ग्राउंड रिपोर्ट- कौन मवेशी चोर अपने लड़के को इंजीनियरिंग पढ़ाता है साहब?

ग्राउंड रिपोर्ट- कौन मवेशी चोर अपने लड़के को इंजीनियरिंग पढ़ाता है साहब?

बिहार प्रदेश का छपरा (सारण) जिला इन दिनों मॉब लिंचिंग की वजह से सुर्खियों में है. वहां 18 जुलाई (गुरुवार) की रात नन्दनटोला गांव के ग्रामीणों ने नजदीक के ही गांव पैगम्बरपुर के तीन ग्रामीणों की पीट-पीटकर हत्या कर दी. पढ़ें विशेष रिपोर्ट—

दृश्य 1- छपरा जिले का पैगम्बरपुर गांव. नौशाद आलम का घर. पार्श्व में महिलाओं का रुदन. बरामदे में नौशाद आलम का जनाजा उठाने की तैयारी में जुटे परिजन. लोगों का उनके दरवाजे पर लगातार आना-जाना जारी. थोड़ी दूरी पर पुलिस की भारी तैनाती.

हम जब वहां बीते रोज पहुंचे तो हमारी मुलाकात सबसे पहले नौशाद आलम के बड़े भाइयों और भतीजे से हुई. उनके भतीजे जफर हसनैन हमसे बातचीत में कहते हैं, “यह पूरा मामला मॉब लिंचिंग का है. ऐसा कौन मवेशी चोर है जो अपने लड़के को इंजीनियरिंग पढ़ाता है? चोर अपने बच्चों को चोरी ही सिखाता है. मेहनत-मजूरी करने वाला इंसान ही अपने बच्चों को इंजीनियरिंग पढ़ाता है”.

वे आगे इस मामले में जिले के एसपी का हवाला देते हुए कहते हैं कि एसपी ने प्रेसवार्ता में उनके चाचा की गाड़ी से जानवर बरामद होने की बात कही, जो कि सरासर झूठ है. उन्हें इंसाफ की दरकार है.

जौहर हुसैन (मृतक नौशाद आलम के पुत्र)

उनके बेटे जौहर हुसैन डबडबाई आंख लिए कहते हैं, “मेरे अब्बू का कत्ल हुआ है. उन पर चोरी का आरोप लगाकर लोगों ने बेरहमी से कत्ल कर दिया है. यह सुबह चार-साढ़े चार बजे की बात है. मेरे पिता ने घर के लोगों को मौके से फोन भी किया कि लोग उन्हें मार रहे हैं. यह सबकुछ साजिश के तहत हुआ है. मैं हिन्दुस्तान की अवाम से गुहार लगाता हूं कि मेरे अब्बू को इंसाफ मिले. मरने के बाद भी लोग मेरे पिता को मार रहे थे. ऐसे वीडियोज वहां से आए. पुलिस भी कुछ नहीं कर रही. मेरे पिता को इंसाफ मिले.”

गौरतलब है कि जौहर हैदराबाद के जवाहरलाल नेहरू टेक्निकल यूनिवर्सिटी से इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर रहे हैं. वे अभी अपनी डिग्री पूरी कर डिग्री लेने ही वाले थे कि उन्हें यह दुखद खबर मिली. उनके वहां से यहां आने में हो रही देरी की वजह से ही उनके पिता की लाश को सुपुर्देखाक करने में देरी भी हुई.

मौके पर ही मौजूद इलाके के पंचायत सदस्य सिराज अहमद कहते हैं, नौशाद आलम एक भले आदमी थे. मेहनत-मजूरी करके अपना गुजारा करते थे. भाड़े पर पिकअप चलाते थे. अपने बेटे को इंजीनियरिंग पढ़ा रहे थे. हमारे पूछने पर कि क्या नौशाद आलम और जहां उनकी लिंचिंग हुई के बीच किसी तरह की खुन्नस थी तो वे कहते हैं कि ऐसी कोई बात नहीं है. नौशाद आलम सड़क पर चलने वाले आदमी थे और नट समुदाय के लोगों को भी दूर-दूर के लोग जानते हैं. तीनों लोगों को जबह करके मारा गया है. वहां ट्रिपल मर्डर हुआ है. हमारे पूछने पर कि इसमें तो नट समुदाय के दो लोग भी मारे गए हैं. तो उन्होंने कहा कि नट समुदाय के लोगों को भी मुस्लिम जानकर ही मारा गया. यह हिन्दू-मुस्लिम का मामला है.

