लखीमपुर के निघासन में एक पुरानी सी एंबुलेंस में पत्रकार रमन कश्यप की लाश पड़ी है। बगल में सड़क जाम कर सपा नेता हिमांशु पटेल और करीब 200 स्थानीय लोग बैठे हैं। चार अक्टूबर सुबह 11 बजे यहां भोर जैसा माहौल है। शांत और थोड़ी हलचल वाला। वहां मौजूद स्थानीय लोगों ने बताया कि रमन 33 वर्ष के जुझारू पत्रकार थे और किसानों के तीन अक्टूबर को आयोजित विरोध प्रदर्शन को कवर करने निघासन से तिकुनिया पहुंचे थे। यहां आरोप है कि भाजपा नेता व केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्र टेनी के पुत्र आशीष मिश्र और उसके साथियों ने उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्या के कार्यक्रम का विरोध कर रहे किसानों पर गाड़ी चढ़ा दी। इसके चपेट में आने से आठ लोगों की जान जाने की खबर है। कहा जा रहा है कि मृतकों में चार किसान, एक पत्रकार, एक ड्राइवर और दो भाजपा कार्यकर्ता थे। हमसे बातचीत करते वक्त रमन के पिता रो पड़े। उन्होंने बताया, ” हमको सुबह तीन बजे बताया गया कि जिला अस्पताल में एक शव है जिसका शिनाख्त नहीं हो सका है। हम गए तो ताजा खून गिरा था। हमको पहले मालूम होता तो हम अपने बेटे का इलाज करा लेते।”
तीन अक्टूबर, दोपहर डेढ़ से ढ़ाई बजे हुई हिंसा के बाद लखीमपुर मुख्यालय से 75 किलोमीटर दूर तिकुनिया का हाल असामान्य हो गया। तिकुनिया में अग्रसेन इंटर कॉलेज परिसर स्थित हेलीपैड पर उपमुख्यमंत्री का हेलीकॉप्टर उतरना था। लेकिन किसानों ने सुबह से ही हेलीपैड घेर लिया जिसके बाद उपमुख्यमंत्री, गृह राज्य मंत्री सड़क मार्ग से ही यहां पहुंचने वाले थे। यह खबर जब किसानों को मिली तो वे तिकुनिया से बनवीरपुर की तरफ सड़क पर गाड़ियों से रास्ता रोक कर बैठ गए। घटना के बाद किसान लगातार ये सवाल कर रहे कि जब रूट ही बदला जा चुका था तो फिर उस रास्ते पर तीन तेज रफ्तार गाड़ियां क्यों गईं, जिसमें ड्राइवर और दो अन्य भाजपा कार्यकर्ताओं की भी मौत की खबर आई है। अजय मिश्र के बेटे आशीष के अनुसार यह काफिला पास के ही एक रेलवे फाटक के पास उप मुख्यमंत्री को लेने जा रहा था।
ऐसे आरोप हैं कि इसी दौरान केंद्रीय मंत्री अजय मिश्र के बेटे आशीष मिश्र ने कथित तौर पर किसानों पर गाड़ी चढ़ा दी। घटनास्थल पर मौजूद रहे पलिया विधानसभा के निवासी जसपाल ने बातचीत के दौरान हमें बताया कि किसान अगर आने- जाने वालों के साथ हिंसा या तोड़फोड़ कर रहे होते तो उससे पहले की गाड़ियों को क्यों छोड़ देते? उन्होंने कहा, ” यहां तो कार्यक्रम ही भाजपा का था। सुबह से कितने उनके नेता गए। हम तो बस काला झंडा दिखाने खड़े थे। तोड़ फोड़ होता तो इनकी पुलिस हमको छोड़ती?’
