शुक्रवार को दिल्ली के संसद मार्ग पर अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति के मंच से राहुल गांधी, संजय सिंह, सीताराम येचुरी सहित अरविंद केजरीवाल सभी ने फसल बीमा योजना को लूट बताते हुए इसे वापस लेने की बात की. कृषि विशेषज्ञ पत्रकार पी. साइनाथ खुद फसल बीमा योजना को राफेल से बडा घोटाला कहते हैं. आखिर केंद्र सरकार की इस महत्वाकांक्षी योजना को सबसे बड़ी लूट क्यों कहा जा रहा है. पढि़ए एक ज़रूरी विश्लेषण. यह लेख मूल रूप से मीडिया विजिल पर प्रकाशित हुई है।
किसानों को लूट कर बीमा कंपनियों को एक साल में 12395 करोड रुपयों का लाभ पहुंचाया गया है.
देश का किसान जब अत्यंत कठिन परिस्थिति से गुजर रहा है, गरीबी और कर्ज के बोझ में दबा है, अपनी मेहनत के मोल और उपज के उचित दाम के लिये संघर्ष करने के लिये रास्ते पर उतर रहा है तब किसान को कुछ देने के बजाय केंद्र सरकार ने ऐसी फसल बीमा योजनाएं चला रखी है जिसमें खरीफ 2016 और रबी 2016-17 के लिये सरकारी तिजोरी और किसानों की जेब से लूट कर 10 बीमा कंपनियों को 12395 करोड रुपये का लाभ पहुंचाया गया है जिसके लिये देश में 5.65 करोड किसानों से जबरदस्ती बीमा करवाया गया लेकिन 82.43 प्रतिशत किसानों को किसी प्रकार की मदद नहीं मिली. जिन 17.57 प्रतिशत किसानों को नुकसान भरपाई मिल पाई है उनमें कई किसान ऐसे है की जिन्हे उनसे वसूले गये बीमा हफ्ते से कम राशि मिली है.
केंद्र सरकार से प्राप्त जानकारी के अनुसार सभी फसल बीमा योजना के खरीफ 2016 और रबी 2016-17 में देश भर से किसानों से जबरदस्ती उनके अनुमति के बिना 4231.16 करोड रुपये हफ्ता वसूल कर फसल बीमा करवाया गया और किसान बजट से राज्य सरकार के 9137.02 करोड रुपये और केंद्र सरकार के 8949.35 करोड रुपये हफ्ता मिलाकर कुल 22318.15 करोड रुपये राशि बीमा कम्पनियों को दी गयी. नुकसान भरपाई के रूप में केवल 9922.78 करोड रुपये नुकसान भरपाई दी गई है. कंपनियों को प्राप्त हुई कुल बीमा राशि का आधा भी किसानों को नही लौटाया गया. किसानों से 12395.37 करोड रुपये सरकार और बीमा कम्पनियों की मिलीभगत से बीमा कम्पनियों ने लूटे हैं. प्रति किसान लगभग 2200 रुपये कंपनी ने लूट लिये हैं.
खरीफ 2016 में देश भर के किसानों से 2980.10 करोड रुपये हफ्ता वसूल कर फसल बीमा करवाया गया और किसान बजट से राज्य सरकार के 6932.38 करोड रुपये और केंद्र सरकार के 6759.72 करोड रुपये हफ्ता मिलाकर कुल 16672.20 करोड रुपये बीमा कम्पनियों को दिये गये. नुकसान भरपाई के रूप में किसानों को केवल 8021.68 करोड रुपये नुकसान भरपाई दी गई है. रबी 2016-17 में देश भर के किसानों से 1251.06 करोड रुपये हफ्ता वसूल कर फसल बीमा करवाया गया और किसान बजट से राज्य सरकार के 2204.65 करोड रुपये और केंद्र सरकार के 2189.63 करोड रुपये हफ्ता मिलाकर कुल 5645.95 करोड रुपये बीमा कंपनियों को दिये गये. नुकसान भरपाई के रूप में किसानों को केवल 3744.85 करोड रुपये नुकसान भरपाई दी गई है.
महाराष्ट्र में बीमा कंपनियों को सबसे अधिक 4621.05 करोड रुपये बीमा हफ्ता प्राप्त हुआ. उसमें से किसानों को केवल 2216.66 करोड रुपये नुकसान भरपाई दी गयी. बाकी सारी रकम 2404.39 करोड रुपये कर्ज के बोझ में दबे किसानों की जेब से सरकार से मिलीभगत कर बीमा कम्पनियों ने लूट लिये हैं.
प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना सहित सभी बीमा योजनाओं में हुई यह पिछले बीमा योजनाओं से कई गुना अधिक है. नई योजना में निजी बीमा कंपनियों को बीमा क्षेत्र में प्रवेश देना, बैंक से कर्ज लेनेवाले ऋणी किसानों के लिये योजना अनिवार्य कर जबरदस्ती हफ्ता वसूलना आदी कई सारे प्रावधान बीमा कंपनियों को लाभ पहुंचाने के लिये कानून में किये गये हैं. इस योजना से स्पष्ट है कि कंपनियों और सरकार ने मिलकर योजनापूर्वक किसानों को लूटने का काम किया है. यह साजिशपूर्वक किया गया भ्रष्टाचार है. इसे उजागर करने के लिये बीमा कंपनियों ने किन किन पार्टियों को कितना कितना फंड दिया है इसकी जांच होनी आवश्यक है. यह उल्लेखनीय है कि यह योजना किसानों की आमदनी दोगुनी करने के लिये घोषित योजनाओं में से एक है. किसानों की आय दोगुनी करने के नाम पर बनी दूसरी योजनाओं का स्वरुप भी इसी प्रकार का है.
प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना की शुरुआत करते समय माननीय प्रधानमंत्री मोदी ने कहा था कि उनकी सरकार गरीबों को समर्पित सरकार हैं। किसान के कल्याण के लिये, किसान का जीवन बदलने के लिये, गांव की आर्थिक स्थिति बदलने के लिये प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना लायी गयी है। यह सरकार की ओर से किसानों के लिये तोहफा है। यह योजना किसानों के जीवन में बहुत बड़ा परिवर्तन लायेगी।
प्रत्यक्ष में केंद्र सरकार ने उल्टा किया है। देश के किसानों को लूट कर बीमा कंपनियों को बडा लाभ पहुंचाया है। यह योजना किसानों को लूट कर बीमा कंपनियों को लाभ पहुंचाने के लिये ही बनाई गई है। किसानों की यह लूट क्रियान्वयन के दोष के कारण नहीं बल्कि यह योजना तत्वत: किसानों के लूट की व्यवस्था है। जिन राज्य सरकारों ने यह योजना अपने राज्य में लागू नहीं की उन्हें किसानों को लूट से बचाने के लिये धन्यवाद देना चाहिए। दूसरे राज्यों को भी आगे से किसानों के हित में इस किसान विरोधी योजना का बहिष्कार करना चाहिए।
राष्ट्रीय किसान समन्वय समिति ने मांग की है कि देश के किसानों को लूट कर उनसे वसूला गया बीमा हफ्ता किसानों को वापस लौटाया जाए। प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना बंद की जाए और उसके बदले में प्राकृतिक आपदाओं में किसानों को सरकार की तरफ से सीधे नुकसान भरपाई दी जाने की व्यवस्था की जाए।