लॉक डाउन डायरी नीदरलैंड से – कि इधर तो आया मौसम ‘विटामिन डी’ का…

लॉक डाउन डायरी नीदरलैंड से – कि इधर तो आया मौसम ‘विटामिन डी’ का…

नमस्ते, पिछली बार बात शादियों की हुई थी कि लॉक डाउन के समय में कैसे शादियां होंगी? आज घर पर बात हुई तो पता चला सभी लोगों ने धीरे-धीरे अपनी शादियां टलवा दी हैं. सब के सब जाड़े में नवम्बर-दिसंबर के समय तक सब ठीक होने की उम्मीद लगाए हैं. एक तो पहले ही जाड़े में मुहूर्त कम थे अब जब गर्मी की शादियां भी जाड़े में होंगी तो संसाधनों कमी होनी लाजमी है. जो बैंड-बाजा दस हजार रुपये में हो जाता था वही बैंड-बाजा वाला अब 25,000 मांग रहा है. बाकी सारी चीजों का रेट भी ऐसे ही बढ़ेगा. खैर, क्या करेंगे शादी तो होगी ही. पापा ये भी बता रहे थे कि अध्यापकों को वीडियो के जरिये बच्चों को पढ़ाने के लिए बोला गया है. अब पापा रोज एक वीडियो बना रहे हैं और सोशल मीडिया के द्वारा छात्रों तक पहुंचा रहे हैं. मैं सोचता हूं कि अच्छा ही है कि किसी तरह उनका भी लॉकडाउन कट रहा है. पापा के लिए वीडियो के जरिए किसी को पढ़ाना एक अनूठा और नया अनुभव है लेकिन मैं फिर सोचता हूं कि लॉकडाउन से ये बात तो अच्छी हुई कि वे ये सब भी धीरे-धीरे सीख गए. हमें भी उनके नए हुनर के बारे में पता चला. भारत में लॉक डाउन पार्ट २ चल रहा है और थोड़ी-थोड़ी ढील भी मिलने लगी है.

अब मैं आपको नीदरलैंड की सुनाता हूं. आज चार से पांच दिन हो गए थे बाहर गए. राशन, दूध और सब्जियां भी लगभग खत्म होने को हैं. बाहर न जाने की स्थिति में चाय पर भी आफत आ सकती है. अब ‘चाय पर चर्चे’ के लिए तो कुछ भी ;). लंच के समय खरीददारी करने पहुंचे. इंडियन स्टोर जाना था क्यूंकि अपने देश की हरी सब्ज़ियां और मसाले वहीं मिलते हैं. अंकल से पूछा कि आगे सप्लाई में कोई समस्या तो नहीं आने वाली? अंकल बोले कि उनका सारा सामान लन्दन से आता है, अभी सब ठीक है आगे का नहीं पता? हमने भी हंस कर बोल दिया, अगर समस्या हुई तो हम भी बर्गर, पिज़्ज़ा और सलाद खाना सीख लेंगे ;). इस बीच मौसम बहुत हसीन हो गया है. बोले तो विटामिन डी वाला :). यहाँ डॉक्टर लोग हम भारतीय लोगों को ‘विटामिन डी’ के लिए हमेशा टोकते रहते हैं. यहां धूप बस एक से दो महीने ही देखने को मिलती है. एक ओर विटामिन डी का लालच बाहर खींच रहा है और कोरोना का डर बाहर जाने नहीं दे रहा. अजीब बेकरारी है, ग़ज़ब लाचारी है 😉

दफ्तर की ओर से हौसला अफ़ज़ाई के लिए आया गुलदस्ता, (अच्छा लगता है)

दफ्तर की बताऊं तो दाढ़ी बढ़ाओ प्रतियोगिता का दूसरा भाग शुरू हो चुका है , मतलब सभी की दाढ़ी एक बार काटने के बाद फिर से बढ़ आयी है. लॉकडाउन है कि खत्म होने का नाम ही नहीं ले रहा. आज दफ्तर से घर पे फूलों का गुलदस्ता पार्सल आया. सन्देश था “साथ देने के लिए धन्यवाद “. अच्छा लगा . इस वक्त हौसला अफ़ज़ाई की बहुत ज़रूरत है. बोला जा रहा है कि अगर छुट्टी पे जाना है तो अभी चले जाएं क्यूंकि आगे बहुत काम आएगा. सीधे-सीधे बोल दें तो कमर कस लें ;). सरकार का भी नया सुझाव आया है कि छोटे बच्चों के स्कूल खोल दिए जाएं. ऐसा इसलिए भी क्योंकि यहां बच्चों में संक्रमण कम पाया गया है. गुल्लू भी घर में खेलते खेलते जम गई हैं. देखना होगा कि स्कूल जाने के लिए तैयार होती भी हैं या आउटसाइड इज कोरोना ही रटती है ;). अगले ३ दिन की छुट्टी है, बोले तो लॉन्ग वीकेंड. सोमवार को किंग्स डे है, मतलब यहां के राजा का जन्मदिन. राष्ट्रीय अवकाश है, लेकिन ऐसी छुट्टी का भी क्या करना कि कहीं आना-जाना न हो सके? दिन-रात घर पर ही बीतेंगे. बोर होकर थोड़ा फेसबुक पर आ जाते हैं और वहां से चटकर बिस्तर पर. आप लोग भी स्वस्थ रहें और मस्त रहें. समय मिला तो आगे भी बातें होंगी…

अनुराग IT वाले…

यह लॉकडाउन डायरी हमें अनुराग तिवारी ने लिखकर भेजा है. अनुराग इन दिनों ‘नीदरलैंड’ में रहकर एक आईटी फर्म के साथ काम करते हैं…