर लोहिया और कर्पूरी ठाकुर को जनसेवा के क्षेत्र में अतुलनीय योगदान के लिए ‘भारत रत्न’ से सम्मानित किया जाए. बिहार के मंत्रिमंडल सचिवालय ने इस संबंध में अनुशंसा केंद्र सरकार को भेज दी है.
यहां हम आपको बताते चलें कि डॉ लोहिया और कर्पूरी ठाकुर जैसे दोनों दिग्गज राजनेता देश और राज्य के भीतर गैर कांग्रेसवाद के प्रतीक के तौर पर देखे जाते हैं. राज्य के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और उनकी पार्टी के साथ ही सूबे की मुख्य विपक्षी पार्टी भी इन दोनों राजनेताओं के आदर्शों पर चलने के दावे करती हैं. खुद प्रधानमंत्री मोदी भी डॉ लोहिया के गैर कांग्रेसवाद के लिए उन्हें कई बार उद्धरित करते रहते हैं.
साल 2019 में तेजस्वी यादव ने की थी मांग
गौरतलब है कि राज्य की मुख्य विपक्षी पार्टी और नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने भी साल 2019 में ऐसी मांग की थी. उन्होंने ट्विटर पर लिखा था कि डॉ राम मनोहर लोहिया, जननायक कर्पूरी ठाकुर, कांशीराम जी को भारत रत्न अवश्य ही मिलना चाहिए. वंचित, उपेक्षित समाज के उत्थान में इनके योगदान को कोई नहीं नकार सकता. किसी महापुरुष की विचारधारा, धर्म, जाति और वर्ग इसमें आड़े नहीं आना चाहिए.
भारत रत्न पुरस्कार विजेताओं को बधाई।
श्री राम मनोहर लोहिया
जननायक कर्पूरी ठाकुर
मान्यवर कांशीराम जीको भारत रत्न अवश्य ही मिलना चाहिए। वंचित, उपेक्षित समाज के उत्थान में उनके योगदान को कोई नहीं नकार सकता। किसी महापुरुष की विचारधारा, धर्म, जाति और वर्ग इसमें आड़े नहीं आना चाहिए।
— Tejashwi Yadav (@yadavtejashwi) January 26, 2019
वैसे तो हिन्दी पट्टी की राजनीति से साबका रखने वाला शायद ही कोई ऐसा व्यक्ति हो जो इन दोनों शख्सियतों को न जानता हो. देश के भीतर गैर कांग्रेसवाद, सामाजिक न्याय और समाजवादी राजनीति के झंडाबरदार इन राजनेताओं के नक्शेकदम पर चलने वाली दर्जन भर से अधिक पार्टियां देश भर में सक्रिय हैं. कहना न होगा कि डॉ लोहिया जहां आजीवन अपनी वैचारिकी और बेबाकी के साथ-साथ पिछड़ों के राजनीतिक उत्थान, गैरबराबरी के खात्मे और हिस्सेदारी पर सैद्धांतिक रूप से काम करते रहे, वहीं दूसरी तरफ कर्पूरी ठाकुर इन तमाम सैद्धातिकी को धरातल पर उतारने की पुरजोर कोशिश की…