बवाल मचने के पीछे एक अन्य कारण का हवाला भी स्थानीय लोग दे रहे हैं। दरअसल कुछ दिनों पहले अजय मिश्र टेनी ने मंच से किसानों को लेकर धमकी भरा विवादित बयान दिया था, जिसके बाद से पूरे इलाके में विरोध होने लगा। सोशल मीडिया पर वायरल हो चुके एक वीडियों में अजय मिश्रा यह कहते नजर आ रहे हैं, ” जो किसान प्रदर्शन कर रहे हैं, अगर मैं पहुंच गया होता तो भागने का रास्ता नहीं मिलेगा, लोग जानते हैं कि सांसद बनने से पहले मैं क्या था, जिस चुनौती को स्वीकार कर लेता हूं, उसे पूरा करके ही दम लेता हूं. सुधर जाओ…नहीं तो दो मिनट का वक्त लगेगा।”
इसके इतर भी उनका एक और कथित वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल है जिसमें वो किसानों के बगल से उन्हें थम्स डाउन करते हुए गुजर रहे हैं। स्थानीय किसानों पर इसका असर पड़ा और केंद्रीय मंत्री के प्रति आक्रोश बना। उनके उत्तेजक भाषण और भाषा की भी चर्चा किसान लगातार करते रहे।
तीन अक्टूबर को हुई हिंसा की इस घटना के बाद किसानों ने रात भर वहीं बैठ कर विरोध किया। वह किसान नेता राकेश टिकैत के पहुंचने का इंतजार करते रहे। हमसे बातचीत में किसानों ने बताया कि राकेश टिकैत चार अक्टूबर को सुबह चार बजे पहुंचे। किसान चार शवों को घटनास्थल पर ही घेर कर बैठे थे। दोपहर 1:30 के करीब अग्रसेन इंटर कॉलेज के हेलीपैड में शांत हलचल थी। सिख किसानों के कुछ जत्थे पानी के प्रबंधन में लगे थे। हजारों किसानों की मौजूदगी के बाद भी कोई तेज आवाज नहीं सुनाई दे रही थी। दुर्घटनास्थल के ठीक 100 मीटर पहले हेलीपेड था। वहीं चार शवों को मर्चरी में रखा गया था। हमारे पहुँचने तक वो शव पोस्टमार्टम के लिए जा चुके थे। खून से सने कपड़े लिए कुछ महिलाएं बिलख रही थीं। एक ट्रॉली सड़क के बीचों बीच लगी थी। उसपर सवार कुछ किसानों के हाथ मे पोर्टेबल माइक था। एक किसान ने ‘सत् श्री अकाल‘ का नारा लगाया और नारा गूंज गया।
चार अक्टूबर की दोपहर एक बजे करीब टिकैत ने प्रशासन और स्थानीय किसानों से बात की। फिर मंच से ऐलान किया कि मृतक किसानों और पत्रकार के परिजनों को 45 लाख रुपये, एक सरकारी नौकरी और दोषियों पर हत्या का मुकदमा चलाया जाएगा। हमसे बातचीत में उन्होंने कहा, ”ये किसानों की शहादत है। इन्होंने सिर्फ कुचला ही नहीं है, गोलियां चलाईं हैं। जब गुंडा गृह मंत्री बनेगा तो यही होगा।”
इस पूरी घटना के बाद मरने वाले किसानों में लवप्रीत सिंह (20), दलजीत सिंह (35), गुरवेंद्र सिंह (18) और नक्षत्र सिंह (55) शामिल हैं। इसके अलावा 15 से अधिक लोग घायल हैं। टोनी लखीमपुर के ही पलिया विधानसभा से आए हैं। उनके दोनों पैरों और आंखों के पास चोट लगी है। उन्होंने बताया, ”कार्यक्रम लगभग खत्म था। हमलोग घर जा रहे थे। मैं सड़क पर आया ही था कि पीछे से मुझे धक्का लगा और मैं गिर गया। मेरे दोनों पैरों में, आंख के पास और पीठ में चोट लगी है।”
टोनी के एक पैर में गर्म पट्टी है। दूसरे में कच्चा प्लास्टर। 25 वर्ष के टोनी बताते हैं कि प्रशासन का रवैया बिल्कुल ढ़ुलमुल था। मृतकों अथवा घायलों को किसानों ने ही अस्पताल पहुंचाया।
इस घटना में घायल हुए किसान टोनी
चार अक्टूबर की दोपहर दो बजे के करीब किसान अपने–अपने गंतव्य की ओर लौट रहे थे। हाथ में काला झंडा लिए सिख किसानों का जत्था शांत चेहरे के साथ चुपचाप वापस लौटता दिख रहा था। हमने कुछ लोगों से बात करने की कोशिश की। सत्तर साल के चरणजीत सिंह पलिया के रहने वाले थे और अपने 40 साल के बेटे के साथ आंदोलन में आए थे। वो इतनी भारी संख्या में पुलिस फोर्स देखकर आहत थे। हमसे बातचीत में उन्होंने कहा, ”ये सरकार किसानों को अपने जैसा हत्यारा समझती है। नहीं तो बताओ, इतनी फोर्स क्यों भेजती? हमने कोई हिंसा की होती तो कल ही पुलिस हमपर लाठी चला चुकी होती।“
फिलहाल कानून व्यवस्था की दलील के साथ केंद्रीय गृह मंत्रालय ने सेंट्रल आर्म्ड पुलिस फोर्स (सीएपीएफ़) की चार कंपनियों को तैनात किया है। यहां छह अक्टूबर तक रैपिड एक्शन फोर्स और सशस्त्र सीमा बल की दो कंपनियां तैनात रहेंगी।
चार अक्टूबर की शाम चार बजे तक दुर्घटना स्थल से किसान लगभग जा चुके थे। लौट रहे किसानों से राकेश टिकैत घूम–घूम कर मिल रहे थे। घटनास्थल से करीब 1.5 किलोमीटर दूर जाम था। वहां राकेश टिकैत आये और कहा, ‘कहीं जाने की जल्दी न करो, 1 घण्टा रुको अभी।‘ वहां मौजूद गाड़ियों के इंजन इसके बाद बंद हो गए। माहौल में एक अकथनीय गंभीरता थी। रास्ते में लगंर पर रोटी और अचार के साथ किसानों ने हर किसी के भूख का इंतजाम कर रखा था।
रिपोर्ट- शाश्वत