जनाजा उठने से पहले नौशाद आलम के दरवाजे पर जुटे लोग

दृश्य 2- पैगम्बरपुर गांव का नट टोला. राजू नट और विदेशी नट का घर. एक पेड़ के नीचे नट समुदाय के लोगों का जुटान. छाती पीट-पीटकर रोती महिलाएं. कुछ नेता सरीखे लोगों का वहीं कुर्सियों पर बैठा होना.

हम जब वहां पहुंचे तो वहां हमारी मुलाकात सबसे पहले राजू नट के भतीजे व विदेश नट के भाई से हुई. वे हमसे बातचीत में कहते हैं, “सर हम नट लोग हैं. हम जानवरों के खरीद-बेच का काम करते हैं. हमारी पीढ़ियां इसी काम में गल गईं. उस दिन भी मेरे भाई और चाचा इसी काम के लिए जा रहे थे. यह सुबह 4 बजे की बात है. नन्दनटोला पिठौरी के मोतीलाल राम ने सुबह 3 बजे भी फोन किया कि वे आएं और भैंस को ले जाएं. हमारे रिकॉर्ड को देखा जाए कि हमने कभी किसी का एक खर भी चुराया हो. हमलोग महादलिद्र (महादलित) समुदाय से आते हैं. मेरे भाई की शादी भी तय हो चुकी थी. उनके साथ इंसाफ हो और मुआवजा मिले.”

मृतक विदेश नट का भाई

मौके पर मौजूद राजू नट की पत्नी हमसे कहती हैं, “मेरे पति को मोतीलाल (मोतीलाल राम) ने बुलाया था. 35 हजार रुपये भी दिए जा चुके थे. वे जानवर लेने पहुंचे और उन्हें पीटा जाने लगा. गर्दन भी काटा गया. इस पूरे मामले में उस पंचायत के मुखिया और सरपंच भी शामिल हैं. उन्हीं लोगों ने पुलिस को फोन भी किया कि यहां चोर पकड़े गए हैं. यदि चोरी ही कर रहे थे तो उन्हें पुलिस के हवाले किया जाता. ऐसा करने के बजाय उन्हें मार दिया गया.”

मृतक राजू नट की पत्नी

दृश्य 3- नन्दलाल टोला- पिठौरी- चमार टोला. राजबली राम का घर. घर के बाहर बैठी हुई 4-5 महिलाएं और नजदीक में ही खड़ी दो लड़कियां. घर से सटी सड़क पर बंधी हुई भैसें जो कि इस समूचे विवाद व मॉब लिंचिंग के केन्द्र में हैं.

इस टोले में पहुंचने पर हमें लोग बताते हैं कि यह समूचा टोला हरिजनों (चमारों) का है. गुरुवार की रात एक पिकअप गाड़ी यहां पहुंची. वे लोग पिकअप पर भैंस चढ़ाने की कोशिश कर ही रहे थे कि नजदीक के लोग जग गए. लोगों ने उन्हें पकड़ लिया. इस बीच वहां सैकड़ों की संख्या में लोग जुट गए और उन्हें पीटने लगे. पुलिस इस गांव से कुल 12-13 लोगों को ले गई है. 5 लोग तो उसी घर से हैं जिस घर से वे कथित तौर पर वे भैंस चुराने की कोशिश कर रहे थे. इन 5 गिरफ्तार लोगों में दो महिलाएं भी शामिल हैं.

नन्दनटोला में वह घर जिनके घर से भैंस चोरी की बात हुई

यह तीन अलग-अलग दृश्य हैं और फिर जिले के शासन-प्रशासन और प्रदेश के मुखिया नीतीश कुमार का इस मामले में आया त्वरित स्टेटमेंट है. छपरा जिले के डीएसपी अजय सिंह ने इस घटना को मवेशी चोरी के दौरान हुई मारपीट व हत्या कहा है. पीड़ित पक्ष की ओर से आठ नामजद और 50 से अधिक लोगों पर प्राथमिकी दर्ज कराई गई है. पुलिस ने बीते रोज तक सात नामजद लोगों को गिरफ्तार कर लिया था और आठवें नामजद की खोज जारी है.

