किस्सा जेपी के पर्चे का जिसके दम पर रिकॉर्ड वोटों से जीते कथित मौसम वैज्ञानिक…

किस्सा जेपी के पर्चे का जिसके दम पर रिकॉर्ड वोटों से जीते कथित मौसम वैज्ञानिक…

रामविलास पासवान. राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद के कहे अनुसार भारी ‘मौसम वैज्ञानिक’ पूसा वाला नहीं नासा वाले. जिन्हें देश के सियासी मौसम का अंदाजा पहले ही हो जाता है. केन्द्र में चाहे जिसकी भी सरकार बने वे उसी के साथ बतौर मंत्री साझेदार होते हैं. वे बिहार में सक्रिय राजनीतिक पार्टी लोक जनशक्ति पार्टी के मुखिया हैं. इनकी राजनीति को समझने के लिए इतना काफी होगा कि LJP के 2 विधायक बिहार विधानसभा में हैं लेकिन लोकसभा में 6 सांसद हैं.

ऐसे समय जब आगामी लोकसभा चुनाव की रणभेरी बजने को है. सारी सियासी पार्टियों में अफरातफरी मची हुई है और रामविलास पासवान के पुत्र व लोकसभा सांसद चिराग पासवान के सुर बदले-बदले नजर आने लगे हैं. ठीक उसी समय में कथित मौसम वैज्ञानिक की राजनीतिक पारी की शुरुआत को याद करना तो बनता ही है. तो किस्सा कुछ यूं है कि…

25 जून, 1975 से लेकर 21 मार्च, 1977 तक भारत में इमरजेंसी रही. इस दौरान 23 जनवरी, 1977 को इंदिरा गांधी ने एकाएक ऐलान कर दिया कि देश में आम चुनाव होंगे. 16 से 19 मार्च तक चुनाव हुए. 20 मार्च से काउंटिंग शुरू हुई और 22 मार्च तक लगभग सारे रिजल्ट आ गए और रामविलास पासवान पहली बार दिल्ली पहुंचे.

1977 चुनाव में उन्होंने पहली बार लोकसभा चुनाव लड़ा और लोकसभा पहुंचे. इस चुनाव में रामविलास ने हाजीपुर लोकसभा से 4,67,000 वोट के अंतर से जीत हासिल की थी. सबसे ज्यादा वोट से जीतने का रिकॉर्ड बहुत दिनों तक सांसद रामविलास पासवान के नाम था. संसदीय सीट से रामविलास अब तक 8 बार चुनाव जीत चुके हैं. 2009 में उन्हें समाजवादी नेता रामसुंदर दास ने उसी हाजीपुर सीट से हराया.

लालू प्रसाद, शरद यादव और रामविलास पासवान — (तस्वीर क्रेडिट- आउटलुक)

रामविलास कॉलेज के दिनों से ही राजनीति में थे लेकिन 1969 में पहली बार सक्रिय राजनीति में आए और विधायक बने. रामविलास कई इंटरव्यू में इस बात का जिक्र करते हैं कि, “जय प्रकाश (जेपी) मुझे बहुत मानते थे. जेपी की राय थी कि मैं हाजीपुर से चुनाव लड़ूं. इससे पहले मुझे सासाराम से चुनाव लड़ाने की बातचीत चल रही थी कि मैं बाबू जगजीवन राम के खिलाफ लड़ूं लेकिन जब जगजीवन बाबू ने कांग्रेस छोड़ा तो बात फिर हाजीपुर पर आ गई. जब मैं हाजीपुर में चुनाव प्रचार के लिए पहुंचा तो पता चला कि वहां जनता पार्टी की ओर से राम सुंदर दास जी चुनाव लड़ रहे हैं. यह पता होने से पहले तक मैंने नॉमिनेशन कर दिया था और मुझे नाव छाप अलॉट किया गया था.”

रामविलास फिर जेपी के पास पहुंचे और कहा कि चूंकि मेरे खिलाफ जनता पार्टी ने उम्मीदवार खड़ा कर दिया है तो मैं नॉमिनेशन वापस ले लेता हूं. इस बात पर जेपी गुस्सा हो गए. जेपी बोले, ‘तुम हाजीपुर से ही चुनाव लड़ोगे.’

जेपी ने अपने सचिव इब्राहिम को बुलाकर मुझे 10 हजार रुपये प्रचार-प्रसार के लिए दिलवाए. जेपी ने एक पर्चा मंगवाया और उस पर एक लाइन लिख दी, “जनता पार्टी का उम्मीदवार कौन है मुझे नहीं पता लेकिन जेपी का उम्मीदवार रामविलास है”. इसी पर्चे की छपाई हुई और प्रचार-पसार किया गया. रामविलास आज भी जेपी की उस लाइन और पर्चे को 1977 चुनाव को सबसे ज्यादा वोट से चुनाव जीतने को सबसे बड़ा कारण मानते हैं…

यह किस्सा हमें आदित्य झा ने लिखकर भेजा है…