कोरोना के बीच कुछ ऐसा होगा बिहार चुनाव का स्वरूप

कोरोना के बीच कुछ ऐसा होगा बिहार चुनाव का स्वरूप

वैश्विक महामारी कोविड-19 के बीच बिहार चुनाव की तैयारियाँ ज़ोरों पर है. चुनाव आयोग के साथ ही सभी पार्टियाँ भी अब चुनावी मोड में आ गई हैं. कोरोना काल में चुनाव आयोग हर उस तरीक़े पर ध्यान दे रही है, जिसके ज़रिए बिहार चुनाव को आसान और सुरक्षित बनाया जाए. बिहार चुनाव में पहली बार ऐसा होने जा रहा है कि 65 साल या उससे अधिक उम्र के लोग अपना वोट पोस्टल बैलेट के ज़रिए दे सकेंगे. 

मुख्य निर्वाचन ऑफिस के एक सीनियर अधिकारी का कहना है कि पहले बैलेट पेपर का इस्तेमाल उन वोटरों के लिए किया जाता था, जो बूथ पर जाकर वोट देने के लिए शारीरिक रूप से सक्षम नहीं थे. लेकिन अब ये सुविधा 65 साल या उससे ज़्यादा उम्र के वोटरों के अलावा उनके लिए भी होगा जो कोरोना की वजह से संस्थागत या होम क्वारंटीन में हैं. हालांकि होम क्वारंटाइन वालों को पोस्टल बैलट से वोट डालने के लिए सक्षम अधिकारी को प्रमाणित रिपोर्ट देना होगा. 

राज्य मुख्य निर्वाचन अधिकारी के पास मौजूद डेटा के अनुसार बिहार में 65 साल के 59 लाख वोटर हैं. बिहार के कुल 7.18 करोड़ मतदाताओं में लगभग 8.3 फ़ीसदी लोग इसके अंतर्गत आते हैं. इसमें 30 लाख से अधिक मतदाता पुरूष हैं और 28 लाख से अधिक महिलाएँ.

इस बार क्या अलग होगा?

मुख्य निर्वाचन अधिकारी एचआर श्रीनिवास कहते हैं कि कोरोना के दौर में चुनाव कराने के लिए कई प्रपोज़ल हैं, जिन पर चुनाव आयोग विचार कर रही है. पोलिंग बूथ पर तीन ऐसे जगह होते हैं, जहां लोगों का फ़िज़िकल कांटैक्ट होता है (जब वोटर साइन करता है या अंगूठा का निशान लगता है, जब वोटर के जंगली पर स्याही लगाई जाती है और जब वोटर अपना वोट देता है). हम इस प्रक्रिया को कम करने की कोशिश कर रहे हैं. वो आगे कहते हैं, बिहार चुनाव में 2015 के मुकाबले 45 फ़ीसदी अधिक पोलिंग बूथ की ज़रूरत होगी. ऐसी तैयारी की जा रही है कि एक बूथ में 1000 से अधिक वोटर न हो और इसके लिए 34,000 अतिरिक्त पोल बूथ बनाए जाएँगे.

इसके कारण इस बार बिहार में पोलिंग बूथ की संख्या 72,723 से बढ़कर लगभग 1.06 लाख हो जाएगी. हर पोलिंग बूथ में चार पोलिंग कर्मचारी होते हैं, इस बार चुनाव कराने के लिए अतिरिक्त कर्मचारी भी भाग लेंगे.  चुनाव कर्मचारियों को कोरोना से बचाने के लिए बूथ में एक मोटे ग्लास का भी इंतज़ाम किया जाएगा. इसके साथ वोटिंग के लिए टूथपिक रखा जाएगा और कर्मचारी खादी गलव्स का भी उपयोग करेंगे.

दागी उम्मीदवारों को लेकर सख्ती

कोरोना के दौर में बिहार वो पहला राज्य होगा जहां चुनाव होने जा रहा है. इसके अलावा बिहार वो पहला राज्य बनेगा, जहां दागियों को लेकर चुनाव आयोग सख्त दिख रहा है. चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट के फरवरी में दिए गए एक आदेश के मद्देनजर यह ऐलान किया है कि राजनीतिक पार्टियों अगर किसी बाहुबली या लंबित मुकदमे के अपराधी को टिकट देती है तो उन्हें दागी उम्मीदवारों को चुनाव में उतारने का कारण भी बताना होगा.

पार्टियों को उम्मीदवार चुनने के 48 घंटे के भीतर उनसे से जुड़ी जानकारी देनी होगी. ये बताना होगा कि उन्होंने उस उम्मीदवार को क्यों चुना है? उम्मीदवार में क्या खूबी है? इसके अलावा चुनाव आयोग के वेबसाइट पर उम्मीदवार की जानकारी के साथ ही उनसे जुड़े केसों का भी ब्यौरा देना होगा. साथ ही नॉमिनेशन फाइल करने के दो सप्ताह पहले रिपोर्ट और चुनाव के 72 घंटे के भीतर कंपलायंस रिपोर्ट जमा करनी होगी. उम्मीदवार के क्रिमिनल रिकॉर्ड से जुड़ी जानकारी स्थानीय अख़बारों को भी देना होगा जो कि उम्मीदवार घोषित होने के 48 घंटे के भीतर अख़बार में छपेगा.