मुख्यमंत्री की त्वरित प्रतिक्रिया और जनप्रतिनिधि के सवाल
इस पूरे मामले में सबसे चौंकाने वाली बात मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का स्टेटमेंट है. आमतौर पर किसी भी मामले में त्वरित प्रतिक्रिया देने से परहेज करने वाले नीतीश कुमार ने पीड़ित पक्ष और मीडिया के अलग-अलग धड़ों द्वारा मॉब लिंचिंग कहे जाने पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा है  कि ऐसा होना दुर्भाग्यपूर्ण है लेकिन यह मॉब लिंचिंग का मामला नहीं है. यह वाकया तब हुआ जब उन तीनों (जो मारे गए) को मौके पर मवेशी चुराते हुए रंगे हाथों पकड़ा गया. यह स्टेटमेंट उन्होंने एक वेबपोर्टल (द प्रिंट) को दिया है. जब हमने नौशाद आलम के घर पर मौजूद पंचायत प्रतिनिधि सिराज अहमद से कहा कि सीएम ने तो इस पूरे मामले को मॉब लिंचिंग के बजाय मवेशी चोरी के दौरान हुई हिंसा करार दिया है, तो सिराज पूछते हैं कि सीएम आखिर और कैसी “मॉब लिंचिंग” चाहते हैं? भीड़ किसी को भी पकड़ ले और मारने लगे. क्या भीड़तंत्र ही लोगों का न्याय करेगी? यदि वे चोरी भी कर रहे थे राज्य में पुलिस-प्रशासन किस लिए है? सरकार किस लिए है? वे इसे हिन्दू-मुस्लिम के बीच बढ़ती खाई करार देते हैं.

यहां हम आपको फिर से बता दें कि तीनों मृतकों में से एक मुस्लिम (नौशाद आलम- 40 साल) दो नट समुदाय (राजू नट- 25 साल और विदेश नट- 22 साल) को नन्दनटोला -पिठौरी – चमार टोला के लोगों ने मवेशी चोरी के आरोप में इस कदर पीटा कि दो की मौत मौके पर ही हो गई और एक की मौत इलाज के लिए ले जाने के दौरान.

छपरा का नन्दनटोला (पिठौरी) चमार टोला जहां मॉब लिंचिंग हुई

नट समुदाय महादलित कैटेगरी में आते हैं और जानवरों की खरीद-बेच इनका पुश्तैनी कारोबार है. गुरुवार की अल्लसुबह (परिजनों का वर्जन) के अनुसार वे नौशाद आलम के पिकअप पर सवार होकर नन्दनटोला पहुंचे. वे अभी अपने ग्राहक के पास पहुंच ही रहे थे कि गांव वालों ने उन्हें घेर लिया और जानवर चोरी का आरोप लगाकर पीटने लगे. इस दौरान नौशाद आलम ने अपने परिवार के पास ये कहते हुए फोन भी किया कि यहां लोग उन्हें मार रहे हैं. उन्हें बचा लिया जाए लेकिन उनकी जान बचाई नहीं जा सकी.

यह मॉब लिंचिंग ही है
छपरा के भीतर हुए ट्रिपल मर्डर मामले पर दरौली विधानसभा के विधायक सत्यदेव राम हमसे बातचीत में कहते हैं, “यह मॉब लिंचिंग का ही मामला है. हां, इस लिंचिंग का दुखद पक्ष यह है कि इस ट्रिपल मर्डर मामले में दोनों ही पक्ष अकलियत और महादलित समाज से हैं.” सत्यदेव राम सीपीआई (माले) से सम्बद्ध हैं और वे दोनों पक्षों से बीते रोज मिले भी हैं. हमारी मुलाकात उनसे बीते रोज हुई थी. वे अभी इस मामले में जांच-पड़ताल कर रहे हैं और किसी निष्कर्ष पर नहीं पहुंच सके हैं.

