भारत सरकार ने ड्यूटी के दौरान अपंग हुए सैन्यकर्मियों को मिलने वाले पेंशन पर टैक्स लगाने का फैसला लिया है. सरकार के इस फैसले से कई सैन्यकर्मियों ने निराशा जताई और अपना विरोध दर्ज कराने के लिए ट्विटर का सहारा लिया.
इस पूरे मामले पर सेना ने ट्वीट के माध्यम से अपना समर्थन दिया है. साथ ही कहा कि बीते कुछ सालों से दिव्यांगता के लिए आयकर से छूट सहित मिले मुआवजे के चलते दिव्यांगता का दावा करने वाले कर्मियों की संख्या में इजाफा हुआ है. इस समर्थन पर भूतपूर्व सैनिकों ने कड़ी आपत्ति जताई हैं.
Over the years broad-banding and compensation awarded for disability with income tax exemption has led to rise in personnel seeking disability, even for life style diseases. The trend is worrisome that too when the security challenges to the Nation are on the rise.
— ADG PI – INDIAN ARMY (@adgpi) July 2, 2019
वित्त मंत्री की ओर से जारी किया लेटर
इस मामले में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के कार्यालय की ओर से मंगलवार को एक पत्र जारी किया गया. इस पत्र में कहा गया है कि अनैतिक कर्मियों ने सरकार द्वारा सैनिकों को दिए जा रहे दिव्यांगता लाभों से फायदा लिया है. इस पत्र के जारी किए जाने के कुछ घंटों बाद सेना ने अपनी ओर से प्रतिक्रिया देने के साथ सरकार के एस कदम का समर्थन किया.
पूर्व सैन्य अधिकारियों ने जताई निराशा
इस प्रकरण पर पूर्व सैन्य सचिव लेफ्टिनेंट जनरल सैयद अता हसनैन ने ट्वीट किया, “एडीजीपीआई संभवत: अपनी सबसे बुरी स्थिति में. अपने ही खिलाफ प्रचार कर रही है.”
कारगिल युद्ध में अपंग हुए एवं भारत के “ब्लेड रनर” के तौर पर मशहूर मेजर डी पी सिंह ने भी सरकार के इस कदम पर निराशा जाहिर करते हुए ट्विटर पर लिखा, “सेवा के दौरान दिव्यांग होने को सकारात्मक तरीके से देखने का समय आ गया है. कोसते रहना उसका समाधान नहीं है बल्कि रास्ते की रुकावटों को ढूंढना और उन्हें दूर करना हल है.
उन्होंने एक और ट्वीट में कहा, “कई बैठकों के बावजूद कम उम्र के कैडेटों का प्रशिक्षण के दौरान अपंग हो जाना और स्वयं के लिए प्रबंध करने के लिए अक्षम बता कर बाहर किए जाने, जिन्हें दिव्यांगता पेंशन भी नहीं दी जाती, ऐसे मार्मिक मुद्दों को नजरअंदाज किया जाता है लेकिन एक अहस्ताक्षरित टिप्पणी पर इतनी जल्दी कार्रवाई होती है.
डिसेबल्ड वार वेटरन्स (भारत) ने इस मुद्दे पर सेना को पत्र लिखा है और अपनी चिंताएं जाहिर की हैं. उनका दावा है, “यह सभी जानते हैं कि अभियान की प्रतिबद्धताओं, स्थानांतरण और अन्य तरह के तनावों की वजह से सेना में दिव्यांगता बढ़ रही है.” संगठन ने एडीजीपीआई (अतिरिक्त लोकसूचना निदेशालय) को पत्र लिखा है जिसमें उन्होंने इस मामले में संवेदनशीलता दिखाने की मांग की है.”