सीवान के CPI (ML) विधायक सत्यदेव राम

जब हमने उन्हें सीएम नीतीश कुमार के इस पूरे मामले में दिए गए स्टेटमेंट का हवाला दिया तो उन्होंने कहा, “देखिए यह मॉब लिंचिंग का ही मामला है. मॉब (भीड़) हत्या के लिए किसी न किसी वजह को तो चुनती ही है. कभी लव जेहाद तो कभी गौहत्या. कभी मवेशी चोरी तो कभी कुछ और. यहां भी भीड़ ने शासन-प्रशासन की परवाह किए बगैर खुद ही लोगों को पीट-पीटकर जान ले ली. यह मॉब लिंचिंग ही है.”

मामला महादलित बनाम महादलित का है
इस पूरे मामले में देखने और गौर करने वाली बात यह भी है कि पीड़ित और आरोपी पक्ष महादलित और अकलियत समाज से ताल्लुक रखते हैं. नन्दनटोला -पिठौरी (हरिजन-चमार) टोला है. जहां उक्त घटना हई. हत्या के तमाम आरोपी भी इसी बिरादरी से हैं. वहीं पीड़ित पक्ष में से दो नट समुदाय (महादलित) व एक मुसलमान (अकलियत) समाज से ताल्लुक रखते हैं.  *पैगम्बरपुर पहुंचने पर हमें व्हाट्सएप के मार्फत ऐसे वीडियो भी देखने को मिले कि लोग मृतकों की बॉडी को भी नहीं बख्श रहे. उसे भी बेतहाशा पीटे जा रहे, जबकि बॉडी की ओर से कोई सुगबुगाहट नहीं हो रही.

मृतकों के वायरल होते वीडियोज को देखते पैगम्बरपुर के ग्रामीण

सुशासन पर उठ रहे सवाल
इस रिपोर्ट को लिखते हुए इस बात को बताना भी जरूरी है कि बीते 4 दिनों के भीतर बिहार के भीतर 3 मॉब लिंचिंग की घटनाएं रिपोर्ट हुई हैं. पहला मामला छपरा में ट्रिपल मर्डर है, तो वहीं दूसरा और तीसरा मामला हाजीपुर जिले का है. हाजीपुर के भीतर बैंक लूट के एक आरोपी को लोगों ने जहां पीट-पीटकर मार डाला. वहीं हाजीपुर के भीतर एक मंदिर के भीतर चोरी के आरोप में एक दंपत्ति को लोगों ने बेल्ट से पीटा और महिला को निर्वस्त्र तक कर दिया गया.

बिहार के भीतर इस बीच हुई मॉब लिंचिंग की घटनाओं पर प्रतिक्रियास्वरूप (वेब पोर्टल द प्रिंट से बातचीत में) बिहार प्रदेश के पूर्व नेता प्रतिपक्ष अब्दुल बारी सिद्दिकी कहते हैं कि बिहार राज्य के भीतर मॉब लिंचिंग की घटनाएं पुलिसिया व्यवस्था के फेल हो जाने का परिणाम हैं. पशु चोरी के कई मामलों में लोगों ने पुलिस के पास शिकायत भी की लेकिन एक्शन नहीं लिया गया. लोगों का विश्वास पुलिस और शासन-प्रशासन की कार्यशैली में बिल्कुल नहीं रह गया है. लोग कानून को खुद के हाथ में लेने लगे हैं.

सीएम नीतीश कुमार

ऐसे में जब जनता देखते ही देखते मॉब में कन्वर्ट हो जा रही है. खुद ही न्याय करने पर उतारू हो जा रही है. लोगों का विश्वास सरकार की न्यायिक व्यवस्था से डिगने लगा है. राज्य के भीतर लॉ एंड ऑर्डर के लिए अपनी पीठ थपथपाने वाले सीएम नीतीश कुमार की कार्यशैली कटघरे में है. राज्य के भीतर प्रकाश में आ रही “मॉब लिंचिंग” की घटनाएं इस बात की पुष्टि कर रही हैं कि सीएम नीतीश कुमार का इक़बाल छीजने लगा है…